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बुलेट ट्रेन पर निवेश सिर्फ एक सफेद हाथी सिद्ध होगा: लालू

पटना : राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बुलेट ट्रेन पर भारी भरकम निवेश को गलत कहा है. उन्होंने कहा है कि बुलेट ट्रेन देश के गरीब ओर मध्यम वर्ग के लिए नहीं होगा. इसका लाभ कुछ धनाढ़्य वर्ग ही उठा सकेंगे. पीएम मोदी को दो पेज के […]

पटना : राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बुलेट ट्रेन पर भारी भरकम निवेश को गलत कहा है. उन्होंने कहा है कि बुलेट ट्रेन देश के गरीब ओर मध्यम वर्ग के लिए नहीं होगा. इसका लाभ कुछ धनाढ़्य वर्ग ही उठा सकेंगे.
पीएम मोदी को दो पेज के अंगरेजी में लिखे पत्र में बुलेट ट्रेन की औचित्य पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा है कि बुलेट ट्रेन पर निवेश सिर्फ सफेद हाथी सिद्ध होगा. वे रेलवे की वर्तमान अवस्था और केंद्र सरकार की बुलेट ट्रेन चलाने के निर्णय पर कहा है कि मैं एक पूर्व रेलमंत्री होने के नाते रेलवे की तेजी से बिगड़ती माली हालत को देखते हुए यह पत्र लिख रहा हूं.
रेलवे की ऐसी खस्ताहाल हालात में एक लाख करोड़ की लागत वाली बुलेट ट्रेन देश के लिए कहीं से उचित नहीं है. उन्होंने कहा है कि वर्ष 2007-08 के 76 प्रतिशत के मुकाबले वर्ष 2015 में 30 सितंबर तक ऑपरेटिंग रेसियो 98 प्रतिशत तक चला गया है.
सातवें पे कमीशन के आधार पर दिए जाने वाली सैलरी और पेंशन के मद्देनजर यह ऑपरेटिंग रेसियो 15- 16 में 110 प्रतिशत और 16- 17 में 120 प्रतिशत तक चली जायेगी. पिछले सात सालों में आधुनिकीकरण और तकनीकी बढ़ोत्तरी में कम निवेश को देखते हुए उत्पादकता और लाभ के अंतर में साफ साफ नज़र आ रहा है. यहां तक कि 14- 15 में पैसेंजर आउटपुट में भी तीन प्रतिशत की नेगेटिव वृद्धि दर्ज की गयी है. गिरती उत्पादकता के कारण रेलवे बढ़ती मांग को सही रूप से संबोधित नहीं कर पा रही है. शायद आजाद भारत के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है.
राकेश मोहन कमिटी द्वारा यह अनुमान लगाया गया था की मात्र दो-तीन प्रतिशत की कम वृद्धि दर, पर पोजिटिव विकास के बावजूद 2016- 17 तक रेलवे 61 हजार करोड़ की राशि से दिवालिया हो जायेगा. ऐसे समय जब रेलवे अपनी वजूद की लड़ाई लड़ रहा है, ऐसे में एक लाख करोड़ का निवेश अव्यवहारिक प्रतीत होता है. रेलवे देश की अर्थव्यवस्था और गरीबों के लिए अति महत्वपूर्ण है. रेलवे की जर्जर होती आधारभूत संरचना का नवीनीकरण और आधुनिकीकरण व तकनीकी बढ़ोत्तरी आवश्यक है. सैम पित्रोदा कमेटी के सुझावों के अनुसार ए , बी और डी रूट को बेहतर बनाया जाये, ताकि 25 टन एक्सेल लोड और 160 से 200 किलो मीटर प्रति घंटा की यात्री गाडियों के चलने लायक बनाया जा सके.
आॅटोमेटिक ब्लाक सिगनलिंग ऑन बोर्ड ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम मोबाइल ट्रेन कम्युनिकेशन सिस्टम 12 हजार एचपी के विद्युत लोकोमोटिव आदि के लिए कमेटी के अनुसार एक लाख करोड़ का प्रतिवर्ष निवेश अगले आठ वर्षों तक करते रहना अतिआवश्यक है.
इसके अलावा रेलवे के प्रबंधन में नयी कार्य पद्धतियों का समावेश और पूर्वी और पश्चिमी कॉरिडोर को भी निश्चित समय पर पूरा करना आवश्यक है.
उन्होंने कहा है कि अगर ऐसी रणनीति अपने जाए तो जल्द ही इसका लाभ रेलवे के आर्थिक और संरचनात्मक स्वास्थ्य पर जल्द ही दिखने लगेगा. इसका लाभ पूरे देश को मिलेगा.
इसके विपरीत बुलेट ट्रेन बेवजह रेलवे की आर्थिक स्वास्थ्य और दीर्घकालिक रणनीति और योजनाओं पर दुष्प्रभाव डालेगी, जिसका खामियाजा गरीब झेलेंगे. अतः ऐसी किसी परियोजना का रेलवे कर्मचारियों के मनोबल पर बुरा असर डालेगा. साथ ही आम जनता के विरोध का भी सामना करना पड़ेगा. लालू प्रसाद ने कहा है कि प्रधानमंत्री बताएं कि सिर्फ एक परियोजना पर एक लाख करोड़ की पूंजी खर्च करना कहां तक उचित है, जब देश आज भी कुपोषण, बीमारियों, गरीबी और खुले में शौच जैसी बुराइयों से ग्रसित है.
उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि जैसी प्रमुख क्षेत्रों के बजट में कटौती कर रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसी परियोजना पर इतनी बड़ी धन खर्च कर रही है, जिसका लाभ कुछ धनी ही उठा पायेंगे. उन्होंने कहा है कि सरकार की प्राथमिकताएं गलत दिशा में जाती प्रतीत हो रही हैं. जो असमान और असंतुलित विकास को बढ़ावा देगी.
इसे सिर्फ इत्तेफाक मानकर नकारा नहीं जा सकता कि सबसे समृद्ध राष्ट्र अमेरिका के पास कोई बुलेट ट्रेन नहीं है. रेलवे की योजनाओं और बुलेट ट्रेन के बीच के चुनाव में कौन अधिक राष्ट्र हित में है, एक ओर बुलेट ट्रेन जहां धनी संभ्रांत लोगों की सुविधा से ही जुड़ेगा. वहीं रेलवे गरीब रथ समेत पूरे राष्ट्र के गरीबों और मध्यमवर्ग की उम्मीदों का वाहक बन सकता है.

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