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मुख्यमंत्री जनता दरबार में लोगों की फरियाद : स्कूटी चाहिए, तेलवा कौन देतवअ

पटना : स्कूटी चाहिए, तेलवा कौन देतवअ…पता है तेल कितना महंगा हो गया है…स्कूटी देने की कोई स्कीम नहीं है. जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया से आये दो फरियादियों को प्यार से यह बातें समझायी. गया से आये शारीरिक रूप से नि:शक्त मो. आजम और शिव जतन चौधरी […]

पटना : स्कूटी चाहिए, तेलवा कौन देतवअ…पता है तेल कितना महंगा हो गया है…स्कूटी देने की कोई स्कीम नहीं है. जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया से आये दो फरियादियों को प्यार से यह बातें समझायी. गया से आये शारीरिक रूप से नि:शक्त मो. आजम और शिव जतन चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से स्कूटी दिलाने की मांग की थी.

मो. आजम ने बताया कि उसके पिता मजदूरी करते हैं और वह गया में एमए की पढ़ाई कर रहा है. घर से 50 किलोमीटर की दूरी तय कर कॉलेज आना पड़ता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जब पढ़ते थे तो मेरे घर से कॉलेज की दूरी 50 किलोमीटर ही थी. हम तो पटना में हॉस्टल में ही रह कर पढ़ते थे.
घर से क्यों आते हो, हॉस्टल में ही रह कर पढ़ो. हाजीपुर से आये सरोज सिंह समेत उनके दस अन्य साथियों ने शिकायत की कि जम्मू कश्मीर विश्वविद्यालय के बीएड की सर्टिफिकेट को शिक्षा विभाग मान्यता नहीं दे रहा है. मुख्यमंत्री इस मामले पर शिक्षा विभाग को जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. मधुबनी से आये एकनाथ सिंह ने बताया कि वह टीइटी और बीएड पास है.
शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में 60-70 नियोजन इकाई में आवेदन कर चुके हैं, लेकिन अब तक कही भी उनका सलेक्शन नहीं हुआ. मधेपुरा से आये शारीरिक रूप से नि:शक्त जय नारायण कुमार ने मुख्यमंत्री से विकलांग पेंशन की मांग की. दरभंगा से आये रामकिशोर मैट्रिक कर चुका है और इंटरमीडिए में पढ़ना चाहता है. मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग को इस मामले में उसकी सहायता करने का निर्देश दिया.
बिहार आंदोलन का नहीं है मिलती है पेंशन : नालंदा से आये विनय कुमार ने बताया कि उनके पिता गोपाल बाबू जेपी आंदोलन में भाग लिये थे और उनका निधन कैंसर के सितंबर, 2009 को हो गया था. मुख्यमंत्री से उनकी दोस्ती थी, लेकिन आज तक उनकी मां को पेंशन मिल पा रही है. कई बार जनता दरबार में आ चुके हैं, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है. मुख्यमंत्री ने मामले को जांच कर पेंशन दिलवाने का भरोसा दिलाया है.
न्यूनतम मजदूरी पूछी तो नौकरी से निकाला : पटना के फुलवारी से आये राजेश कुमार ने कहा कि पटना डेयरी प्रोजेक्ट से उन्हें न्यूनतम मजदूरी पूछने पर वहां से निकाल दिया गया. उसके बाद से बाकी लोगों की सैलरी बढ़ा दी गयी. उसने 2008 से 19 जुलाई, 2013 तक पटना डेयरी में काम किया. उस समय दैनिक उसे 145 रुपये मिलते थे. उसे हटाकर सभी की दैनिक मजदूरी बढ़ा दी गयी. वह कई बार जनता दरबार आ चुका है, लेकिन उसे फिर से नौकरी नहीं मिल सकी है.
बिना वेतन के काम कर रही तालीमी मरकज : सीतामढ़ी से आयी अख्तरी बेगम तालीमी मरकज हैं. वह बिना वेतन के ही काम कर रही हैं. 2012 तक उन्हें वेतन मिला, लेकिन उसके बाद से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. पूछने पर अधिकारी कहते हैं फंड नहीं है. बावजूद इसके वह अपना काम लगातार कर रही है. मुख्यमंत्री ने वेतन भुगतान के लिए शिक्षा विभाग को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

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