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कैबिनेट का फैसला : पंचायत चुनाव लड़ने के लिए शौचालय की बाध्यता खत्म

पटना : राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनने के लिए शौचालय की अनिवार्यता को समाप्त करने का निर्णय लिया है. यह निर्णय मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में लिया गया. कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि इस निर्णय के तहत अब पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनने के लिए बिहार राज्य पंचायत राज […]

पटना : राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनने के लिए शौचालय की अनिवार्यता को समाप्त करने का निर्णय लिया है. यह निर्णय मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में लिया गया. कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि इस निर्णय के तहत अब पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनने के लिए बिहार राज्य पंचायत राज अधिनियम, 2006 में किये गये प्रावधान को हटा दिया गया है.
इसके तहत मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, पंचायत सदस्य और जिला परिषद के सदस्यों को चुनाव लड़ने के लिए शौचालय होना अनिवार्य कर दिया गया था. राज्य सरकार ने माना कि पंचायत राज अधिनयम, 2006 में इस प्रावधान के कारण कमजोर वर्ग के लोगों को पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनने में कठिनाई होगी. क्योंकि, बड़ी संख्या में कमजेार वर्ग के लोगों को घर व शौचालय बनाने के लिए जमीन भी नहीं है.
इसको अलावा सरकार ने राज्य के चीनी उद्योगों को संकट से बचाने के लिए मिल मालिकों को ईंख क्रय कर में छूट देने का निर्णय लिया है. अब चीनी मिलों को ईंख के क्रय पर 1.80 प्रतिशत के बजाय मात्र 0.20 प्रतिशत कर देना होगा. किसानों को समय पर ईंख की कीमत के भुगतान के लिए राज्य सरकार ने पेराई सत्र 2015-16 में क्रय किये गये ईंख पर प्रति क्विंटल 21.75 रुपये अनुदान देने का निर्णय लिया है.
बिहार विकास मिशन में 46 और बिहार न्यायिक सेवा के लिए 94 पद होंगे सृजित
राज्य के विकास को गति देने के लिए राज्य सरकार ने बिहार विकास मिशन का गठन किया है. मिशन के कामकाज को संचालित करने के लिए 46 पदों के सृजन का निर्णय लिया गया है.
इसमें निदेशक, उप सचिव, संयुक्त सचिव, अवर सचिव और विशेष सचिव के कुल पांच, सात उपमिशन निदेशक, दो प्रशाखा पदाधिकारी, 12 सहायक, दो आशुलिपिक और पांच कार्यालय परिचारी के अलावा 12 डाटा इंट्री के पद का सृजन होगा. वहीं, बिहार न्यायिक सेवा के लिए अवर न्यायाधीश के 94 पदों के सृजन की अनुमति दी गयी है. इन पदों के सृजन पर आनेवाले खर्च के लिए 11.23 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं.
टैक्सी और ट्रक मालिक समेत छोटे कारोबािरयों को देना होगा पेशा कर
राज्य के आर्थिक विकास को तेज करने के लिए राज्य सरकार ने पेशा कर के दायरे को बढ़ाया है.
पेशा कर के रूप में अब केबल ऑपरेटर, फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर, विवाह भवन, कांफ्रेंस हॉल, सिनेमा हाॅल थियेटर, व्यावसायिक भवन, आवासीय होटल और हेल्थ सेंटर, कोचिंग क्लास संचालक, पेट्रोल-डीजल पंप के संचालक, सर्विस स्टेशन चलानेवाले, विदेशी शराब बेचनेवाले, ईंट-भट्टा, बैंकिग कंपनी और कंपनी एक्ट 1956-1 के तहत निबंधित कंपनियों के संचालकों को अब एकमुश्त 2500 रुपये देना होगा. टैक्सी या कार के व्यावसायिक उपयोग करनेवालों को प्रति वर्ष एक हजार रुपये और ट्रक और बस मालिकों को प्रति वर्ष 1500 रुपये पेशा कर देने का प्रावधान किया गया है.
इस श्रेणी के पेशाकर देनेवालों को अधिकतम पेशाकर 2500 रुपये तय किया गया है, चाहे उनके पास कितने भी टैक्सी, कार, ट्रक या बस का व्यावसायिक उपयोग क्यों न हो रहा हो.
राज्य सरकार के इस निर्णय से सरकारी खजाने में 75 करोड़ रुपये जमा होंगे. कैबिनेट सचिव ने बताया कि पूर्व से दस लाख रुपये आमदनी पर वैट देने वालों को पेशा कर नहीं देने का प्रावधान जारी रहेगा, लेकिन दस से 20 लाख रुपये आमदनीवालों को एक हजार, 20 से 40 लाख रुपये आमदनीवालों को 1500 रुपये और 40 लाख रुपये से अधिक के आमदनीवालों को 2500 रुपये पेशा कर देने का प्रावधान जारी रहेगा. राज्य सरकार ने सरकारी खजाना को मजबूत करने के लिए पेट्रोल और डीजल पर अधिभार में दस प्रतिशत की वृद्धि की है.
अब अधिभार के रूप में 30 प्रतिशत का भुगतान करना होगा. सरकार के इस निर्णय से आम लोगों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. राज्य सरकार ने बिहार मनोरंजन कर और होटल विलास वस्तु कराधान नियमावली में परिवर्तन कर करों को 30 दिन के अंदर भुगतान करने का निर्णय लिया है. अब तक इस प्रकार के कर का भुगतान 30 दिन के बाद भी करने का प्रावधान था.

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