बिहार : अनंत समेत तीन दर्जन की संपत्ति होगी जब्त

पटना : राज्य में जिन अपराधियों ने आपराधिक कार्यों की बदौलत संपत्ति जमा की है, उन्हें जब्त किया जायेगा. इस सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) और आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने संयुक्त रूप से कार्रवाई शुरू कर दी है. इस तरह के करीब तीन दर्जन से अधिक अपराधियों को चिंहित किया गया है, जिनकी संपत्ति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2016 1:28 AM
पटना : राज्य में जिन अपराधियों ने आपराधिक कार्यों की बदौलत संपत्ति जमा की है, उन्हें जब्त किया जायेगा. इस सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) और आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने संयुक्त रूप से कार्रवाई शुरू कर दी है. इस तरह के करीब तीन दर्जन से अधिक अपराधियों को चिंहित किया गया है, जिनकी संपत्ति जब्त होगी.

इनमें माेकामा के निर्दलीय विधायक अनंत कुमार सिंह, विधान पार्षद रीतलाल यादव भी शामिल हैं. इनकी संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया करीब अंतिम दौर में चल रही है. इडी ने इन सभी अपराधियों पर इनफोर्समेंट केस इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट (इसीआइआर) दर्ज कर ली है. विशेष न्यायालय से जैसे-जैसे इनसे जुड़े मुकदमे में अंतिम आदेश मिलता जायेगा, इडी और इओयू की टीम संयुक्त रूप से इन अपराधियों की संपत्ति जब्त करती जायेगी. इनमें करीब एक दर्जन अपराधी ऐसे हैं, जिनकी संपत्ति आनेवाले कुछ ही महीनों में जब्त होने की संभावना है.

इनकी संपत्ति जब्त होने की कगार पर
करीब एक दर्जन अपराधी ऐसे हैं, जिनकी संपत्ति अगले कुछ महीनों में ही जब्त हो सकती है. इनके मामले की सुनवाई अंतिम चरण में चल रही है. इनमें अशोक यादव (समस्तीपुर), संजय प्रताप, मो नौशाद (मुंगेर), सनोज यादव (मुंगेर) समेत अन्य अपराधी शामिल हैं.
अब तक पांच की हो चुकी जब्त
तीन दर्जन में पांच ऐसे अपराधी हैं, जिनकी संपत्ति अब तक जब्त हो चुकी है. इनमें राजकुमार उर्फ मंटु यादव (गया), सुरेश नट (बेगूसराय), सन्नी प्रियदर्शी (पटना), खीखर व मखरू सिंह (लखीसराय) और रीतलाल यादव (दानापुर) हैं. रीतलाल की संपत्ति एक बार जब्त हो चुकी है, लेकिन कुछ अन्य कारणों से इनकी संपत्ति फिर से जब्त की जा सकती है.
इओयू को केंद्र से अब तक नहीं मिला अिधकार
तीन दर्जन अपराधियों में करीब दो दर्जन अपराधी ऐसे हैं, जिनकी संपत्ति पांच करोड़ से कम या पांच करोड़ के आसपास है. इसके अलावा दर्जन भर अपराधी ऐसे हैं, जिन्होंने करोड़ों में संपत्ति जमा कर रखी है. गौरतलब है कि पांच करोड़ तक के मामले की सुनवाई का अधिकार इओयू ने अपने पास लेने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय को कई बार पत्र लिखा है, लेकिन इसका अधिकार नहीं प्राप्त हो सका. इस कारण इस तरह के सभी मामलों की सुनवाई इडी ही कर रहा है. इडी के पास ऐसे मामलों की संख्या बहुत ज्यादा होने से इनमें कार्रवाई में देरी हो रही है.

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