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सारण तटबंध को बाढ़ से बचाने सहित उस पर आवागमन के लिए 72 किमी लंबाई में बनेगी सड़क

राज्य की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में शामिल सारण तटबंध को बाढ़ से बचाने सहित उस पर आवागमन के लिए करीब 72 किमी लंबाई में उस पर दो लेन सड़क बनायी जायेगी.

– मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रगति यात्रा में दी थी मंजूरी

राज्य कैबिनेट से मंजूरी के बाद जल संसाधन विभाग ने टेंडर के माध्यम से निर्माण एजेंसी के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है

– गोपालगंज जिला के छह प्रखंड कुचायकोट, गोपालगंज, मांझा, बरौली, सिधवलिया और बैकुंठपुर के साथ-साथ पड़ोसी जिला सारण को बाढ़ से मुक्ति मिलेगी.

संवाददाता, पटना

राज्य की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में शामिल सारण तटबंध को बाढ़ से बचाने सहित उस पर आवागमन के लिए करीब 72 किमी लंबाई में उस पर दो लेन सड़क बनायी जायेगी. इस सड़क का निर्माण सारण तटबंध के किमी 80 स्थित वैकुंठपुर प्रखंड के आशा-खैरा गांव के पास से किमी 152 यानी कुचायकोट प्रखंड के अमवा-विजयपुर गांव के पास तक किया जायेगा. साथ ही सारण तटबंध से जुड़े छरकियों की ऊंचाई बढ़ाकर उसे मजबूत किया जायेगा. पिछले दिनों प्रगति यात्रा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मंजूरी के बाद राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने पर जल संसाधन विभाग ने निर्माण के लिए 351.51 करोड़ रुपये राशि की प्रशासनिक मंजूरी दी है. साथ ही इस पूरे काम के लिए निर्माण एजेंसी चयन की प्रक्रिया टेंडर के माध्यम से शुरू कर दिया गया है. 2026 में निर्माण पूरा होने की संभावना है.

सूत्रों के अनुसार सारण तटबंध के मजबूत होने सहित उस पर सड़क बनने से गंडक नदी के दियारा इलाका के लगभग 165 गांव सीधे सड़क से जुड़ जायेंगे. साथ ही यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा. दरअसल, गंडक नदी के दायें किनारे पर स्थित सारण तटबंध से गोपालगंज जिले को बाढ़ से सुरक्षा मिलती है. सारण तटबंध का किमी 80 से किमी 152 का भाग और इससे जुड़े विभिन्न छरकी बाढ़ और कटाव की दृष्टि से अतिसंवेदनशील हैं. ऐसे में तटबंध मजबूत होने से बाढ़ प्रभावित गोपालगंज जिला के छह प्रखंड कुचायकोट, गोपालगंज, मांझा, बरौली, सिधवलिया और बैकुंठपुर के साथ-साथ पड़ोसी जिला सारण को बाढ़ से मुक्ति मिलेगी. साथ ही लोगों को आवागमन का वैकल्पिक मार्ग मिल जायेगा. तटबंध के रास्ते सोनपुर तक जाना आसान हो जायेगा. बाढ़ के समय में तटबंध की सुरक्षा में लगे अभियंताओं और श्रमिकों सहित प्रशासनिक अधिकारियों को चौकसी करने में आसानी होगी.

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