सरस मेले में दिखी बिहार की संस्कृति

सरस मेले में दिखी बिहार की संस्कृतिपटनाबिहार की कला और संस्कृति राजा-महाराजाओं के काल से ही समृद्ध रही है. यहां का हस्त करघा उद्योग, मिथिला पेटिंग और झिझिया नृत्य सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी काफी प्रचलित हैं. हालांकि, कुछ वर्षों में इनकी पहचान धूमिल-सी हो गयी थी. इसे देखते हुए बिहार सरकार ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2015 10:47 PM

सरस मेले में दिखी बिहार की संस्कृतिपटनाबिहार की कला और संस्कृति राजा-महाराजाओं के काल से ही समृद्ध रही है. यहां का हस्त करघा उद्योग, मिथिला पेटिंग और झिझिया नृत्य सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी काफी प्रचलित हैं. हालांकि, कुछ वर्षों में इनकी पहचान धूमिल-सी हो गयी थी. इसे देखते हुए बिहार सरकार ने इसे बढ़ावा देने और इसे फिर से पूराना सम्मान लौटाने के लिए कई प्रयास किये हैं. इन्हीं में प्रयासों में से एक है जीविका. जीविका द्वारा पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘बिहार ग्रामीण सरस मेला, 2015’ में ऐसे तो हर दिन कुछ-न-कुछ विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. पर सोमवार का दिन कुछ खास था. सोमवार को स्वरांगन पटना द्वारा झीझीयां नोकनृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी गयी. बिहार का यह लोक नृत्य को सामाज में महिलाओं के सशक्तिकरण को दर्शाता हुआ नाट्य नृत्य है, जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है. इसमें सोनाली सरकार, तान्या, अकांक्षा, मौसम और अंजलि ने भाग लिया.वहीं, शाम होते ही सरस मेले में राजु मिश्र और उनके साथियों ने सूफी संगीत से ऐसा शमां बांधा कि मेले में मौजूद लोग मंत्रमुग्ध हो गये. गायन में संगत कलाकार में तबला पर विश्वनाथ शरण सिंह, नाल पर पंडित अर्जुन चौधरी, ऑर्गन पर विनोद कुमार, पैड पर शिवनाथ प्रसाद, विशेष ध्वनि पर अनंत कुमार मिश्र ने योगदान दिया.एटीएम संचालन का प्रशिक्षणमेले में लगे बैंकों और अन्य सरकारी विभागों के स्टॉल्स पर सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी गयी. साथ ही बैंकों के प्रतिनिधियों द्वारा एटीएम का सावधानी से उपयोग कैसे किया जाये, इसकी विस्तृत जानकारी दी गयी.लकी ड्रॉ में अनिल विनरमेले में हर दिन लकी ड्रॉ का आयोजन किया जाता है. रविवार को निकाले गये ड्रॉ में पटना के अनिल कुमार को प्रथम, रूपेश वर्णवाल को दूसरा पुरस्कार मिला. वहीं, तीसरा पुरुस्कार संयुक्त रूप से विजेंद्र मणि, पुशरा तब्बसुम और देवेंद्र सिंह को मिला.

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