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सुभाष चंद्र बोस को सुनने उमड़ पड़ती थी बिहार की जनता
मिथिलेश पटना : नेता जी सुभाष चंद्र बोस के प्रति बिहार में गजब का क्रेज था. उनमें भी बिहार से गहरा लगाव था. कांग्रेस में होते हुए उन्होंने बिहार के कई जगहों का दौरा किया. सुभाष बाबू के नाम से उनकी सभाओं में किसान, छात्र, मजदूर, आम लोग खींचे चले आते थे. महिलाएं और स्कूली […]
मिथिलेश
पटना : नेता जी सुभाष चंद्र बोस के प्रति बिहार में गजब का क्रेज था. उनमें भी बिहार से गहरा लगाव था. कांग्रेस में होते हुए उन्होंने बिहार के कई जगहों का दौरा किया. सुभाष बाबू के नाम से उनकी सभाओं में किसान, छात्र, मजदूर, आम लोग खींचे चले आते थे. महिलाएं और स्कूली लड़कियां भी खूब उन्हें सुनने आती थीं.
पटना के बांकीपुर, दानापुर के कच्ची तालाब, आरा नागरी प्रचारिणी सभा और जहानाबाद की किसान सभा में वे शरीक हुए. इस दौरान हजारों की संख्या में लोग उनको देखने और सुनने आये. अंग्रेजी हुकुमत सुभाष चंद्र बोस से इतनी घबराती थी कि उनकी एक-एक सभा की पूरी जानकारी रखी जाती थी. उनकी सभा में सादे वेश में पुलिस के जवान तैनात होते थे. स्पेशल ब्रांच के अधिकारियों की डयूटी लगायी जाती थी और उनकी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को भेजी जाती थी.
सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर बिहार सरकार के अभिलेखागार में एक फोटो प्रदर्शनी लगायी गयी है. जिसमें उनके बिहार और झारखंड अाने जाने तथा मैट्रिक से आइसीएस में चयन तक की विस्तार से जानकारी दी गयी है. पटना जिले के बाढ़ में उन्हें स्थानीय लोगों ने एक प्रशस्ति पत्र दिया जिसमें लिखा था आप आजादी का बिगूल फूंको, हम आपके साथ दम से खड़े हैं.
अभिलेखागार की रिपोर्ट के मुताबिक सुभाष चंद्र बोस की 27 अगस्त, 1939 को खगौल स्टेशन के पीछे कच्ची तालाब इलाके में सभा हुई थी. दोपहर में हुई सभा में तीन हजार से अधिक लोग इक्ट्ठा हुए थे. दानापुर रेलवे स्टेशन पर जब सुभाष बाबू उतरे तो उनके स्वागत में पहुंची भीड़ ने हाथी और उंट के काफिले से उन्हें मीटिंग स्थल तक ले जाया गया.
उनका गर्म जोशी के साथ स्वागत हुआ. स्वागत कमेटी के अध्यक्ष सगीर अहसन ने उनका स्वागत किया और अंग्रेजी में उनके बारे मे वेलकम स्पीच दिया. एक बंगाली लड़की ने लिखित स्वागत भाषण बढी और सुभाष बाबू ने हिंदी में अपना भाषण दिया. खगौल के बाद सुभाष बाबू की सभा पटना सिटी के मंगल तालाब इलाके में हुई.
इस संबंध में पटना के तत्कालीन जिलाधिकारी एमजेड खान ने मुख्य सचिव को उनके पटना में हुई सभी सभाओं और उनके भाषण की लिखित जानकारी दी. सुभाष बाबू ने इसी दिन पटना के गांधी मैदान जिसे उन दिनों बांकीपुर मैदान कहा जाता था, सुभाष चंद्र बोस की सभा हुइ थी.
तत्कालीन दस्तावेज बताते हैं कि शाम पांच बजे हुई इस सभा में उस समय 10 से 15 हजार लोग सुभाष बाबू को सुनने आये थे. इतनी भीड़ को पुलिस संभाल नहीं सकी थी. शाम के समय अंधेरा हो चुका था, इसके बावजूद हजारों की संख्या में लोग सुभाष चंद्र बोस को सुनने आये थे. इनमें सभी तबके के लोग शामिल थे. सुभाष चंद्र बोस अपनी इस तीन दिनों की यात्रा में 26 अगस्त, 1939 को मुजफ्फरपुर के तिलक मैदान में एक बड़ी सभा को संबोधित किया था.
उत्साहित लोगों ने सुभाष बाबू को हाथी पर था चढ़ाया
28 अगस्त, 1919 को वे आरा पहुंचे. यहां उन्होंने नागरी प्रचारिणी सभा की ओर से आयोजित बैठक को संबोधित किया. इस सभा में चार हजार से अधिक लोगों की भीड़ जमा हुई थी. उत्साहित लोगों ने सुभाष बाबू को हाथी पर चढा कर सभा स्थल पर ले गयी. करीब दो मील तक पूरे रास्ते को झंडा और बैनर से पाट दिया गया था. आठ फरवरी 1940 को सुभाष बाबू जहानाबाद के ठाकुरबाड़ी आये थे. इस समय उनके साथ स्वामी सहजानंद सरस्वती भी थे.
जहानाबाद की सभा में भाग लेने वे दिन के 12 बजे ही पहुंच गये थे. लेकिन, एक छोटी नदी मे उनकी कार फंस गयी थी. इसके कारण् वे ठाकुरबाड़ी स्थित सभा स्थल पर पांच बजे शाम को पहुंच पाये. जहानबाद स्टेशन पर उतरने पर उनका जयकारे के साथ भीड़ ने स्वागत किया था. वे 24 और 25 दिसंबर, 1939 को दरभंगा और मुंगेर जिले का दौरा किया. तत्कालीन दरभंगा जिले के समस्तीपुर शहर, वारिसनगर आदि इलाके में उन्होंने किसानों को संबाेधित किया था. यहां तीन हजार से पांच हजार लोग उन्हें सुनने पहुंचे थे.
समस्तीपुर स्टेशन पर एक हजार से अधिक लोगों ने उनका स्वागत किया और नाम के जयकारे लगाये. जमालपुर में तीन हजार की भीड़ की उनकी सभा हुई और मुंगेर के तिलक मैदान में उन्होंने किसान और आम लोगों को संबाेधित किया. वे लखीसराय भी आये, यहां उन्होंने आम लोग, किसान, छात्र संघ और सनातन धर्म सभा के लोगों से मुलाकात की. लखीसराय से पटना आने के क्रम में मोकामा स्टेशन पर गाड़ी रूकी तो भीड़ ने उन्हें घेर लिया. उनके स्वागत में दो सौ से अधि लोग जुट आये थे. जिनमें रेलवे स्टेशन के कर्मचारी, छह बंगाली महिलाएं और मोकामा आर्य कन्या पाठशाला की 10 छोटी लड़कियां भी शामिल थी.
बाढ में स्थानीय लोगों ने उन्हे प्रशस्ति पत्र दिया. पत्र में उन्हें असहायों का एकमात्र संरक्षक, युवकों के हृदय सम्राट और अग्रगामी दल के अगुवा से संबोधित किया गया था.
सुभाष चंद्र बोस का बिहार आगमन
1. आठ फरवरी, 1940 जहानाबाद, ठाकुरबाड़ी
2. 24 और 25 दिसंबर, 1939- दरभंगा और मुंगेर
3. 27 अगस्त, 1939, गांधी मैदान पटना, पटना सिटी के मंगल तालाब और दानापुर सिनेमा घर और ख्गौल के कच्ची तालाब
4. 1939 में लखीसराय
5. 28 अगस्त, 1939, आरा नागरी प्रचारिणी सभा की बैठक में शामिल हुए
6. 26 अगस्त, 1939, मुजफरपुर तिलक मैदान
आत्महत्या की घटनाओं की जांच के लिए न्यायिक आयोग का हो गठन : शिवानंद
पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने केंद्र सरकार से पिछले 10 सालों में शैक्षणिक संस्थानों में हुई आत्महत्या की घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन की मांग की है. उन्होंने शुक्रवार को बयान जारी कहा कि हैदराबाद में दलित छात्र रोहित द्वारा आत्महत्या पहली घटना नहीं है. इसके पहले 2013 में हैदराबाद में एमए (भाषा शास्त्र)के विद्यार्थी राजू ने आत्महत्या की थी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को दोनों मंत्रियों को बर्खास्त करना चाहिए.
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