चुनाव की हारी बाजी को भाजपा बदलेगी पंचायत चुनाव में

पटना : भाजपा ने पंचायत चुनाव के लिए कमर कस ली है. चुनाव दलीय आधार पर नहीं हो रहा है, लेकिन पार्टी विधान सभा चुनाव की हारी हुई बाजी को पंचायत चुनाव में अपने पक्ष में करना चाहती है. इसके लिए पार्टी ने रणनीति भी बनायी है. इसके जरिये पार्टी ग्रामीण क्षेत्र में अपने आधार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2016 7:57 AM
पटना : भाजपा ने पंचायत चुनाव के लिए कमर कस ली है. चुनाव दलीय आधार पर नहीं हो रहा है, लेकिन पार्टी विधान सभा चुनाव की हारी हुई बाजी को पंचायत चुनाव में अपने पक्ष में करना चाहती है.
इसके लिए पार्टी ने रणनीति भी बनायी है. इसके जरिये पार्टी ग्रामीण क्षेत्र में अपने आधार को और मजबूत बनायेगी. पार्टी ने इसके लिए खासकर पिछड़े व अतिपिछड़ों पर फोकस किया है. इसे समाज में पैठ रखनेवाले नेताओं को खास जिम्मेवारी दी जायेगी. अप्रैल-मई में होनेवाले पंचायत चुनाव को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीति की बिसात बिछने लगी है. भाजपा ने पहली बार पंचायत चुनाव में काफी दिलचस्पी दिखलायी है. खासकर जिला परिषद, मुखिया व पंचायत समिति सीटों पर उसकी नजर है. विधानसभा चुनाव में पार्टी ने काफी उम्मीद लगा रखी थी, लेकिन सबसे अधिक वोट 93 लाख से अधिक आने के बाद भी पार्टी सत्ता से काफी दूर रही. भाजपा ने पंचायत चुनाव को लेकर गुपचुप रणनीति बनायी है.
पार्टी ने अभी से ही अपने नेताओं को पंचायत चुनाव की तैयारी में जुट जाने के कहा है. पार्टी ने रणनीति है कि कम से कम इन तीनों पद के लिए उसके एक- एक कार्यकर्ता ही चुनाव मैदान में उतरे.
इसके लिए पार्टी ने जिलाध्यक्षों. वर्तमान और पूर्व विधायकों को सर्वानुमति बनाने को कहा है.पार्टी अधिक से अधिक जिला परिषद अध्यक्ष. प्रमुख व मुखिया पद पर कब्जा चाहती है. पार्टी नेताओं का मानना है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में उनका आधार भी मजबूत होगा और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी लाभ मिलेगा. राज्य में जिला परिषद अध्यक्ष के 38. प्रमुख के 534 और मुखिया के 8397 पद हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में आधार बढ़ाने की उद्देश्य से ही पहली बार बूथ स्तर पर अपनी प्राथमिक कमेटी बनायी है.

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