बुक किया है एसकेएम : जदयू
कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाने का मामला जदयू प्रवक्ताओं का दावा, पेश किये दस्तावेज पटना : जननायक कर्पूरी ठाकुर की 24 जनवरी को जयंती के मनाने के लिए जदयू ने श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल बुक करने का दावा किया है. साथ ही इसके दस्तावेज भी पेश किये हैं. शनिवार को पार्टी कार्यालय में मुख्य प्रवक्ता संजय […]
कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाने का मामला
जदयू प्रवक्ताओं का दावा, पेश किये दस्तावेज
पटना : जननायक कर्पूरी ठाकुर की 24 जनवरी को जयंती के मनाने के लिए जदयू ने श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल बुक करने का दावा किया है. साथ ही इसके दस्तावेज भी पेश किये हैं. शनिवार को पार्टी कार्यालय में मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह, नीरज कुमार, डाॅ अजय आलोक, नवीन आर्या, रवींद्र सिंह ने संयुक्त प्रेस काॅन्फ्रेंस कर यह दावा पेश किया.
विधान पार्षद सह जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि जदयू ने 26 फरवरी, 2015 को ही श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल आवंटित करने के लिए आवेदन दे दिया था, जिसमें 24 जनवरी, 2016 को एसकेएम बुक कराने की बात कही गयी थी. इसके बाद जदयू ने एक नवंबर, 2015 को ही पंजाब नेशनल बैंक का डिमांड ड्रॉफ्ट दे दिया गया था, जबकि भाजपा की ओर से 24 नवंबर, 2015 को ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का बैंक ड्राफ्ट दिया गया था.
बावजूद इसके भाजपा दावा कर रही है. उनका दावा निराधार है. भाजपा तथ्यों को नहीं मान रही है और अब कोर्ट जाने का दावा कर रही है. संजय सिंह ने कहा कि इस मामले में पटना प्रमंडल के आयुक्त कार्यालय के श्रीकृष्ण स्मारक विकास समिति के क्षेत्रीय योजना पदाधिकारी ने भाजपा के प्रदेश महामंत्री सुधीर कुमार शर्मा को इसकी जानकारी भी दे दी है.
15 दिसंबर और उसके बाद 15 जनवरी को भी भेजे गये पत्र में बताया गया है कि उस तिथि में हॉल का आरक्षण देना संभव नहीं है.
हॉल के बुकिंग में बैंक ड्राफ्ट जमा किया गया है उसका सिर्फ रसीद देने से हॉल की बुकिंग नहीं मानी जायेगी. क्षेत्रीय योजना पदाधिकारी ने बताया है कि जदयू ने फरवरी, 2015 को आवेदन दिया था, जबकि भाजपा ने नवंबर, 2015 में आवेदन दिया.
जदयू के प्रवक्ता व विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि भाजपा 30 दिनों तक चुप क्यों थी. 15 दिसंबर के बाद अब 15 जनवरी को आवाज निकल रही है. बुकिंग में अगर गड़बड़ी थी तो एक महीने के बाद क्यों बोल रहे हैं. लोगों के बीच भ्रम फैलाने के लिए वे ऐसा कर रहे हैं. वे कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाना नहीं चाहते हैं. वे सिर्फ ओछी राजनीति करना चाहते हैं.