कीर्ति पर पार्टी करे कार्रवाई : सुशील मोदी
पटना : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव के दफ्तर पर सीबीआइ के छापे और उसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर लगे आरोप के बाद दिल्ली की गरमायी राजनीति की तपिश पटना तक पहुंच गयी है. भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पार्टी नेतृत्व से सांसद […]
पटना : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव के दफ्तर पर सीबीआइ के छापे और उसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर लगे आरोप के बाद दिल्ली की गरमायी राजनीति की तपिश पटना तक पहुंच गयी है. भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पार्टी नेतृत्व से सांसद कीर्ति आजाद के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग है.
उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि पार्टी को कार्ति आजाद समेत उन सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जिनकी वजह से पार्टी को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है. पूर्व क्रिकेटर और भाजपा के दरभंगा से भाजपा सांसद कीर्ति आजाद ने दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) में वित्तीय अनियमितता को लेकर अरुण जेटली पर निशाना साधा था.
जेटली उस समय डीडीसीए के अध्यक्ष थे. मोदी ने ट्वीट कर कहा कि पार्टी को कीर्ति आजाद सहित वैसे सभी सांसदों पर कार्रवाई करनी चाहिए, जो विपक्षियों के हाथ का खिलौना बन जाते हैं, जिससे पार्टी को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. कीर्ति आजाद दरभंगा से तीसरी बार सांसद चुने गये हैं. आजाद की पारिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेसी रही है. इनके पिता भागवत झा आजाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. मुख्यमंत्री रहने के साथ- साथ वे केंद्र में मंत्री भी रहे. इनके बड़े भाई लोकसभा चुनाव में झारखंड के गोड्डा से जदयू के प्रत्याशी थे.
इधर सांसद आजाद का कहना है कि सुशील मोदी को पूरी जानकारी नहीं है. वह मुझसे पूरी बात जान लेते. इसमें कहीं भी अनुशासनहीनता की बात नहीं है. मैंने अरुण जेटली पर कोई आरोप नहीं लगाया है. मैंने सिर्फ इतना ही कहा है कि जिस समय का यह मामला है, उस समय अरुण जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष थे.
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौराव व उसके बाद भी शॉटगन के नाम से मशहूर पटना साहिब के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा अपने बयान और ट्वीट से पार्टी को असहज स्थिति में डालते रहे हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के आरा से सांसद आरके सिंह के बयान ने भी काफी हंगामा मचाया था.
मेट्रो ट्रेन का विरोध क्यों नहीं करते लालू
पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि आज अगर घंटे भर के लिए इंटरनेट लिंक फेल हो जाए, तो लोगों के लिए बैंकिंग से लेकर रेलवे टिकट बनाना तक मुश्किल हो जाता है. जिस सूचना क्रांति (आईटी) की बदौलत जिंदगी बेहतर हुई और लाखों युवाओं को रोजगार मिला है, उसका मजाक उड़ाने के लिए कभी लालू प्रसाद ने पूछा था– ये आईटी–वाईटी क्या होता है.. आज यही लालू प्रसाद बुलेट ट्रेन का विरोध कर रहे हैं.
क्या वे पटना में मेट्रो ट्रेन चलाने का भी विरोध करेंगे . श्री मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद के एक पुत्र 20 लाख की बाइक से चलते हैं और दूसरे बेटे 1 करोड़ रुपये की कार रखते हैं.
वे राजधानी और शताब्दी जैसी हाईस्पीड ट्रेनों से सफर करते हैं, लेकिन आम आदमी को पैसेंजर ट्रेन से आगे की सुविधा देने को फिजूलखर्ची बताते हैं. चुनाव के दौरान भी उन्होंने कार्यकर्ताओं से टमटम पर प्रचार करने को कहा, लेकिन खुद हेलीकाप्टर का इस्तेमाल करते रहे. वे गरीबों को बैलगाड़ी–लालटेन के युग में रखना चाहते हैं, इसलिए आईटी से लेकर बुलेट ट्रेन तक, विकास के हर आधुनिक साधन का विरोध करते हैं.
लालू प्रसाद को बताना चाहिए कि क्या अंतरिक्ष शोध कार्यक्रम और शताब्दी–राजधानी जैसी ट्रेनों को भी बंद कर देना चाहिए .
एक राजधानी ट्रेन को बंद कर दस पैसेंजर ट्रेनें चलायी जा सकती हैं, पर क्या लोगों को उसी दौर में लौटना चाहिए, जब दिल्ली पहुंचने के लिए 20–24 घंटे लगते थे . क्या 6–लेन सड़कों पर पैसा खर्च न कर सरकार को केवल पंगडंडी बनानी चाहिए तो फिर पटना में गांधी सेतु के समानान्तर गंगा पुल बनाने के लिए 5000 करोड़ रुपये की भी क्या जरूरत है. क्या लोगों को पीपा पुल और नौका से काम चलाना चाहिए .
दिल्ली मेट्रो पर 175 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर और विजयवाड़ा मेट्रो पर 288 करोड़ रुपये प्रति किमी. खर्च आया, जबकि बुलेट ट्रेन पर मात्र 140 करोड़ रुपये प्रति किमी.की लागत आएगी.
जापान ने भारत को केवल बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 0.1 फीसद व्याज पर 50 साल के लिए ऋण दिया है. जापान की तकनीक श्रेष्ठता का लाभ भी मिलेगा. लालू प्रसाद बतायें कि क्या भारत को विकास की गति तेज करने वाली बुलेट ट्रेन चलाने का अवसर छोड़ देना चाहिए .