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बिहार में आइएम और अन्य आतंकी संगठन घुसपैठ करने की तैयारी में, फिर सक्रिय हो रहा है आतंकी मॉड्यूल

पटना: बिहार में आइएम (इंडियन मुजाहिद्दीन) और आइएस आतंकी संगठन घुसपैठ की जुगत में लगे हुए हैं. ये आतंकी संगठन राज्य में अपने मॉड्यूल को तैयार करने या स्लीपर सेल को बनाने में लगा हुआ है. आइबी समेत अन्य खुफिया एजेंसी ने इस संबंध में केंद्र सरकार को रिपोर्ट भी भेजी है. इस रिपोर्ट में […]

पटना: बिहार में आइएम (इंडियन मुजाहिद्दीन) और आइएस आतंकी संगठन घुसपैठ की जुगत में लगे हुए हैं. ये आतंकी संगठन राज्य में अपने मॉड्यूल को तैयार करने या स्लीपर सेल को बनाने में लगा हुआ है. आइबी समेत अन्य खुफिया एजेंसी ने इस संबंध में केंद्र सरकार को रिपोर्ट भी भेजी है. इस रिपोर्ट में इस बात की प्रबल आशंका व्यक्त की गयी है कि इन आतंकी संगठनों ने अपने कुछ लोगों को सीमा पार ट्रेनिंग देकर उसे नेपाल के रास्ते बिहार में दाखिल कराया है. आतंकी संगठनों के ये प्रशिक्षित एजेंट सूबे में अपना मॉड्यूल तैयार करने में लग गये हैं.

चार जिलों दरभंगा, मधुबनी, बेतिया और समस्तीपुर में आतंकी संगठनों की सक्रियता ज्यादा बढ़ने की आशंका जतायी गयी है. इन जिलों में पुराने आतंकी कनेक्शन काफी मजबूत रहे हैं. हाल में समस्तीपुर में मोमो की गिरफ्तारी इस रिपोर्ट की आशंकाओं को ज्यादा पुष्ट करती है.
19 से 21 दिसंबर के बीच गुजरात के रण ऑफ कच्छ में सभी राज्यों के डीजीपी का 50वां उच्चस्तरीय सम्मेलन संपन्न हुआ. इस सम्मेलन में तमाम खुफिया एजेंसियों ने भी आतंकी संगठनों की सक्रियता बढ़ने की बात उठायी थी. बिहार में भी आतंकी संगठनों के स्लीपर सेलों या मॉड्यूल के सक्रिय होने की प्रबल आशंका जतायी गयी है.

बताया जाता है कि नेपाल के रास्ते बिहार आने के रास्ते को आतंकियों के लिए बेहद सुरक्षित बताया गया है. इस रास्ते का प्रमुखता से उपयोग हो रहा है. इस तरह के तमाम बातों पर खासतौर से अलर्ट रहने की जरूरत बतायी गयी है. कई आतंकी संगठन युवाओं को भर्ती करने की प्रक्रिया भी निरंतर जारी रखे हुए हैं.
घुसपैठ के लिए धार्मिक जत्थों का उपयोग
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आतंकी घुसपैठ करने के लिए विभिन्न धार्मिक जत्थों का भी सहारा ले रहे हैं. धर्म से जुड़े उपदेश देने या प्रचार करने के लिए धार्मिक संगठनों के कई जत्थे अलग-अलग देशों का भ्रमण करते रहते हैं. कई आतंकी संगठन इसकी आड़ में या धोखे से इसमें शामिल होकर बिहार या अन्य कहीं चले जाते हैं.

इसके बाद ये आतंकी एजेंट स्थानीय लोगों को विभिन्न तरीकों से गुमराह करके अपने संगठन में शामिल करके मॉड्यूल बना लेते हैं. कुछ को स्लीपर सेल के रूप में तैयार करके छोड़ देते हैं. जरूरत पड़ने पर आतंकी संगठन इन्हें ‘एक्टीवेट’ कर या संदेश भेजकर किसी हमले के अंजाम देते हैं. यह इतना गोपनीय होता है कि एक मॉड्यूल को दूसरे के बारे में खबर तक नहीं होती. सिर्फ एक प्रमुख संचालक को ही इसकी जानकारी होती है. यासिन भटकल ने यहां इसी तरह के मॉड्यूल को तैयार किया था.
पूरा ध्वस्त नहीं हुआ था पुराना मॉड्यूल
राज्य में बीते कुछ सालों में दो बड़ी आतंकी वारदातें हुई थीं, जिनमें बोधगया और गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट शामिल हैं. इन घटनाओं ने सूबे में पहली बार आतंकियों की मौजूदगी का अहसास करा दिया था. हालांकि इन घटनाओं को अंजाम देने वाले मास्टर माइंड यासिन भटकल और इसके पूरे रांची मॉड्यूल को एनआइए (राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी) ने गिरफ्तार कर लिया था. वाबजूद इसके यह माना जा रहा है कि भटकल के ट्रेंड कराये कुछ युवा अब भी गिरफ्त से बाहर हैं, जो कभी भी किसी घटना को अंजाम दे सकते हैं. चूंकि जब दरभंगा में जब भटकल एक देशी चिकित्सक के रूप में अपनी पहचान छिपाकर रहता था और अपना मॉड्यूल (आतंकी गतिविधि को अंजाम देने के लिए ट्रेंड किया गया कुछ लोगों का समूह) तैयार करने में लगा था. इसी दौरान उसके संपर्क में 10-12 लोग हमेशा रहते थे. इसमें कुछ लोगों को वह सीमा पार ट्रेनिंग भी दिलवा चुका था. इस दरभंगा मॉड्यूल के कुछ लोग अभी भी पकड़ से बाहर हैं. इनके फिर से सक्रिय होने और आतंकी संगठनों के इनके जरिये या इनकी मदद से बिहार में घुसपैठ करने की प्रबल आशंका जतायी गयी है.

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