आरक्षण के कोटे में बढ़ोत्तरी हेतु नियमों में आवष्यक संशोधन करने के लिए बिहार विधानमंडल का विशेष सत्र आहूत किया जाये. 2009 से वर्ष 2015 के बीच 17 जातियों व उपजातियों को जहां अत्यंत पिछड़ा वर्ग में तो वहीं कुछ जातियों व उपजातियों को अनुसूचित जाति की सूची में भी शामिल किया गया है. अत: आरक्षण हेतु निर्धारित कोटे का बचे हुए 13 प्रतिशत को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए.
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ओबीसी, एससी व एसटी का आरक्षण बढ़ाएं : सुशील मोदी
पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर मांग की है त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के विभिन्न एकल पदों मुखिया, प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष आदि के निर्वाचन हेतु आरक्षण का कोटा अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति के लिए 16 प्रतिशत […]
पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर मांग की है त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के विभिन्न एकल पदों मुखिया, प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष आदि के निर्वाचन हेतु आरक्षण का कोटा अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति के लिए 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 19 प्रतिशत कर दिया जाये. इन पदों के निर्वाचन हेतु अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए मात्र एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है, जिसे बढाने पर भी विचार किया जा सकता है.
उन्होंने लिखा है कि भाजपा गठबंधन की सरकार में ही त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत विभिन्न एकल पदों के निर्वाचन हेतु अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 20 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिए 16 प्रतिशत एवं अनुसूचित जनजाति के लिए 1 प्रतिशत सीटों पर आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। बचे हुए कोटे का आरक्षण बढ़ाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के निदेशानुसार 50 प्रतिशत पदों को आरक्षित किया जा सकता है.
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