नयी शक्षिा नीति के विमर्श पत्र पर विचार करने की जरूरत : व्यास जी

नयी शिक्षा नीति के विमर्श पत्र पर विचार करने की जरूरत : व्यास जी फोटो संवाददाता, पटनानयी शिक्षा नीति को लेकर केंद्र सरकार ने जो विमर्श पत्र बनाया है. उसमें न तो पूर्ववर्ती नीतियों की समीक्षा की गयी है और न ही शिक्षा के अधिकार कानून पर ही पर्याप्त चर्चा की गयी है. इस पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2016 10:30 PM

नयी शिक्षा नीति के विमर्श पत्र पर विचार करने की जरूरत : व्यास जी फोटो संवाददाता, पटनानयी शिक्षा नीति को लेकर केंद्र सरकार ने जो विमर्श पत्र बनाया है. उसमें न तो पूर्ववर्ती नीतियों की समीक्षा की गयी है और न ही शिक्षा के अधिकार कानून पर ही पर्याप्त चर्चा की गयी है. इस पर एक बार फिर विचार करने की जरूरत है. ये बातें भूमि सुधार एवं आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव व्यास जी ने कहीं. वे रविवार को दीपनारायण सिंह सहकारिता प्रबंधन संस्था, एसोसिएशन फाॅर स्टडी एंड एक्शन के द्वारा आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. जनशिक्षा के डिप्टी डायरेक्टर मो. गालिब ने कहा कि केंद्र सरकार की नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर सुझाव मांगें गये थे. बिहार और झारखंड के दस जिलों से लोगों के सुझाव पर एक विमर्श पत्र तैयार किया गया था. कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व आइपीएस अधिकारी डीएन गौतम ने किया. इस मौके पर उच्च शिक्षा पर प्रो. नवल किशोर चौधरी ने कहा कि संबद्धता की प्रणाली में सुधार की जरूरत है. उच्च शिक्षा में हमें विदेशी नहीं, बल्कि देश की परंपरागत शिक्षा पर फोकस करना चाहिए. आसा के संयोजक डाॅ. अनिल कुमार राय ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है. लेकिन, व्यावसायिक शिक्षा केवल नियोजित व्यवसाय दे सकती है, शिक्षा नहीं दे सकती. कार्यक्रम में शिक्षाविद सुनील कुमार सिन्हा, बाल स्वास्थ्य विशेषज्ञ अजित कुमार आदि मौजूद थे.

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