शर्त में उलझी महबूबा की शपथ, सोनिया ने बढ़ाया हाथ

शर्त में उलझी महबूबा की शपथ, सोनिया ने बढ़ाया हाथ मुफ्ती के निधन के बाद पीडीपी-भाजपा में आयी खटासएजेंसियां, श्रीनगरजम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद राज्य में सरकार की संभावनाओं को लेकर राजनीतिक सरगर्मी काफी बढ़ गयी है. बताया जा रहा है कि पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के हाथ में पूरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2016 12:42 AM

शर्त में उलझी महबूबा की शपथ, सोनिया ने बढ़ाया हाथ मुफ्ती के निधन के बाद पीडीपी-भाजपा में आयी खटासएजेंसियां, श्रीनगरजम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद राज्य में सरकार की संभावनाओं को लेकर राजनीतिक सरगर्मी काफी बढ़ गयी है. बताया जा रहा है कि पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के हाथ में पूरी तरह से कमान आने के बाद भाजपा-पीडीपी गंठबंधन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सूत्रों के अनुसार महबूबा ने गंठबंधन जारी रखने के लिए भाजपा के सामने चार शर्तें रखी हैं. इसके बाद भाजपा ने भी पीडीपी के सामने कुछ शर्तें रखी हैं. इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को महबूबा मुफ्ती के आवास पर जाकर उनके पिता के निधन पर शोक-संवेदना प्रकट की. ताजा राजनीतिक हालात में इस मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.सूत्रों के अनुसार, पीडीपी की पहली शर्त उपमुख्यमंत्री को लेकर है. वह भाजपा को उपमुख्यमंत्री पद नहीं देना चाहती हैं. दूसरी शर्त अपने लिए बड़े पोर्टफोलियों का मांगना है. तीसरी शर्त संवेदनशील मुद्दों पर भाजपा नेताओं का मुंह बंद रखना और चौथी शर्त केंद्र की ओर से राज्य को अधिक सहायता देना है. सूत्रों का कहना है कि भाजपा गंठबंधन को जारी रख सरकार में बने रहना चाहती है, लेकिन उसने भी महबूबा के सामने कुछ शर्तें रखी हैं. इनमें से एक शर्त के तहत मुख्यमंत्री के पद पर बारी-बारी से दोनों पार्टियों को मौका देने की बात कही गयी है, लेकिन बताया जा रहा है कि महबूबा इसके लिए राजी नहीं हैं. पीडीपी के विधायक राज्य में सरकार बनाने के विकल्पों पर श्रीनगर में बैठक कर रहे हैं. पीडीपी पहले ही राज्यपाल को एक पत्र दे चुकी है. इसमें कहा गया है कि पार्टी के सभी 27 विधायक मुख्यमंत्री पद के लिए महबूबा का समर्थन करते हैं, लेकिन महबूबा ने कहा है कि मैं अपने पिता के निधन के शोक के चौथे दिन तक शपथ ग्रहण नहीं करूंगी. हालंकि, इस तनातनी के बावजूद पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे भाजपा के नेता निर्मल सिंह राज्य में पीडीपी- बीजेपी गंठबंधन बने रहने को लेकर आश्वस्त हैं. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने राज्यपाल एनएन वोहरा को लिखा है कि पीडीपी जो भी फैसला करेगी, उस पर पार्टी चर्चा करेगी. अभी तक हम शोक में थे. अब आगे देखा जाएगा. अभी तक सरकार के गठन पर कोई चर्चा नहीं हुई , लेकिन हमें उम्मीद है कि चीजें पहले की तरह ही चलती रहेंगी. इन सभी गतिरोधों के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी महबूबा मुफ्ती से मुलाकात की और वह राज्य में नयी सरकार के गठन के लि पार्टी नेताओं से चर्चा भी करेंगे. रविवार को भाजपा के महासचिव और जम्मू कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने कहा कि गंठबंधन पर पीडीपी को फैसला लेना है. इधर, सोनिया और महबूबा की मुलाकात को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि भाजपा ने मुफ्ती के निधन के बाद अभी तक मुख्यमंत्री पद के लिए महबूबा को औपचारिक समर्थन नहीं जताया है. कांग्रेस पहले 2002 से 2008 के बीच पीडीपी के साथ जम्मू-कश्मीर की सत्ता में साझेदारी कर चुकी है, जिसमें तीन-तीन साल के अंतराल पर दोनों पार्टियों के मुख्यमंत्री रहे.

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