पांच मिनट मुस्कुरा कर बात कर लो, दिल हल्का हो जायेगा

पांच मिनट मुस्कुरा कर बात कर लो, दिल हल्का हो जायेगालाइफ रिपोर्टर.पटनाआजकल हम सभी शारीरिक व मानसिक जटिलता से गुजर रहे हैं. बीमार लोग शारीरिक से ज्यादा मानसिक कष्ट में रहते हैं. इसमें मनोचिकित्सक का रोल अहम हो जाता है. उम्र के हर पायेदान पर परेशानियां खड़ी होती हैं और आत्मशक्ति को कमजोर करती हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2015 8:27 PM

पांच मिनट मुस्कुरा कर बात कर लो, दिल हल्का हो जायेगालाइफ रिपोर्टर.पटनाआजकल हम सभी शारीरिक व मानसिक जटिलता से गुजर रहे हैं. बीमार लोग शारीरिक से ज्यादा मानसिक कष्ट में रहते हैं. इसमें मनोचिकित्सक का रोल अहम हो जाता है. उम्र के हर पायेदान पर परेशानियां खड़ी होती हैं और आत्मशक्ति को कमजोर करती हैं. यहां पर भी मनोविज्ञान की जरूरत होती है. कई कारणों से हम अपने अंदर की बात किसी को नहीं कहते और अंदर-ही-अंदर कमजोर होते चले जाते हैं. इसी कारण समाज में मानसिक विकृतियां बढ़ गयी है. मनोचिकित्सक के पास जाना खराब बात नहीं है, लेकिन अभी लोगों में जागरूकता की कमी है. लोगों को जागरूक करना होगा. यह बातें मगध महिला कॉलेज की प्राचार्या प्रो आशा सिंह ने कहीं. वह बुधवार को गांधी संग्रहालय में मनोवैज्ञानिक डॉ बिंदा सिंह की लिखी किताब प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘डॉक्टर मैं क्या करूं’ का विमोचन करने पहुंची थीं. उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी बात बेबाक तरीके से रखनी होगी. हमें भी सबकी बात सुननी चाहिए, अपने बच्चों की बात भी सुननी चाहिए. डॉ रत्ना पुरकायस्थ ने कहा कि किताब लिखना मुश्किल कार्य है. किसी न किसी कारण हम तनाव में रहते हैं और इसी में मनोचिकित्सक की आवश्यकता पड़ती है. अपने दिल की बात करनी चाहिए, इसके लिए एक अच्छा दोस्त चुनें, जो मजाक नहीं उड़ाये और चीजों को समझे. दिल की सभी बात कह देनी चाहिए. अगर आप पांच मिनट मुस्कुरा कर किसी से बात कर लेंगे, तो उसकी आधी परेशानियां खत्म हो जायेगी. हमारा दायित्व बनता है कि हम किसी की बीमारी बढ़ाये नहीं, बल्कि उसकी बीमारी कम करने में योगदान दें. बिंदा जी ने किताब में सभी छोटे-से छोटे सवालों का जवाब दिया है. इसे कॉलेज व स्कूल की लाइब्रेरी में रखना चाहिए तभी फायदा मिलेगा. डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि सामाजिक व्यवस्था तेजी से बदल रहा है. इस बदलाव में मनोचिकित्सक का योगदान बढ़ जाता है. लोगों को समझने की जरूरत होती है, नहीं तो कई प्रतिभा के धनी लोग अपनी प्रतिभा को नहीं दिखा पाते और पीछे रह जाते हैं. इस तरह की परेशानियों को हल करने के लिए 24 घंटे हेल्प लाइन की जरूरत है. इस किताब में हरेक सवाल का जवाब है. मौके पर डॉ बिंदा सिंह ने कहा कि सभी के पास छोटी-छोटी समस्या होती है. उस समस्या को समझने की जरूरत होती है. अगर इस दौरान थोड़ा भी प्यार मिल जाता है तो राहत मिलती है और दिल हल्का होता है. शारीरिक के साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए परिवार बहुत जरूरी है. परिवार भी अपने लोगों को समझे. बच्चों को दोस्त बनाये. उनमें आत्मशक्ति पैदा करें. मौके पर गीता जैन ने भी अपनी बात रखी. इस दौरान कई लोग मौजूद थे.

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