बिहार को स्मार्ट सिटी व हिस्से का पैसा दीजिए

नयी दिल्ली : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर बिहार से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. सीएम ने शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू से मुलाकात में बिहार से एक भी स्मार्ट सिटी को शामिल नहीं करने का मुद्दा उठाया.उन्होंने कहा कि हर राज्य की राजधानी को इस योजना में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 5, 2016 6:15 AM

नयी दिल्ली : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर बिहार से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. सीएम ने शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू से मुलाकात में बिहार से एक भी स्मार्ट सिटी को शामिल नहीं करने का मुद्दा उठाया.उन्होंने कहा कि हर राज्य की राजधानी को इस योजना में शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने पटना को स्मार्ट सिटी में जल्द शािमल करने की मांग की. गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मुलाकात में राज्य बंटवारे के समय से ही बिहार-झारखंड सरकार के बीच पेंशन के मुद्दे पर अंतिम फैसला हो जाने के बाद भी झारखंड सरकार द्वारा राशि नहीं दिये जाने का मामला उठाया.

सीएम ने वित्त मंत्री से मुलाकात कर 12 वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान पांच साल के लिए दिये जाने वाले 12 हजार करोड रुपये की बाकी राशि जारी करने की मांग की. मुख्यमंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिटी के लिए यदि निर्धारित किये गये मापदंड के अनुसार चयन किया जाता रहा, तो जो शहर पहले से अच्छे हैं वह और अच्छे होते जायेंगे और जो शहर सुविधा के मामले में निम्न हैं वह और निम्नतर हो जायेंगे.
इससे क्षेत्रीय असंतुलन और विषमता भी बढ़ेगी. राजनाथ को उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय ने 2012 में खुद ही यह फैसला किया था कि झारखंड सरकार को उनके हिस्से में आने वाले पेंशन फंड का भुगतान बिहार को करना होगा.
इस निर्णय के खिलाफ झारखंड सरकार कोर्ट भी गयी,लेकिन वहां भी गृह मंत्रालय के निर्णय को बरकरार रखा गया. इसीलिए उन्होंने गृह मंत्री को बताया कि वे इस मामले को खुद देखें, क्योंकि भारत सरकार का गृह मंत्रालय पूर्व में जो निर्णय लिया है, उसपर अमल करना चाहिए. क्योंकि हर साल हमलोग अपने बजट में यह प्रावधान रखते हैं कि झारखंड से पेंशन के मद में दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि प्राप्त होगी और वह राशि मिलती नहीं है, जिसके कारण बाद में प्लान साइज को कम करना पड़ता है.
100 करोड़ से शहर का विकास संभव नहीं
शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू से मुलाकात के दौरान सीएम ने बिहार से एक भी स्मार्ट सिटी के चयन न होने का मुद्दा उठाया. क्योंकि मंत्रालय ने इससे पूर्व 100 शहरों का चयन किया था जिसमें तीन बिहार के शहर भी इस योजना में शामिल थे. मुख्यमंत्री ने नायडू को अपने सुझाव भी दिये जिसमें उन्होंने कहा कि जिन 100 शहरों का पूर्व में चयन हुआ है, उन सभी शहरों में स्मार्ट सिटी के लिए काम शुरू किया जाना चाहिए. दूसरा हर राज्य की राजधानी को इस योजना में शामिल किया जाना चाहिए तथा तीसरा, स्मार्ट सिटी के लिए मात्र 100 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष देने का प्रावधान किया गया है, जो पर्याप्त नहीं है. इससे किसी भी शहर का विकास संभव नहीं है.
राशि जारी करने की मांग
बिहार के विभाजन के बाद जो विशेष सहायता बिहार को दी जाती रही है, उसे जारी रखने की मांग सीएम ने वित्त मंत्री से की. उन्होंने 12 वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान पांच साल के लिए दिये जाने वाले 12 हजार करोड रुपये की बाकी राशि को रिलीज करने की मांग की. क्योंकि 12 हजार करोड़ से मात्र एक तिहाई राशि ही बिहार को अब तक मिली है. क्योंकि यह राशि चिह्ति परियोजनाओं पर खर्च हो रहा है. सीएम ने कहा कि इस राशि से ज्यादातर काम बिजली और सड़क के क्षेत्रों में हो रहा है.
बिजली के क्षेत्र में जितना काम हो रहा है, और जितना पैसा केंद्र ने रिलीज किया है उससे ज्यादा खर्च किया जा चुका है. अब उन योजनाओं की गति पर प्रभाव पड़ रहा है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने जो विशेष पैकेज का एलान किया है, उसमें साफ तौर पर कहा है कि जो भी राशि बिहार को पहले से दी जा रही है वह जारी रहेगी. बीआरजीएफ के माध्यम से बिहार को जो राशि दी जा रही है वह दी जायेगी.
उनके विशेष पैकेज के एलान के समय बीआरजीएफ फंड में बिहार का 8200 करोड़ रुपये के लगभग बचा हुआ था. चूंकि 12 वीं पंचवर्षीय योजना अगले साल समाप्त हो रही है इसलिए पांच सालों के लिए निर्धारित बीआरजीएफ की राशि केंद्र सरकार रिलीज कर दें, जिससे जारी परियोजनाओं की गति धीमी न हो.
बिहार को तत्काल दें 5493 करोड़
सीएम ने लिखा पीएम को पत्र
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर बिहार की लंबित योजनाओं के लिए केंद्र सरकार से तत्काल 5493.67 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने की मांग की है.
एक फरवरी को प्रधानमंत्री के नाम भेजे पत्र को गुरुवार को जारी किया गया. इस पत्र में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से कहा है कि केंद्र द्वारा पर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं कराने से बिहार की योजनाओं की गति धीमी हो गयी है. अपने पत्र में सीएम ने पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि योजना के तहत बिहार के बकाये 8282 करोड़ रुपये को 12 वीं पंचवर्षीय योजना की बाकी अवधि 2015-16 और 2016-17 में ही मुहैया कराने का अनुरोध किया है.
नीतीश ने कहा कि पैसा मिल जाने से योजनाएं समय पर पूरी हो सकेंगी. सीएम ने खेद जताते हुए लिखा है कि 12 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत मंजूर 10500 करोड़ में से मात्र 2832.62 करोड़ रुपये बिहार को मिले हैं. इसी प्रकार 11 वीं और 12 वीं पंचवर्षीय योजना के निर्धारित 15 सौ करोड़ रुपये में से अब तक महज 884.66 करोड़ ही केंद्र सरकार की ओर से जारी किये गये हैं. नयी योजनाओं को पूरा करने के लिए 7381 .20 करोड़ अभी भी केंद्र द्वारा विमुक्त किया जाना है. राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा विमुक्त पैसे का उपयोगिता प्रमाण नीति आयोग को भेज दिया है. साथ ही नयी-पुरानी योजनाओं के लिए 5365.44 करोड़ रुपये विमुक्त करने का प्रस्ताव नीति आयोग को भेजे जाने की सूचना दी है.
-वित्त वर्ष 2015-16 के लिए विशेष योजना के तहत 1887.53 करोड़ रुपये तुरंत विमुक्त किया जाये
– 12 वीं पंचवर्षीय योजना में नयी योजनाओं की स्वीकृत राशि के बकाये 902.08 कराेड़ चालू वित्त वर्ष में ही मुहैया कराएं
-10 वीं और 11 वीं पंचवर्षीय योजना के बकाये 615.90 करोड़ और 12 वीं पंचवर्षीय योजना के बकाये 4877.77 करोड़ तत्काल उपलब्ध कराने की मांग
– नीति आयोग में लंबित बेली रोड पर ललित भवन से विद्युत भवन तक अंडर पास सड़क निर्माण का प्रस्ताव पर जल्द हो सहमति
– मुख्य सचिव ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष से मिल कर रखा है बिहार का पक्ष
– योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव नीति आयोग से लगातार हैं संपर्क में
– अब तक सात बार राज्य सरकार की ओर से वित्त मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष को पत्र दिया गया.

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