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बेड पर सोना और बेड पर ही पढ़ना

पटना: बुधवार को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कदमकुआं स्थित पिछड़ा/अति पिछड़ा वर्ग बालिका आवासीय विद्यालय में बड़े चाव से भोजन खाया. उन्होंने इसकी तारीफ भी की थी. लेेकिन, भोजन के अलावा और भी ऐसी कई चीजें हैं, जिनकी कमी यहां की छात्राएं झेल रही हैं. सबसे बड़ी कमी क्लासरूम की है. आलम यह है कि […]

पटना: बुधवार को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कदमकुआं स्थित पिछड़ा/अति पिछड़ा वर्ग बालिका आवासीय विद्यालय में बड़े चाव से भोजन खाया. उन्होंने इसकी तारीफ भी की थी. लेेकिन, भोजन के अलावा और भी ऐसी कई चीजें हैं, जिनकी कमी यहां की छात्राएं झेल रही हैं. सबसे बड़ी कमी क्लासरूम की है. आलम यह है कि जिस रूम में वे रहती हैं, वही उनका क्लासरूम भी है. जिस बेड पर वे सोती हैं, वही उनके क्लासरूम का बेंच-डेस्क भी हैं.

245 छात्राओं के लिए महज 18 कमरे
यहां कुल 280 सीटें हैं. इनमें अभी नामांकित लड़कियों की संख्या 245 है. इनके रहने के लिए कुल 18 कमरे हैं. यानी एक कमरे में 13 से ज्यादा लड़कियां रहती हैं. यहां 10 शिक्षक भी हैं. लड़किया, जिस कमरे में सोती आैर रहती हैं, उसी में क्लास भी करती हैं. एक बेड पर पांच से छह बच्चियां पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

बेड भी सपाट नहीं और यह दो मंजिला है. इससे क्लास के दौरान लड़कियों का हिलना-डुलना भी बंद हो जाता है. टीचर जब उन्हें पढ़ाती हैं, तो उनकी गरदन भी टेढ़ी हो जाती हैं. भवन के चारो ओर मकान बने होने से कई कमरे एेसे भी हैं, जहां बाहर की रोशनी नहीं आ पाती है. इससे बिना बिजली बच्चियां पढ़ भी नहीं पाती थीं. हालांकि, उपमुख्यमंत्री ने विद्यालय में जनरेटर की सुविधा ताे तत्काल मुहैया करा दी है. इससे बिजली गुल होने की परेशानी दूर हो गयी है.
छत पर ही असेंबली
भवन दो मंजिला है. कैंपस के अंदर इतनी जगह नहीं कि लड़कियों की असेंबली हो सकें. इसके लिए छत पर व्यवस्था की गयी है. इसके अलावा भवन में लड़कियाें के लिए कोई ऐसा कमरा नहीं जहां, वे खाना खा सकें. इससे तीनों समय का खाना भी छत पर ही होता है. छत पर रसाेई घर के साथ-साथ शौचालय भी है.
एक बेड पर दो छात्राएं
हर कमरे में सिंगल-सिंगल दो मंजिला बेड लगा है. एक बेड में दो-दो लड़कियों को सोना पड़ता है. क्योंकि, अधिक बेड लगाने के लिए जगह नहीं है.
भवन के पीछे गंदगी का अंबार
छात्रावास भवन के पीछे गंदगी का अंबार फैला है. इसकी बदबू से बचने के लिए खिड़कियों को अक्सर बंद रखना होता है. रसोईघर का राशन भी सीढ़ी के निकट रख जाते हैं.
शौच के लिए लंबी लाइन
245 लड़कियों के लिए सिर्फ छह शौचालय है. इस वजह से लड़कियों को लंबी लाइन लगनी होती है. शौचालय की सफाई भी बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है.
विजिटर रूम भी नहीं
छात्रावास में रहने वाली लड़कियों के पैरेंटस अक्सर मिलने-जुलने आते हैं. पर, उनके लिए कोई भी विजिटर कमरा नहीं है. इससे उन्हें कभी सीढ़ियों के नीचे तो कभी बाहर ही मिलकर जाना पड़ जाता है. लड़कियों के लिए खेल-कूद की भी कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण उनका पूर्ण विकास नहीं हो पाता है.
तीसरी मंजिल के निर्माण के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है. इसके बाद क्लास रूम की समस्या दूर हो सकेगी.
सुदंर प्रसद चौरसिया जिला कल्याण पदाधिकारी
लड़कियों को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है. लड़कियां बोर्ड परिक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं. शिक्षक रेगुलर क्लास लेती हैं.
नीलम कुमारी, प्राचार्य, आवासीय विद्यालय

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