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शराबियों की सेहत सुधारेगा विभाग

पहली अप्रैल से शराबबंदी के जोखिम को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारी शुरू राज्य में दो लाख, 20 हजार लोगों को है शराब की लत पटना : पहली अप्रैल से राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद लोगों की सेहत पर होनेवाले कुप्रभावों की रोकथाम की तैयारी शुरू हो गयी है. राज्य में […]

पहली अप्रैल से शराबबंदी के जोखिम को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारी शुरू
राज्य में दो लाख, 20 हजार लोगों को है शराब की लत
पटना : पहली अप्रैल से राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद लोगों की सेहत पर होनेवाले कुप्रभावों की रोकथाम की तैयारी शुरू हो गयी है. राज्य में शराब पीनेवालों का प्रारंभिक डाटा जुटाया गया है. इस आंकड़े के अनुसार सूबे में दो लाख 20 हजार लोगों को शराब की लत हैं.
सभी को लत से बाहर किया गया, तो 2200 लोगोंं की मौत भी हो सकती है. स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे लोगों के स्वास्थ्य पर होनेवाले कुप्रभाव की रोकथाम के लिए 100 करोड़ रुपये जारी कर दिये हैं. हर जिले में 10-10 बेड का वार्ड तैयार किया जा रहा है. इसे बढ़ाकर 40 बेड का किया जायेगा. शराबबंदी के बाद एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हो, इसे स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया है. इसे मिशन मोड पर लिया गया है.
चिकित्सकों के लिए कार्यशाला
स्वास्थ्य विभाग और एम्स नयी दिल्ली के सौजन्य से सोमवार से आरंभ हुए राज्य के चिकित्सकों की कार्यशाला को संबोधित करते हुए राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक जितेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के अन्य कार्यक्रमों से अलग यह सबसे बड़ा अभियान के रूप में लिया गया है.
हर जिले से प्रशिक्षण के लिए आनेवाले चिकित्सकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हर जिले में एक नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की गयी है. पहली अप्रैल के बाद नशा मुक्ति केंद्र के चिकित्सक सरकार के सीधे नजर में रहेंगे.
राज्य में एक भी मौत होती है, तो इस कारण उनकी नौकरी जा सकती है. इसे देखते हुए हर सेंटर को चालू करने के लिए आरंभिक 20 लाख रुपये दिया गया हैं.
इसके अलावा 20 बेड के सेंटर निर्माण पर एक करोड़ 40 लाख और 40 बेड के सेंटर निर्माण पर दो करोड़ 77 लाख रुपये खर्च होंगे. यह सेंटर सीधे जिला पदाधिकारी के अधीन काम करेगा. जिन चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है वे जिले में अपनी प्रतिबद्ध स्वास्थ्य कर्मियों की टीम बनायेंगे. यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है. उन्होंने बताया कि राज्य में देसी शराबबंदी का प्रभाव भी दिखने लगा है.
शराब कंपनियों का फरवरी-मार्च का कोटा आधे से अधिक गिर गया है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पीएमसीएच मनोरोग विभागाध्यक्ष डाॅ पीके सिंह ने कहा कि यह दूसरी गुलामी की लड़ाई से मुक्ति का अांदोलन है. इस आंदोलन में चिकित्सकों के साथ राजनीतिक प्रतिबद्धता भी है. एम्स के चिकित्सक डाॅ अतुल ने कहा कि शराब पीना भी एक बीमारी है, जिसे ठीक किया जा सकता है. मौके पर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ एन के सिन्हा ने विषय प्रवेश कराया.

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