17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सफेद हाथी बनकर रह गया है स्मार्ट क्लास

सफेद हाथी बनकर रह गया है स्मार्ट क्लास – पीयू में स्मार्ट क्लास तो लगा पर पढ़ाने वाला कोई नहीं – जानकारी और प्रशिक्षण की कमी की वजह से एेसे ही पड़ी है लाखों का सामानसंवाददाता, पटना पटना विश्वविद्यालय में स्मार्ट क्लास तो लगा पर उस पद्धति से पढ़ाने वालों की काफी कमी है. यही […]

सफेद हाथी बनकर रह गया है स्मार्ट क्लास – पीयू में स्मार्ट क्लास तो लगा पर पढ़ाने वाला कोई नहीं – जानकारी और प्रशिक्षण की कमी की वजह से एेसे ही पड़ी है लाखों का सामानसंवाददाता, पटना पटना विश्वविद्यालय में स्मार्ट क्लास तो लगा पर उस पद्धति से पढ़ाने वालों की काफी कमी है. यही वजह है कि इन स्मार्ट क्लास का प्रयोग यहां ना के बराबर हो रहा है. जानकारी और प्रशिक्षण की कमी की वजह से भी इसके इस्तेमाल में दिक्कतें हो रही हैं क्योंकि शिक्षक पुरानी पद्धति से पढ़ाने के आदि हो गये हैं और नई पद्धति की जटिलता उनके लिए इस सिस्टम को अपनाने में बाधा बन रही है. छात्र तो इस सिस्टम से पढ़ना चाहते हैं लेकिन कॉलेज और विवि प्रशासन इस सिस्टम को लेकर बहुत उत्साहित नजर नहीं आता है. पटना विश्वविद्यालय में कुल चार जगहों पर यूजीसी के फंड से स्मार्ट क्लास लगे हैं लेकिन उनका प्रयोग काफी कम होता है. एक क्लास को लगवाने में एक से दो लाख रुपये तक का खर्च आता है. इसके अतिरिक्त एक हॉल की जगह और टेबल कुर्सियों को खरीदने आदी में भी खर्च है. कुछ एक जगहों पर कभी कभी यह प्रयोग में आता है तो कुछ जगहों पर यह बिल्कुल ऐसे ही पड़ा है. स्मार्ट क्लास के नाम पर सिर्फ पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन के तौर पर यदा कदा छात्रों को कुछ पढ़ा दिया जाता है लेकिन उससे अधिक कुछ भी नहीं होता है. पटना कॉलेज में तो अब तक वह भी शुरू नहीं हुआ है. यहां इसके साजो सामान एेसे ही पड़े हैं. इसके अतिरिक्त एमएड विभाग में भी इसे लगवाया गया है लेकिन बहुत प्रयोग यहां भी नहीं होता है. दरभंगा हाउस के एलएसडब्ल्यू कोर्स में भी इसे लगाया गया है. यहां पर कभी कभार इसका प्रयोग होता है. एलएसडब्ल्यू के प्रोफेसर प्रभाकर झा बताते हैं कि यदा-कदा इसका प्रयोग होता है. स्मार्ट क्लास के अधिक प्रयोग नहीं होने के मुख्य कारण है कि कुछ शिक्षक अपने विषय में तो काफी जानकारी रखते हैं लेकिन नई तकनीक के मामले में उनका हाथ थोड़ा तंग है. विवि के द्वारा इसके प्रशिक्षण की भी कोई खास व्यवस्था नहीं है जिसमें स्मार्ट क्लास के संबंध में जानकारी व उसके हैंडलिंग के बारे में बताया जा सके. इसके लिए शिक्षकों को अलग से डिजिटल सामग्री भी तैयार करानी पड़ती है जिसका टेंशन भी शिक्षक बेवजह नहीं लेना चाहते क्योंकि उनका काम पारंपरिक रूप से पढ़ाने से चल जाता है. इस वजह से भी वे स्वयं भी इसमें अधिक इंटरेस्ट नहीं दिखाते. वहीं यूनिवर्सिटी को भी इससे कोई खास मतलब नहीं है कि इसे सप्ताह में या महीने में शिक्षकों को अनिवार्य रूप से कोर्स में ही शामिल किया जाए. इस तरह के प्रावधानों से स्मार्ट क्लास शुरू किया जा सकता है लेकिन एेसा करने का किसी को कोई खास मतलब नहीं दिखता है………प्रो. केपी सिंह (कंप्यूटर सेंटर इंचार्ज, पीयू) : हमारा काम स्मार्ट क्लास को निर्धारित विभागों में इंस्टॉल करा कर दे देना. क्लास चलवाना विभागाध्यक्ष या प्राचार्य का काम है. रही बात प्रशिक्षण की तो वह एकेडमिक स्टॉफ कॉलेज समय समय पर करवाती है. कंप्यूटर सेंटर के द्वारा इस तरह के कार्यक्रम कराने के लिए विवि प्रशासन अगर कोई निर्णय लेती है तो ही हम प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करा सकते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें