लव… सफर…और धोखा : प्रेमी ही बना जान का दुश्मन

क्राइम कथा के इस अंक में पढ़िए प्रेम संबंध के नाम पर छलावा. दो युवकों ने एक ही मुहल्ले की दो युवतियों को किस तरह से अपने प्रेम जाल में फांसा और वे खुद कैसे जाल में उलझती चलीं गयीं. जब एक ही प्रेमी के घर में चारों एक साथ पकड़े गये, तो उन्हें समाज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2016 5:52 AM
क्राइम कथा के इस अंक में पढ़िए प्रेम संबंध के नाम पर छलावा. दो युवकों ने एक ही मुहल्ले की दो युवतियों को किस तरह से अपने प्रेम जाल में फांसा और वे खुद कैसे जाल में उलझती चलीं गयीं. जब एक ही प्रेमी के घर में चारों एक साथ पकड़े गये, तो उन्हें समाज के डर से घर से भागना पड़ा, लेकिन युवतियों को कहां पता था कि उनके प्रेमी ही मौत का साया बन कर उनके साथ लगे हैं, पीछा छुड़ाने के लिए मौका मिलते ही चलती ट्रेन से फेंक देंगे.
प्रेम का ढोंग रच कर जिस्म से खेलने के बाद गले लगाने वाले हाथों ने दोनों को मौत की तरफ धकेल दिया. एक की तो मौत हो गयी, पर दूसरी का मुकद्दर उसके साथ था, वह जिंदा है, पर इस घटना ने उसे अंदर तक झकझोर दिया है. पाश्चाताप, पछतावा उसके मानसिक पटल पर छाया हुआ है. वह खामोश है, पर उसकी हालत पूरी पीड़ा बयां कर रही है.
विजय सिंह (vijay12november@gmail.com)
पटना : कॉलेज की लाइफ भी अजीब होती है. यहां हर कैरेक्टर मिलता है, हीरो और विलेन, पढ़ाकू और क्लास से बंक मारनेवाले भी. मजाकिया और तुनुक मिजाज. जवानी की दहलीज पर पैर रखने के साथ शुरू होती हैं कॉलेज की संगत और उसका असर. कोई पढ़ाकू लड़कों से खुद को जोड़ता है, तो कोई कॉलेज के दादा लोगों का करीबी होना अपनी सानी समझता है. दोस्ती अपने-अपने विचारों के हिसाब से होती है. ब्वायफ्रेंड भी बनते हैं और गर्लफ्रेंड भी.
ठीक यही हाल श्रेया श्रीवास्तव (19) और ममता मिश्रा (18) का भी है. कॉलेज में दादागिरी करनेवाले हिमांशु तिवारी (24) और शिवम वर्मा (21) का स्टाइलिस्ट पहनावा खूब भाता है. कलरफुल कपड़े, चश्मा और हाथ की अंगुलियों में चाबी का छल्ला नचाते हुए दोनों कॉलेज में घूमने आते हैं. लड़कियों पर फब्तियां कसना और किसी से मारपीट कर लेना उनकी शगल है. पर, श्रेया और ममता को इससे क्या लेना-देना. हिमांशु और शिवम की उन पर नजर-ए-इनायत जो है.
हिमांशु और शिवम की वजह से दोनों कॉलेज में खुद को सेफ महसूस करती हैं और जिसके तरफ इशारा कर दें, उनकी पिटाई तय है. हिमांशु यूपी के संत कबीर नगर जिले के खलीलाबाद इलाके में गाेरखल मुहल्ले का रहनेवाला है. हिमांशु के पिता काफी गुस्से वाले हैं, कुछ साल पहले उन्होंने हिमांशु की मां की पिटाई कर दी और फिर उसकी हत्या भी कर दी. पत्नी की हत्या के आरोप में जेल भेज दिये गये. मां परलोक सिधार गयी और पिता जेल में हैं. मां-बाप का इकलौता हिमांशु अब तनहा हो गया. उसका घर और वह घर का मालिक.
परिवार के इस बिखराव ने उसकी पढ़ाई बाधित कर दी. वह खलीलाबाद के जीपीएस इंटर कॉलेज में पढ़ता था, लेकिन जब पिता जेल गये, तो पढ़ाई से मुंह मोड़ लिया. पैसा कमाने का धुन सवार हुआ, तो शहर में अपराधी गैंग से गलबहियां कर लिया. वह जीपीएस इंटर कॉलेज को अपना अड्डा बनाया और गौसपुर के शिवम को अपना दोस्त. दोनों कॉलेज के डॉन बन गये. श्रेया व ममता हिमांशु के ही मुहल्ले की रहनेवाली थीं, इसलिए उसे बचपन से जानती थी. यह करीबियां कब प्रेम की शक्ल ले बैंठी श्रेया और ममता को समझ नहीं आया. हिमांशु और श्रेया प्यार कर बैठे, तो शिवम और ममता की भी नजदीकियां बढ़ गयीं. अब तो कॉलेज से बंक मारना इनकी आदत बन गयी.
श्रेया के पिता धर्मेंद्र श्रीवास्तव ज्वेलरी की दुकान चलाते हैं. उधर ममता के पिता जयचंद्र सरकारी स्कूल के शिक्षक हैं. उनकी पोस्टिंग बहराइच में है. जयचंद्र बहराइच में ही रहते हैं और परिवार गोरखल में. ममता के ब्वाय फ्रेंड शिवम का घर कुछ दूरी पर गौसपुर में है.
उसकी मां डूडा में कर्मचारी है. मां अक्सर घर से बाहर ही रहती है, जिससे शिवम भी फ्रीडम महसूस करता है. सुबह 10 बजे के बाद शिवम की मां ड्यूटी और अकेला शिवम अपने घर का मालिक बन जाता. शिवम और हिमांशु घर के खालीपन का लाभ उठाने का प्लान बनाया. यूं तो हिमांशु का भी घर खाली ही रहता था, लेकिन श्रेया और ममता उसी के मुहल्ले की थी, इसलिए वहां मिलना-जुलना संभव नहीं था. लेकिन शिवम का घर गोरखल से 600 मीटर दूर था, इसलिए मेल-जाेल का यह अड्डा सुरक्षित लगा.
दोनों ने एक दिन मिलकर प्लान बनाया और ममता व श्रेया को बहला-फुसला कर शिवम के घर पर ले अाया. प्रेम के नाम पर झूठे वादे किये गये और जाल में फंस चुकी श्रेया व ममता ब्वाय फ्रेंड के हाथों यौन शोषण की हरकतें झेलती रहीं. चारों अक्सर यहां मिलते थे. धीरे-धीरे गौसपुर में यह चर्चा का विषय बन गया. सात जनवरी, 2016 को भी यही हुआ. सुबह 10 बजे श्रेया और ममता कॉलेज जाने की बात कह घर से निकली. उधर शिवम के घर हिमांशु पहले ही पहुंच गया था. दोनों के बुलाने पर श्रेया व ममता वहां पहुंच गयीं.
जब वह घर में प्रवेश कीं, तो मुहल्ले के लोग वहां मौजूद थे, कानाफूसी शुरू हो गयी. तय हुआ कि आज इसका भंडाफोड़ कर दिया जाये, क्योंकि मुहल्ले की बदनामी भी हो रही थी. लोग आगे बढ़े और शिवम के घर का दरवाजा खटखटा दिया. जबरिया दरवाजा खोला गया. अंदर लोगों ने जो देखा उसका शक तो पहले से ही था. चारों आपत्तिजनक हाल में मिले. मुहल्लेवालों ने जम कर झाड़ लगायी. मामला बिगड़ता देख चारों साथी वहां से निकल गये.
हिमांशु और शिवम दोनों को हमेशा के लिए घर तो रख नहीं सकते थे, इसलिए घर से भागना ही रास्ता दिखा. बदनामी के डर से श्रेया और ममता घर जाने को तैयार नहीं थी. हिमांशु और शिवम का दिमाग काम नहीं कर रहा था. ज्यादा पैसा भी उनके पास नहीं था. ऐसे में श्रेया और ममता को किनारे बैठा कर दोंनों अापस में प्लान बनाने लगे, लेकिन कोई हल नहीं मिला.
सभी रास्ते बंद दिखे. उन्हें लगा कि ज्यादा देर तक लड़कियां साथ रहेंगी, तो गला फंसना तय है. यहां एक कहावत चरितार्थ होती है कि मरता क्या नहीं करता. हिमांशु और शिवम भी उसी रास्ते पर चले. साजिश यह हुई कि यूपी छोड़ कर बिहार में ही ट्रेन यात्रा के दौरान दोनों को मौत के घाट उतार दिये जायें. न दोनों जिंदा रहेंगी और न ही कोई बात होगी. बाद में अपने-अपने घर लौट जायेंगे. इधर श्रेया और ममता के घर में बैचनी छायी हुई है. ममता की मां ने उसके पिता को फोन कर यह जानकारी दी कि बेटी घर नहीं आयी है. उधर धर्मेंद्र के घर भी छटपटाहट है.
श्रेया के घरवाले ममता के घर पहुंचे पता लगाने, क्योंकि दोनों एक साथ कॉलेज भी साथ ही जाती थी. जब ममता के घरवालों को पता चला कि श्रेया भी घर नहीं लौटी है, तो होश उड़ गये. दोनों के अभिभावकों को बेटियों की हरकतों की थोड़ी-बहुत भनक पहले से थी. लेकिन, मामला इतना आगे बढ़ा है, उन्हें नहीं मालूम था.
इधर, आठ जनवरी की सुबह दोनों प्रेमी युगल नरकटियागंज स्टेशन पर मौजूद हैं. सुबह के पांच बजे हैं. हाजीपुर जानेवाली इंटरसिटी प्लेटफॉर्म पर लगनेवाली है. हिमांशु और शिवम ने टिकट खरीदी और ट्रेन में सवार हो गये. श्रेया और ममता समझ रही थीं कि हाजीपुर चलना है, वहां से कहीं और. वह बार-बार अपने ब्वायफ्रेंड का चेहरा देखतीं, हाथ-पर-हाथ रखतीं और फिर तेज होती धड़कनों को समझातीं कि कुछ नहीं, सबकुछ ठीक हो जायेगा. उनके दोस्त, उनके प्रेमी, जान न्योछावर करनेवाले साथी उनके साथ साये की तरह हैं, फिर डर कैसा. लेकिन, हिमांशु और शिवम के चेहरे पर फरेबी मुस्कान थी.
वे तनाव में थे. अपनी गर्ल फ्रेंड का सिर सहला कर साथ होने का भराेसा तो दिलाते थे, पर वे जानते थे कि वे क्या करने वाले हैं. अपने ही हाथों खुशियों का गला घोटना था, जिन्हें देख कर अच्छे दिन की शुरुआत होती थी, आज उन्हीं के साथ बुरा करना था. साथ रहने के वादे किये थे और हमेशा के लिए जुदा करने की साजिश हो चुकी थी. 6.20 बजे ट्रेन बेतिया पहुंची, तो श्रेया ने हिमांशु को जोर से हिलाया.
वह चौंक गया. उसने सवाल किया, इतने गुमसुम क्यों हो, क्या बात है, हिमांशु लड़खड़ाती जुबान से बोला- कुछ नहीं, बस यूं ही. बीच में शिवम कूद पड़ा, बोला कि हिमांशु प्लान बना रहा है, आगे क्या करना है, कहां जाना है, यह अंतिम मुस्कान थी श्रेया और ममता के मुख पर. इसके बाद शिवम ट्रेन के गेट पर पहुंचा और कुछ देर बाद ममता को बाहर का दृश्य दिखाने के बहाने गेट पर ले गया. दोनों गेट से बाहर का नजारा देख रहे थे. पीछे से हिमांशु और श्रेया भी आये. वे दूसरी तरफ वाले गेट पर खड़े हो गये.
ट्रेन बेतिया से आगे बढ़ रही थी. साजिश पहले से ही सेट था, बस इंतजार था सुनसान जगह का. इस बीच ट्रेन बारी टोला गुमटी के पास पहुंची, ट्रेन फुल स्पीड में है. श्रेया और ममता गेट के पायदान पर खड़ी हैं और हिमांशु और शिवम दोनों के पीछे. अचानक से हिमांशु ने जोर से धक्का मारा और श्रेया ट्रेन के नीचे चली गयी. पलक झपकते ही शिवम ने भी यही किया और ममता को चलती ट्रेन से फेंक दिया. ट्रेन आगे बढ़ गयी, दोनों दोस्त घबराये हुए तो थे, लेकिन लग रहा था कि किसी मुसीबत से पीछा छूट गया. दोनों अपने-अपने सीट पर आ गये.
शुक्रवार का दिन है. सुबह के 6.35 बजे हुए हैं. बारी टोला गुमटी के पास भीड़ जमा है. बेतिया जीआरपी प्रभारी सुनील प्रकाश राव व मुफस्सिल प्रभारी सुनील प्रसाद मौके पर पहुंचे हैं.
श्रेया के सिर और हाथ में गहरे जख्म दिख रहे हैं. उनकी मौत हो चुकी है. वहीं ममता घायलावस्था में पड़ी है. दोनों को बेतिया के महारानी जानकी कुंवर सदर अस्पताल में लाया गया. वहां श्रेया को मरचरी हाउस में भेजा गया, जबकि ममता को इमरजेंसी वार्ड में भरती कराया गया. इस दौरान पुलिस को दोनों लड़कियों के हाथ पर गोदना से लिखा हुआ उनका नाम मिला, जिससे उनकी शिनाख्त हुई. उधर दोपहर में ममता को होश आया.
उसने अपने पिता का मोबाइल नंबर दिया. जयचंद्र और धर्मेंद्र पूरे परिवार के साथ बेतिया पहुंचे. उधर ममता के घरवाले उसे लेकर गोरखपुर चले गये. वहां रचित हॉस्पिटल में ममता का इलाज चल रहा है. वहीं हिमांशु और शिवम अब तक फरार चल रहे हैं. (इनपुट : बेतिया ब्यूरो प्रभारी गणेश वर्मा व रिपोर्टर करुणेश केशव).

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