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सदन देता है खर्च की अनुमति : मोदी

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने सोमवार को विधानसभा के स्थापना दिवस दिवस सह प्रबोधन कार्यक्रम में बजट प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि बिना सदन की अनुमति के सरकार एक पाई भी खर्च नहीं कर सकती. अपने संबोधन में उन्होंने बजट की बारीकियों, बजट से जुड़ी रोचक व तथ्यात्मक […]

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने सोमवार को विधानसभा के स्थापना दिवस दिवस सह प्रबोधन कार्यक्रम में बजट प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि बिना सदन की अनुमति के सरकार एक पाई भी खर्च नहीं कर सकती. अपने संबोधन में उन्होंने बजट की बारीकियों, बजट से जुड़ी रोचक व तथ्यात्मक जानकारी भी दी. मोदी ने कहा कि बजट बोलचाल की भाषा है. संविधान में इस शब्द का उल्लेख नहीं है.
बजट को वार्षिक व्यय विवरणी कहा जाता है. बजट फ्रेंच शब्द बुगेट से आया है. सरकार जनता को बताती है कि कहां से कितना पैसा आयेगा और कहां कितना खर्च होगा. बजट की बारीकियों की चर्चा करते हुए मोदी ने बजट बनाने की प्रक्रिया से लेकर लेखानुदान, अनुदान, कटौती प्रस्ताव, मांग संख्या,वित्त विधेयक, उपस्थापन, विनियोग विधेयक, जेंडर बजट, आर्थिक सर्वेक्षण, आदि के बारे में बताया.
संसद में पांच बजे इसलिए बजट पेश होता था कि आजादी के पहले ब्रिटेन के संसद में 11 बजे बजट पेश होता था. अपने देश में यह समय शाम का होता था. देश में सबसे लंबा बजट भाषण 2 घंटे का यशवंत सिंह ने पढ़ा था. सबसे लंबा बजट भाषण ब्रिटेन के क्लैड स्टोन का था. 2005 के पहले बिहार में चार माह के खर्च का ब्योरा पेश होता था.उसके बाद बजट पेश होता था.
बजट से जुड़े कुछ तथ्य
– बजट के दिन प्रश्नकाल नहीं होता है, संसद में पूरा बजट पढ़ा जाता है विधानसभा में यह बाध्यता नहीं है.
– संसद में फरवरी के अंतिम दिन बजट पेश होता है. विधानसभा में यह बाध्यता नहीं है. -1999 में पहली बार संसद में 11 बजे बजट पेश किया गया. इसके पहले शाम पांच बजे बजट पेश होता था.
– कटौती प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं होती है, क्योंकि अगर प्रस्ताव पारित हो गया तो सरकार अल्पमत की माना जायेगी. – कटौती प्रस्ताव विपक्ष लाता है वह भी 10 रुपये का. कटौती प्रस्ताव के जरिये ही अनुदान का मांग (बजट )पर चर्चा शुरू होती है.
– लालरंग के ब्रीफकेश में बजट का प्रति लायी जाती है और छाती से लगाकर फोटो खिंचवाने की परंपरा है. – 21 दिन से अधिक अनुदान पर चर्चा नहीं होती है. 2006 से बिहार में आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत होना शुरू हुआ.-केंद्रीय बजट की जब छपाई शुरू होने के पहले हलुआ बनता है

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