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तेजस्वी, तेज प्रताप के खिलाफ मुकदमा वापस लेने पर भड़की बीजेपी

पटना : बिहार में प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद समेत 262 लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने पर आज राज्य सरकार से पूछा है कि उसने ऐसा करके क्या पटना उच्च न्यायालय की अवमानना नहीं की है? भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज यहां एक प्रेस […]

पटना : बिहार में प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद समेत 262 लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने पर आज राज्य सरकार से पूछा है कि उसने ऐसा करके क्या पटना उच्च न्यायालय की अवमानना नहीं की है? भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज यहां एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राज्य सरकार से पूछा है कि क्या उसने राजद प्रमुख लालू प्रसाद समेत 262 लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेकर क्या पटना उच्च न्यायालय की अवमानना नहीं की है. सुशील ने कहा कि जब इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर पटना उच्च न्यायालय कार्रवाई कर रही है तो मुकदमे वापस लेने के पहले क्या सरकार ने उच्च न्यायालय से अनुमति ली थी.

उन्होंने पूछा कि क्या सरकार उन हजारों मुकदमों को भी वापस लेगी जो विभिन्न सेवा संघों, कर्मचारी संगठनों और नागरिकों की ओर से धरना प्रदर्शन और सड़क जाम के दौरान उनके खिलाफ किये गये हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील ने आरोप लगाया कि नीतीश सरकार इस कदर लालू प्रसाद के दबाव में काम कर रही है कि जन आंदोलनों, धरना, प्रदर्शन और सड़क जाम से जुड़े हजारों मुकदमों में से केवल लालू प्रसाद से जुडे मुकदमों को वापस लेने का निर्णय करती है. अगर सरकार लालू प्रसाद के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस ले सकती है तो इस तरह के अन्य हजारों मुकदमों को वापस क्यों नहीं लेगी.

उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या नीतीश कुमार अब जदयू एवं राजद के सांसदों तथा विधायकों के आपराधिक मुकदमों को भी वापस ले लेंगे. क्या लालू प्रसाद के दबाव में सरकार मोहम्मद शहाबुद्दीन जैसों को भी खुला छोड देगी? सुशील ने आरोप लगाया कि गत 11 जनवरी को राजद के 27 जुलाई 2015 के बिहार बंद पर पटना उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि पुलिस बंद के दौरान उपद्रवियों से ऐसे निपट रही थी जैसे बंद को सरकार का समर्थन हो.

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपनी पिछली सुनवाई के दौरान बिहार के मुख्य सचिव को विस्तृत हलफनामा दायर कर कई सवालों के साथ यह बताने का आदेश दिया था कि बंद से कितने की आर्थिक क्षति हुई. सुशील ने कहा कि उच्च न्यायालय ने बंद से हुई आर्थिक क्षति की भरपाई के लिए बंद कराने वाली पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष को पक्ष रखने के लिए भी कहा है. इस मामले की उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई पहली फरवरी को होने वाली है. उन्होंने आरोप लगाया कि दरअसल यह नीतीश कुमार की बेचारगी है कि अपनी कुर्सी बचाये रखने के लिए उन्हें एक-एक कर अनेक समझौते करने और लालू प्रसाद के आगे घुटने टेकने पड़ रहे हैं. सुशील ने आरोप लगाया कि आने वाले दिनों में नीतीश कुमार को लालू प्रसाद के दबाव में ऐसे कई और निर्णय लेने पड़ेंगे जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी.

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