सेवेन-टू-सेवेन से कदम सातवें आसमान परलाइफ रिपोर्टर.पटनाकहते हैं इंसान बुरा नहीं होता. वक्त और हालात उसे बुरा बना देते हैं. यह भी कहा जाता है कि सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट आये तो उसे भूला नहीं कहते. आप सोच रहे होंगे कि कहीं मुहावरों का दौर तो नहीं चला, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है़ ये बातें उन लड़कियों पर सटीक बैठती हैं, जो सामाजिक और पारिवारिक हालातों के कारण एक समय गलत राह पर चल पड़ी थीं. उनका आगाज जैसा भी रहा हो, अंजाम अलग और शानदार बनाने की कोशिश में जुटी है एक संस्था, जिसका नाम है प्रयास भारती ट्रस्ट. इस ट्रस्ट ने एक समय में वेश्यावृति के दलदल में फंस चुकी लड़कियों को निकाल कर उन्हें इज्जत की जिंदगी जीने के लिए प्रेरित किया. ट्रस्ट ने न सिर्फ गलत राह पर चलनेवाली लड़कियों बल्कि अनाथ, बेसहारा लड़कियों को भी इकट्ठा कर उन्हें एक प्लेटफॉर्म देने की कोशिश की. इसके लिए ट्रस्ट ने सेवेन-टू-सेवेन आहार रेस्ट्रां की शुरुआत की. रेस्ट्रां अब समाज से दुत्कारी गयी लड़कियों को सम्मान दिलाने का काम कर रहा है.जनवरी में हुई शुरुआत 15 जनवरी, 2015 को रेस्ट्रां की शुरुआत की गयी थी. इसका नाम सेवेन-टू-सेवेन आहार रखा गया. इसमें लड़कियों को खास ट्रेनिंग दी गयी. अब वे खुद खाना बनाती हैं, खुद बर्तन साफ करती हैं और खुद ही लोगों को सर्व करती हैं. यानी रेस्ट्रां का हर काम यही लड़कियां कर रही हैं.ट्रेनिंग से हुईं एक्सपर्ट ट्रस्ट द्वारा एक्सपर्ट बुलवा कर रेस्ट्रां खोलने से पहले लड़कियों को ट्रेनिंग दी गयी. ट्रेनिंग के समय लड़कियों को सात-सात के ग्रुप में बांट दिया जाता था. करीब 15 दिनों की ट्रेनिंग दी जाती थी. इसमें चाइनीज, साउथ इंडियन, नॉर्थ इंडियन खाना बनाना सिखाया गया. लड़कियों को खाना बनाने के साथ हाउस कीपिंग और सर्व करने की भी ट्रेनिंग दी गयी है.किन परेशानियों का सामना किया प्रयास भारती ट्रस्ट की अध्यक्ष डॉ सुमन लाल का कहना है कि शुरुआती दौर में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. लड़कियों के प्रति आस-पास के लोगों का नजरिया काफी खराब था. लड़कियों को भी काफी आलोचना का शिकार होना पड़ा, लेकिन इच्छा, आत्मविश्वास और हिम्मत ने चीजों को धीरे-धीरे आसान कर दिया. लड़कियों के सेफ्टी का भी यहां भरपूर ध्यान रखा जाता है. यहां तक कि लड़कियों को भी सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी गयी, ताकि बुरे वक्त में खुद के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ वे आवाज उठा सकें. लड़कियों को काफी बोल्ड बनाया गया. धीरे-धीरे आसपास के लोगों का सहयोग मिलना शुरू हुआ. सात लड़कियों का रेस्ट्रां सेवेन-टू-सेवेन आहार रेस्ट्रां में सात लड़कियां मौसम, फातिमा, मतिम, सबिता, नूरजहां, दीपा, किरण मिल कर काम करती हैं. ये आपस में काम बांट कर करती हैं. सात लड़कियों द्वारा सुबह सात बजे से शाम के सात बजे तक रेस्ट्रां में ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर मिलता है. इसी कारण रेस्ट्रां का नाम ‘सेवेन-टू-सेवेन आहार’ रखा गया है. ड्रेस कोडलड़कियों का ड्रेस कोड भी है. रेस्ट्रां चलाने के लिए फॉर्मल ड्रेस पहनना है ताकि समाज के लोगों का नजरियां बदले. स्मार्ट पर्सनालिटी के साथ शुरुआत करने से मदद भी मिलती है. कौन हैं येट्रस्ट की अध्यक्ष डॉ सुमन लाल के अनुसार, ‘यहां हर जगह की लड़कियां हैं. ये बिहटा, बक्सर, नेपाल, कलकत्ता, आरा, मनेर आदि जगहों की रहनेवाली हैं. कुछ गरीबी के कारण, तो कुछ हालात से मजबूर होकर गलत काम की ओर निकल पड़ी थी. कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं, जो पति के घर से निकाल देने के बाद बेघर हो गयी हैं. 4000 है सैलरीरेस्ट्रां चलानेवाली सभी लड़कियों को 4000 रेपये सैलरी के रूप में दिया जाता है. इसके अलावा उनकी दिनचर्या में आनेवाली जरूरतों का ख्याल ट्रस्ट रखती है.मंथली लंच पास की सौगातजल्द ही नये साल में एक नयी शुरुआत की जायेगी. सेवेन-टू-सेवेन आहार की ओर से ऑफिस में रोजाना लंच की सुविधा दी जायेगी. रेस्ट्रां की ओर से 2500 रुपये लेकर पूरे महीने लंच कराया जायेगा. इसमें रोटी, दाल, चावल, रायता, सलाद, दो तरह की सब्जी एवं सप्ताह में दो दिन मांसाहारी भोजन दिया जायेगा.
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सेवेन-टू-सेवेन से कदम सातवें आसमान पर
सेवेन-टू-सेवेन से कदम सातवें आसमान परलाइफ रिपोर्टर.पटनाकहते हैं इंसान बुरा नहीं होता. वक्त और हालात उसे बुरा बना देते हैं. यह भी कहा जाता है कि सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट आये तो उसे भूला नहीं कहते. आप सोच रहे होंगे कि कहीं मुहावरों का दौर तो नहीं चला, तो ऐसा बिल्कुल […]
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