एक जज पर 4500 की सुनवाई का जिम्मा
जज के 35 पद हैं स्वीकृत, फिलहाल 26 ही कार्यरत, अगले साल िरटायर हो जायेंगे तीन और जज पटना : पटना उच्च न्यायालय में जज के आधे से अधिक पद खाली हैं. यहां एक लाख 22 हजार से अधिक मुकदमे लंबित हैं. 40 हजार याचिकाएं यहां प्रति वर्ष दायर की जा रही है. जजों के […]
जज के 35 पद हैं स्वीकृत, फिलहाल 26 ही कार्यरत, अगले साल िरटायर हो जायेंगे तीन और जज
पटना : पटना उच्च न्यायालय में जज के आधे से अधिक पद खाली हैं. यहां एक लाख 22 हजार से अधिक मुकदमे लंबित हैं. 40 हजार याचिकाएं यहां प्रति वर्ष दायर की जा रही है. जजों के यहां 53 पद स्वीकृत हैं, जिनमें मुख्य न्यायाधीश के अलावा 26 जज ही कार्यरत हैं. अगले साल 2016 में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश समेत तीन अन्य जज रिटायर हो जायेंगे.
नयी नियुक्ति नहीं हुई तो 2016 के अंत में पटना उच्च न्यायालय में जजों की संख्या 23 रह जायेगी. यहां जमानत मामले में चार हजार मामले लंबित हैं. मुकदमों की बढती और जजों की कम होती संख्या का आलम यह है कि एक जज पर साढ़े चार हजार से अधिक केस सुनवाई को लंबित हैं. जमानत और रिटायरमेंट लाभ तथा जमीन विवाद के सबसे अधिक मामले लंबित हैं. जानकारी के मुताबिक जमीन विवाद से जुड़ कुछ मामले 1973-74 से चल रहे हैं, जिनका अब तक निष्पादन नहीं हो पाया है. कोर्ट में फिलहाल साल में 210 दिनों का कामकाज निर्धारित है.
कालेजियम सिस्टम को लेकर सरकार और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले के कारण नये जजों की नियुक्ति प्रक्रिया बाधित है. इसके कारण बिहार समेत सात राज्यों में मुख्य न्यायाधीश के पद खाली हैं. यहां कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के प्रभार के तहत काम चलाया जा रहा है. इतना ही नहीं निचली अदालतों में भी हजारों मुकदमे लंबित हैं.
जजों की बहाली में आरक्षण प्रक्रिया लागू होने संबंधित मामले को कोर्ट में होने के कारण निचली अदालतों में भी नयी नियुक्तियों पर अमल नहीं हो पा रहा है. पटना उच्च न्यायालय में कालेजियम सस्टिम से जजों की नियुक्ति होती रही है. इस बार अभी तक कालेजियम सिस्टम को लेकर आधिकारिक चीजें तय नहीं हो पायी हैं. इस कारण अप्रैल, 2015 के बाद से पटना उच्च न्यायालय में जजों की नियुक्त नहीं हो पायी है. प्रावधान के मुताबिक जजों की कुल संख्या के चालीस फीसदी पद सर्विस कोटे से भरा जाता है. यानी निचली अदालतों से प्रमोशन के आधार पर चालीस प्रतिशत पदों पर जजों की बहाली होती है, जबकि बाकी के पद बार कोटे से वरीय अधिवक्ताओं से लिये जाते हैं. कुल 53 पदों के आधार पर यहां सर्विस कोटे के जजों के 10 और बार कोटे से 16 पद खाली हैं.