आशुतोष के पांडेय
पटना : जनता दरबार. जी हां, बिहार के सत्ता की बागडोर अपने हाथों में लेने के बाद नीतीश कुमार ने जनता की शिकायतों के निबटारे के लिये जनता दरबार की शुरुआत की. पांचवी बार सत्ता संभालने के बाद वह दरबार आज एक बार फिर लगा. फरियादी भी भारी संख्या में आये. जनता दरबार की भीड़ ने यह बता दिया कि दरबार में दर्द बताने वाले आज भी कम नहीं हुये हैं. कहीं फरियादी फफक कर रोये तो किसी ने अपनी आवाज ऊंची करके हंगामा भी किया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कभी नजरें उठाकर उन्हें देखा तो कभी हंगामा करने वाले को पब्लिसिटी स्टंट बताया. नये साल के पहले महीने में गृह विभाग,पुलिस, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के साथ समान्य प्रशासन और निबंधन विभाग से जुड़े आम लोगों की समस्याओं के लिये दरबार लगा था. विभाग से जुड़े अधिकारी मुस्तैद थे वहीं मुख्यमंत्री मैराथन सुनवाई में व्यस्त थे.
पहले जाकर आत्महत्या कर लो
बिहार में मुख्यमंत्री से आमजनों के सहज मुलाकात का जरिया बना जनता दरबार फरियादियों की लंबी कतार से आज भी सज जाता है. सवाल यहां यह भी उठता है कि कि क्या कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बार-बार जनता दरबार आते हैं और उनकी समस्याओं का निपटारा नहीं होता ? आज जनता दरबार में कुल 1007 लोगों की फरियादें सुनी गयी. जनता दरबार फरियादियों से खचाखच भरा था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा की तरह सुरक्षाकर्मियों से घिरे एक-एक कर लोगों का आवेदन ले रहे थे. वह आवेदनों को स्वयं पढ़कर संबंधित विभाग के संबंधित पदाधिकारी को भेज दे रहे थे. इस बीच दरबार में कुछ ऐसे फरियादी आये जिनकी समस्या ने लोगों को झकझोर कर रख दिया. इन्हीं फरियादियों में से एक थीं नवादा के वारसिलीगंज की रहने वाली सीता देवी. सीता देवी जार-जार रो रही थीं. इनकी दो बेटियों को जिनका नाम रागिनी और राधमनी है उन्हें 21 अगस्त 2015 को दबंगों ने अपहरण कर लिया था. सीता देवी ने बताया कि शिकायत करने पर उन्हें आज भी उठा लेने की धमकी दी जाती है. सीता देवी ने कहा कि मुझे इंसाफ और मेरी बेटियां नहीं मिली तो मैं जिंदा रहकर क्या करूंगी. मैं भी आत्मदाह कर लूंगी. मुख्यमंत्री ने सीता देवी की समस्या को वरिष्ठ पुलिस पदाधिकारी और आईजी एटीएस कुंदन कृष्णनन के पास भेजा. अधिकारी ने भरोसे के दो शब्द बोलने की जगह कह दिया जाओ पहले आत्महत्या ही कर लो.सीता देवी संतुष्ट तो नहीं दिखी लेकिन रोते हुये यह जरूर कहा कि इंसाफ नहीं मिला तो मैं भी जिंदा क्या करूंगी.
मैं पीएचडी हूं मुझे नौकरी दे दीजिए
दरबार में भांति-भांति के फरियादी जुटे. फरियाद के लिये पहुंचे एक युवक ने मुख्यमंत्री से कहा कि सर मैं पीएचडी कर रहा हूं. कहीं चपरासी का भी नौकरी दिलवा दीजिए. मैं विकलांग हूं. कई मेडल जीत चुका हूं. मैं जनता दरबार में 10 बार आ चुका हूं. बस मुझे नौकरी दे दीजिये. जहानाबाद के अजीत की यह फरियाद भी मुख्यमंत्री ने सुनी और उसके सर्टिफिकेट देखकर नौकरी तो अभी नहीं दी आश्वासन जरूर दिया. लड़के का कहना था कि नीतीश कुमार ने एक बार घोषणा की थी कि मेडल लाओ नौकरी पाओ. अजीत आज भी इस आस में जनता दरबार में अपना दर्द बताने चला आता है क्योंकि उसे भरोसा है दस बार आश्वासन मिला है इस बार कहीं नौकरी ही ना मिल जाए. पटना के कच्ची दरगाह से जमीन पर दबंगों के कब्जे की शिकायत लेकर पहुंची मुन्नी देवी को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपना आवेदन मुख्यमंत्री के सामने फेक दिया. मुन्नी देवी ने सीएम पर आरोप लगाया मुख्यमंत्री बात नहीं सुनते हैं बस भगाते हैं. सीएम ने मुन्नी देवी को सुझाव दिया आप केस कर दीजिए. मुन्नी देवी ने कहा वर्षों केस लड़कर क्या करेंगे. समय भी जाएगा मिलेगी सिर्फ तारीख पर तारीख. मुन्नी देवी ने जब हंगामा किया मुख्यमंत्री ने माइक संभाल ली. जनता दरबार में हाकिम की आवाज जोर से गूंजी उन्हें छोड़ दीजिए वह पब्लिसिटी स्टंट के लिये आयी हैं. सीएम ने यह भी कहा वह मीडिया से बात कर लेंगी अपने आप शांत हो जायेंगी.
जनता दरबार में टूटते रिश्तों की आवाज
जनता दरबार में रिश्तों के टूटने और बिखरने की खनक भी सुनने को मिली. बुद्धा कॉलोनी की रहने वाली सविता कुमारी ने कहा कि उनके पति और ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया और दहेज के लिये प्रताड़ित करते हैं. सीएम ने उन्हें एसएसपी को बुलाकर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया. गोपालगंज से पहुंचे एक करंट लगने से पीड़ित युवक ने कहा कि मैं और मेरे साथी पोल पर चढ़े थे अचानक बिजली सप्लाई कर दी गई. साथी मर गया मेरे दोनों हाथ काटने पड़े आजतक मुझे मुआवजा नहीं मिला. सीएम ने आई मुजफ्फरपुर को युवक को उचित मुआवजा दिलाने का निर्देश दिया. दरभंगा से सैनिक कल्याण निदेशालय में कार्यरत सुरेंद्र ठाकुर ने अपना दर्द बताते हुये कहा कि साहब हमे निगरानी से क्लीन चीट मिलने के बाद भी मुझे मेरा पेंशन और रिटायरमेंट का पैसा नहीं दिया जा रहा है.
मेरे बेटे को इंसाफ कब मिलेगा, हत्यारे को सजा कब ?
दुनिया का सबसे बड़ा दर्द होता है बाप के कंधे पर बेटे का जनाजा. समस्तीपुर से आये दिनेश गिरी का दर्द भी कुछ ऐसा ही था. उनके बेटे की 21 सितंबर 2015 को हत्या कर दी गयी. पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कि प्रसाशन की ओर से कहा गया कि चुनाव बाद गिरफ्तारी होगी लेकिन आजतक कार्रवाई नहीं की. गिरी ने एसएसपी से फोन पर बात की तो एसएसपी ने अबशब्द कहे. और आरोपी केस वापस लेने की धमकी दे रहे हैं. विधानसभा चुनाव के बाद बनी सरकार का नये साल में नया और पहला जनता दरबार 9 घंटे से भी ज्यादा चला 1007 शिकायतों का निपटारा मुख्यमंत्री ने कर दिया. कुछ मामलों पर कार्रवाई भी होगी. कुछ मामले निपटाये भी जाएंगे. जिन्हें दरबार से दर्द कम होता नहीं दिखेगा हो सकता है वो अगले जनता दरबार में जरूर आयेंगे.