जदयू के बगावती नेताओं को पार्टी से निकाला जाएगा

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में बगावत करने वालों पार्टी के नेताओं पर जदयू कार्रवाई करेगा. इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के स्तर पर समीक्षा हो रही है. इसमें पार्टी के जो भी पूर्व विधायक, नेता या फिर कार्यकर्ता का नाम सामने आयेगा उसकी क्षेत्रवार समीक्षा करके उन पर कार्रवाई की जायेगी. जो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2015 7:18 PM

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में बगावत करने वालों पार्टी के नेताओं पर जदयू कार्रवाई करेगा. इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के स्तर पर समीक्षा हो रही है. इसमें पार्टी के जो भी पूर्व विधायक, नेता या फिर कार्यकर्ता का नाम सामने आयेगा उसकी क्षेत्रवार समीक्षा करके उन पर कार्रवाई की जायेगी. जो लोग चुनाव समय पार्टी से बगावत कर दूसरे दलों या निर्दलीय चुनाव लड़े या दूसरे उम्मीदवार को सहयोग किया और अब अपने को जदयू के अंदर ही मान रहे हैं वैसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

पार्टी उनसे शो कॉज पूछने के साथ-साथ उन्हें निलंबित और निष्कासित भी कर सकती है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि सभी विधानसभा क्षेत्रवार समीक्षा की जा रही है. कुछ नेताओं के बगावत कर चुनाव लड़ने और कुछ के पार्टी व गंठबंधन प्रत्याशी के विरोध में काम करने का आरोप लगा है. सभी पर कार्रवाई की जायेगी. नयी दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पूर्व मंत्री व विधायक श्याम रजक के नहीं जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि श्याम रजक पार्टी के महत्वपूर्ण साथी हैं. पार्टी उनकी कद्र करती है. वे अपने दूसरे कार्यक्रम में व्यस्त होने की वजह से बैठक में शामिल नहीं हो सके थे. इस मामले पर इतना कुछ नहीं होना चाहिए.

वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि पार्टी अपना चुनाव चिह्न तीर को बदलना चाहती है. इसके लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को अधिकृत कर दिया है. वे ही अब फिर से चुनाव आयोग से मिलेंगे और पार्टी के फैसले से अवगत करायेंगे. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार के विधानसभा चुनाव ने देश को मैसेज दिया है. देश की राजनीति अब एक दल की नहीं, बल्कि महागंठबंधन की होगी. देश की राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गयी है.

उन्होंने कहा कि यह देश की राजनीति में लोगों को समझ में आ रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार में दो धाराओं के बीच लड़ाई थी. एक धारा का नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे थे, जबकि दूसरी धारा का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे. देश या राज्य में कॉरपोरेट सेक्टर के आधार पर राजनीति नहीं चल सकती है. देश की राजनीति खेत-खलिहान में रहने वाले, दलितों-पिछड़ों को अपने एजेंडो में रहने वालों की चलती है. बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने वाले नीतीश कुमार नेतृत्व कर्ता के रूप में उभर के सामने आये और विजयी हुए.

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