कभी बना था क्राउड का हस्सिा

कभी बना था क्राउड का हिस्सारवि दुबे टेलीविजन जगत के लोकप्रिय सितारों में से एक हैं. उन्हें अब टीवी जगत में जमाई राजा के नाम से ही पुकारा जाने लगा है. वह एक्टिंग के साथ-साथ अपना कई तरह का हुनर दिखाना चाहते हैं. यही वजह है कि उन्होंने जीटीवी के शो इंडिया बेस्ट ड्रामेबाज में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 24, 2015 6:37 PM

कभी बना था क्राउड का हिस्सारवि दुबे टेलीविजन जगत के लोकप्रिय सितारों में से एक हैं. उन्हें अब टीवी जगत में जमाई राजा के नाम से ही पुकारा जाने लगा है. वह एक्टिंग के साथ-साथ अपना कई तरह का हुनर दिखाना चाहते हैं. यही वजह है कि उन्होंने जीटीवी के शो इंडिया बेस्ट ड्रामेबाज में एंकरिंग के आॅफर को हां कहा. अनुप्रिया अनंत से उन्होंने बातचीत की.इंडिया ड्रामेबाज बच्चों का शो है. क्या आपका दिल भी अभी भी बच्चा है?जी हां, बिल्कुल, बल्कि अब भी मेरे में वह बचपना है ही और मैं मानता हूं कि सरगुन में वह क्वालिटी है कि वह बच्चों को बहुत अच्छे तरीके से हैंडल कर लेती है और शायद मुझे भी वह इसलिए हैंडल कर पाती है. वह मुझसे उम्र में छोटी है, लेकिन उसमें एक मां की तरह गुण है और वह हर किसी के लिए हमेशा फिक्रमंद रहती है. ऐसे में मैं अब और बेफिक्र हो गया हूं.आपके लिए बचपन की क्या परिभाषा है?मुझे लगता है कि हर किसी के बचपन में जो कुछ भी गुजरा होता है, वह आपको याद रह जाता है, क्योंकि उस वक्त आप मासूम होते हैं. किसी का प्यार भी और किसी ने यदि आपके साथ बुरा बरताव किया है, तो वह सब कुछ भी आपको याद रह जाता है. वह चीज आपकी पर्सनालिटी का हिस्सा बन जाती है. मैं मानता हूं कि बचपन में आप किस तरह की गलतियां करते हैं और लोग आपके साथ उस वक्त किस तरह बरताव करते हैं, वह आपके साथ हमेशा रह जाती है. यदि आपने बच्चे को उसकी जीत पर बहुत ज्यादा पुचकार दिया, तो वह भी डेंजरस है और अधिक डांटा तो वह भी. सही तरीके से संतुलन बनाना जरूरी होता है. मेरे माता-पिता की बातों और प्यार दोनों का ही मुझ पर असर हुआ है. मेरा बचपन ऐसे ही बीता है. मुझे लगता है कि बच्चों के साथ डील करते वक्त आपको हमेशा अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए. मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं. इसलिए यह शो करने में मजा आ रहा है. आपने किस तरह की तैयारी की है बच्चों के साथ शो में सामंजस्य बनाने की?जैसा कि मैंने पहले कहा कि बच्चे डिप्लोमेटिक नहीं होते. उन्हें अपना शब्द मेजर करने नहीं आता. अपने इमोशन को भी मेजर करना नहीं आता. हमारी कोशिश होगी कि हम उन्हें अधिक परेशान न करें. मेरी कोशिश होगी कि मैं कोई ऐसे शब्द या फिर कोई एक्शन न करूं, जो उनकी बुरी तरह हिट कर जाये और वे कई रातों तक उस बारे में सोचते ही रहें. उस तरह की बातें जो उन्हें चोट पहुंचायेंगी, हमारी कोशिश होगी कि हम उन्हें न कहें. हम अपने तरीके से हैंडल करेंगे और प्यार से ही करेंगे.रवि, अब तक के अपने सफर को किस तरह देखते हैं आप?मैंने शुरुआत क्राउड का हिस्सा बन कर किया था. एक रियलिटी शो में मैं बना था. मैं अपने रुममेट के साथ गया था. मेरा पहला एक्सपोजर था कैमरे से. जिस प्रोडयूसर का वह रियलिटी शो था, वहां मैं क्राउड का हिस्सा था. उन्हीं के शो का मैं कुछ सालों के बाद हिस्सा बना. मुझे उसी प्रोडयूसर के साथ काम करने का मौका मिला हीरो के रूप में. मैंने एक दिन उन्हें यह बात बतायी. वह शो था सास बिना ससुराल. मेरा सफर बेहतरीन रहा है. क्रिएटिविटी ने मुझे चुन लिया. जब मैं राम लखन फिल्म देखा करता था बहुत छोटे में, तो मैं मिरर में देख कर खुद को इमेजिन किया करता था कि मैं भी हीरो बनूंगा. मैं हमेशा से हीरो ही था अपने इमेजिनेशन में. दिन के 12 12 घंटे के शिफ्ट में भी मैं आठ-आठ घंटे फिल्में देखता था. इससे आप समझ सकते मुझे इस क्षेत्र से कितना प्यार है.आप फिल्मों में भी शुरुआत कर रहे हैं?हां फिल्म का नाम है त्रिदेव. फिल्म में मेरे साथ करन सिंह ग्रोवर, कुणाल रॉय कपूर हैं. फिल्म की स्क्रिप्ट बहुत अच्छी है. यह एक सटायर फिल्म है. मैं भी फिल्मों में अपना कैरियर रोमांटिक हीरो या एक्शन हीरो के रूप में नहीं करना चाहता था. इसलिए यह फिल्म मेरे लिए अच्छी शुरुआत साबित होगी. ऐसी उम्मीद करता हूं.

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