योजना आकार होगा 70-75 हजार करोड़ का
मौजूदा वित्तीय वर्ष 2015-16 में योजना आकार 57 हजार करोड़ का केंद्रीय अनुदान और टैक्स में कटौती होने के कारण ज्यादा नहीं बढ़ सका प्लान साइज पटना : राज्य में नये वित्तीय वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल 2016 से होगी. इससे पहले 26 फरवरी को नये वित्तीय वर्ष 2016-17 को राज्य का बजट पेश होने […]
मौजूदा वित्तीय वर्ष 2015-16 में योजना आकार 57 हजार करोड़ का
केंद्रीय अनुदान और टैक्स में कटौती होने के कारण ज्यादा नहीं बढ़ सका प्लान साइज
पटना : राज्य में नये वित्तीय वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल 2016 से होगी. इससे पहले 26 फरवरी को नये वित्तीय वर्ष 2016-17 को राज्य का बजट पेश होने जा रहा है. नये बजट में योजना आकार 70-75 हजार करोड़ रहने का अनुमान लगाया जा रहा है.
मौजूदा वित्तीय वर्ष 2015-16 के योजना आकार 57 हजार करोड़ से यह बढ़कर 13-18 हजार करोड़ ही ज्यादा होगा. केंद्रीय कर और अनुदान में कटौती के अलावा राज्य के आंतरिक टैक्स संग्रह में कमी आने के कारण योजना आकार बहुत नहीं बढ़ पाया है. हालांकि, 29 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश होने के बाद ही यह स्पष्ट हो पायेगा कि राज्य को सही मायने में कितने रुपये की कटौती हुई है या नये वित्तीय वर्ष के लिए अनुदान और टैक्स शेयर में कितने की बढ़ोत्तरी होती है.
इसका असर आम बजट पर भी : योजना आकार घटने का असर नये वित्तीय वर्ष 2016-17 के बजट पर भी पड़ना तय माना जा रहा है. मौजूदा वर्ष का बजट 1 लाख 20 हजार करोड़ का है. योजना आकार ज्यादा बड़ा नहीं होने के कारण नये वित्तीय वर्ष में बजट आकार में भी 25-30 हजार करोड़ की बढ़ोत्तरी होने की संभावना है. इस तरह नये वित्तीय वर्ष का बजट 150 हजार करोड़ होगा. हालांकि महीने के अंत में अगर केंद्र से लक्ष्य के मुताबिक रुपये आ गये, तो यह बढ़ भी सकता है.
केंद्रीय अनुदान और टैक्स में कटौती
केंद्र सरकार की तरफ से राज्य को केंद्रीय टैक्स शेयर और विभिन्न केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में मिलने वाले अनुदान में कटौती के कारण योजना आकार में कमी आयी है. मौजूदा वर्ष में करीब 36 केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में 22 हजार करोड़ रुपये राज्य को मिलने थे, जिसमें करीब 17 हजार करोड़ रुपये ही अब तक आये हैं. इसी तरह राज्य को केंद्रीय टैक्स में मिलने वाले शेयर के तहत करीब 50 हजार करोड़ मिलना है. इसमें 39 हजार 873 करोड़ रुपये ही आये हैं. इसके अलावा राज्य को अपने टैक्स स्रोतों से भी कमी आयी है.
34 हजार 270 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें अब तक 20 हजार करोड़ ही प्राप्त हो सका है. इस लक्ष्य में संभावित घाटा का प्रभाव भी योजना आकार पर पड़ना जा रहा है.