पटना : बिहार के पूर्व मंत्री और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरक्षण को बनाये रखने के आश्वासन पर आज प्रश्न उठाते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी का मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयं संघ है जो ऐसा कभी नहीं चाहेगी. प्रधानमंत्री को आज लिखे एक पत्र में रजक ने कल कोयम्बटुर में आरक्षण को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये वक्तव्य का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका मानना है कि किसी नीति को लागु करने के लिए साफ नियत का होना अत्यावश्यक है.
उन्होंने आगे कहा है कि वे उनकी नियत पर कोई प्रश्न नहीं उठा रहे बल्कि यह उनके लिए थोड़ा कठिन होगा, क्योंकि उनकी पार्टी का मूल संगठन आरएसएस ऐसा कभी नहीं चाहेगी. आरएसएस द्वारा कहा जा रहा है कि आरक्षण की समीक्षा की जायेगी. रजक ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि इस प्रकार एक तरफ तो आरएसएस द्वारा आरक्षण की समीक्षा की बात की जा रही है और वे आरक्षण को बनाये रखने की बात कर रहे है. यह दो तरह बातें है और इस तरह की बातों से समाज और शासन नहीं चलता है. उन्होंने मोदी पर दलितों के वोट बैंक को ध्यान में रखकर इस तरह के वक्तव्य देेने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यसभा में भाजपा को बहुमत नहीं है जिसके कारण वे इस मामले में ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकते हैं.
रजक ने प्रधानमंत्री से कहा है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के पिछले बयानों और उस पर लंबे समय तक उनका चुप रहना यह साबित करता है कि आरक्षण के मुद्दे पर उनकी राय ‘‘दिल” से नहीं सिर्फ ‘‘मुंह” से है. यदि आरक्षण के प्रति अपनी छवि को साफ-सुथरा रखना चाहते हैं तो निजी क्षेत्रों में दलितों को आरक्षण व न्यायिक सेवा आयोग का गठन कर आरक्षित वर्ग को न्यायालय में उचित प्रतिनिधत्व का मौका दें. संसद में लंबित प्रोन्नति में आरक्षण के मामले को तत्काल लागू करायें. उन्होंने हैदराबाद में दलित छात्र रोहित वेमुला द्वारा आत्माहत्या किए जाने पर प्रधानमंत्री से कहा कि अगर वे उक्त मामले को लेकर संवेदनशील हैं तो उन्हें इसकी जांच दलित विचारधारा वाले लोगों से करानी चाहिए और जांच रिपोर्ट के आने तक मानव संसाधन मंत्री स्मूति ईरानी तथा मंत्री बंडारु दत्तात्रेय को उनके पद से हटा देना चाहिए.