सदन को नहीं चलने देना भी है अवमानना

विधानसभा स्थापना दिवस . प्रबाेधन कार्यक्रम में संविधान विशेषज्ञ डाॅ सुभाष कश्यप ने दी जानकारी पटना : संविधान विशेषज्ञ डा सुभाष कश्यप ने कहा कि सदन को नहीं चलने देना सदन की अवमानना है. सदन को चलने देना चाहिए. विधायक आदर्श प्रस्तुत करें. विधि पालन का अधिक दायित्व विधायकों का है. डाॅ कश्यप सोमवार को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2016 6:54 AM
विधानसभा स्थापना दिवस . प्रबाेधन कार्यक्रम में संविधान विशेषज्ञ डाॅ सुभाष कश्यप ने दी जानकारी
पटना : संविधान विशेषज्ञ डा सुभाष कश्यप ने कहा कि सदन को नहीं चलने देना सदन की अवमानना है. सदन को चलने देना चाहिए. विधायक आदर्श प्रस्तुत करें. विधि पालन का अधिक दायित्व विधायकों का है. डाॅ कश्यप सोमवार को विधानसभा के स्थापना दिवस सह विधानमंडल दल के प्रबोधन कार्यक्रम के समापन पर सदस्यों के विशेषाधिकार की व्याख्या कर रहे थे. इसके पहले विधानसभाध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कार्यक्रम की रूपरेखा की जानकारी दी.
कश्यप ने विधायकों ने बताया कि किस मामले में विशेषाधिकार का हनन होता है और किसमें नहीं. राष्ट्रपति और राज्यपाल भी सदन के अंग होते हैं, लेकिन उन्हें विशेषाधिकार हासिल नहीं होगा. विशेषाधिकार सिर्फ सदन, समिति व सदस्य को ही मिला हुआ है. उन्होंने कहा कि विशेषाधिकार हासिल है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वे समाज से अलग है.
जनता के हित में काम करने और उनकी बातों को रखने के लिए ही विशेषाधिकार मिला हुआ है. सभी नागरिक समान हैं. सदन व समिति में बोलने व कहने की पूरी स्वतंत्रता है. हाउस आफ कामन्स को जो विशेषाधिकार हासिल है, वही अपने यहां है. अगर कोई अधिकारी आपके आने पर कुरसी नहीं छोड़ता है तो यह गलत है, लेकिन यह विशेषाधिकार के दायरे में नहीं आता है. उन्होंने बताया कि सत्र शुरू होने के 40 दिन पहले व सत्र समाप्ति के 30 दिन बाद तक दीवानी मामले में सदस्य की गिरफ्तारी नहीं हो सकती.
आपराधिक मामले में कभी भी गिरप्तारी हो सकती है, लेकिन इसकी सूचना आसन को देनी होती है़ परिसर में बिना अध्यक्ष की अनुमति की गिरफ्तारी नहीं हो सकती. विप या विस की समिति कोई भी कागजात सरकारी अधिकारी से मांग सकती है.
विशेषाधिकार का मामला सदन में कैसे उठाया जाए इसके बारे में बताया. अपनी निजी राय जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि आज जो सदन में देखने को मिल रहा है, वह शोभनीय नहीं है.
सदन में आत्मसंयम का प्रयोग करे, सदन की गरिमा के लिए सदस्यों को एकजुट होना चाहिए. उन्होंने बताया कि विशेषाधिकार कानून अभी तक नहीं बना है. सदस्य को क्या विशेषाधिकार है, इसको देखने का अधिकार कोर्ट को है. प्रतिपक्ष भी सरकार का हिस्सा है. सदस्यों को यह अधिकार है कि वह किसको वोट करें, लेकिन 10वीं सूची में यह प्रावधान किया गया कि वह पार्टी के व्हीप का पालन करे. उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपने को अलग वर्ग का नहीं समझे और जनता से जुड़े रहे.
धन्यवाद ज्ञापन विधान परिषद के उपसभापति हारुण रशीद ने किया. इस मौके पर संसदीय कार्यमंत्री श्रवण कुमार, विप सभापति अवधेश नारायण सिंह, विपक्ष के नेता प्रेम कुमार सहित मंत्री आलोक मेहता, शैलेश कुमार, डाॅ चंद्रशेखर, महेश्वर हजारी आदि भी उपस्थित थे.
मीडिया के इलाज क कौनौ दवाई बा की ना
पटना. कार्यक्रम में उस समय हंसी का फब्बारा फूट पड़ा, जब बड़हरिया के विधायक श्याम बिहारी सिंह ने ठेठ भोजपुरी में सुभाष कश्यप से यह जानना चाहा कि मीडिया के इलाज की कोई दवा है कि नहीं. सिंह नृत्यांगनाआें के साथ ठुमका लगाते एक वीडियो के वाइरल होने से नाराज है. उन्होंने कहा कि पुराना मामला है इसके बाद भी इसे चलाया जा रहा है. बार- बार इसे दिखाया जा रहा है, जबकि मैं माफी भी मांग चुका हूं.
श्री कश्यप व सुशील मोदी से विधायक रामदेव राय, भाई वीरेंद्र, राहुल तिवारी, ताराकिशोर प्रसाद, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू व महबूब आलम ने विधायकों के विशेषाधिकार व बजट के बारे में जानकारी ली व सवाल-जवाब किया.

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