पटना: ‘अच्छा हैं, तो बेहतर हैं.’ टीवी के विज्ञापनों में इस जुमले का इस्तेमाल हर कोई बोलचाल की भाषा में करता है. पर, जल संसाधन विभाग में ऐसा नहीं है. विभाग के जो अभियंता ‘अच्छा हैं’, उन्हें डिमोट कर दिया गया. राज्य सरकार की इस अजीबोगरीब नीति के शिकार विभाग के नौ अधीक्षण अभियंता हुए हैं. इन अभियंताओं के सीआर पर ‘अच्छा हैं’ लिखा गया था. नौ अक्तूबर को हुई विभागीय प्रोन्नति समिति-डीपीसी ने इन अभियंताओं को प्रोमोशन के योग्य नहीं माना. इस कारण पूर्व में प्रोमोट किये गये नौ अधीक्षण अभियंता को डिमोशन करते हुए कार्यपालक अभियंता बना दिया गया है.
सरकार की इस नीति के विरोध में ऐसे अभियंताओं में कुछ वीआरएस लेने की सोच रहे हैं, तो कुछ हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटानेवाले हैं. जानकारी के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग ने 30 मार्च 2011 को वित्त विभाग के नियमों का हवाला देते हुए यह आदेश जारी किया था कि एमएसीपी का लाभ मिलने में ‘अच्छा हैं’ को नहीं माना जायेगा. साथ ही प्रोमोशन के लायक भी नहीं माना जायेगा. वैसे अभियंताओं के सीआर-चारित्री मूल्यांकन पर आलाधिकारियों ने कर्मठ, योग्य, लगनशील व मेहनती जैसे शब्द भी लिखे. सीआर में ‘उत्तम’ लिखे जाने पर उसे उत्कृष्ट और ‘प्रोन्नति के योग्य’ या ‘संतोषजनक’ लिखे जाने पर अच्छा माना गया.
कर्मठ, योग्य व मेहनती को भी ‘अच्छा’ की श्रेणी में ही माना गया. 24 मई 2011 को इस आदेश में संशोधन करते हुए सरकार ने ‘प्रोन्नति के योग्य’ को ‘बहुत अच्छा’ वर्ग में माना. सामान्य प्रशासन विभाग का यह आदेश लागू होने से पहले विभाग के अभियंताओं का सीआर लिखा जा चुका था. इसमें परिवर्तन की कोई गुंजाइश नहीं रही. नतीजतन, सीआर में ‘अच्छा’ लिखे जाने पर भी एमएसीपी से वंचित हो गये. प्रोमोशन नहीं दिया गया और अब तीन दिसंबर को अधीक्षण अभियंता को डिमोशन कर कार्यपालक अभियंता बना दिया गया है. इन लोगों ने इसी वर्ष दो जनवरी को अधीक्षण अभियंता का पदभार संभाला था.
ये हुए डिमोट
डिमोट हुए अधीक्षण अभियंताओं में अनिल कुमार, दिनेश कुमार, भरत पूर्वे, विनोद कुमार साहा, अशोक कुमार, मो रजीउद्दीन, राज कुमार सिन्हा, सच्चिदानंद प्रसाद सिंह व शिव प्रकाश शामिल हैं.