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आधुनिक तकनीक से ही कोसी क्षेत्र की तरक्की

कार्यशाला में विजेंद्र यादव ने कहा बेहतर जल प्रबंधन से बिहार पा सकता है बाढ़ एवं सुखाड़ से निजात: ललन सिंह पटना : कोसी की प्रकृति भूगोल भी बदलती है. माइक्रो स्तर पर आधुनिक तकनीकी ज्ञान की सहायता से इस क्षेत्र में कार्य करना होगा. इसके लिए विश्व बैंक की तकनीकी सहायता प्राप्त किया जाये. […]

कार्यशाला में विजेंद्र यादव ने कहा
बेहतर जल प्रबंधन से बिहार पा सकता है बाढ़ एवं सुखाड़ से निजात: ललन सिंह
पटना : कोसी की प्रकृति भूगोल भी बदलती है. माइक्रो स्तर पर आधुनिक तकनीकी ज्ञान की सहायता से इस क्षेत्र में कार्य करना होगा. इसके लिए विश्व बैंक की तकनीकी सहायता प्राप्त किया जाये. उक्त बातें गुरुवार को ऊर्जा एवं वाणिज्य कर मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कही. वे बिहार आपदा पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण सोसायटी, जल संसाधन विभाग और विश्व बैंक के संयुक्त तत्वावधान में ‘बिहार में बाढ़ जोखिम प्रबंधन का विकास’’ विषय पर दो दिवसीय विशेष परामर्शी कार्यशाला में बोल रहे थे. कार्यशाला होटल मौर्या में चल रही है.
उद्घाटन भाषण करते हुए जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि कार्यशाला का विषय बिहार के संदर्भ में एक चुनौती है. बेहतर जल प्रबंधन से हम बाढ़ एवं सुखाड़ दोनों समस्याओं से निजात पा सकते हैं. उन्होंने बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली, स्काॅडा प्रणाली एवं नदियों की प्रकृति एवं व्यवहार के अध्ययन पर जोर दिया. उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस कार्यशाला में जो सुझाव उभर कर सामने आयेंगे, वे बिहार की कोसी एवं अन्य नदियों के बाढ़ प्रबंधन में सहायक सिद्ध होंगे.
कार्यशाला में विश्व बैंक के डाॅ सत्यप्रिय ने विश्व बैंक की सहायता से किये जानेवाले बिहार मेें विभिन्न परियोजनाओं से अवगत कराते हुए विश्व बैंक की सहायता का आश्वासन दिया. कार्यशाला में योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव डाॅ दीपक प्रसाद, जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरूण कुमार सिंह, जल संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव गजानन मिश्र और मुख्य अभियंता, योजना एवं मॉनीटरिंग इन्दु भूषण कुमार ने भी बिहार में बाढ़ जोखिम प्रबंधन के विकास को ले कर कई सुझाव दिये.
कार्यशाला के प्रथम सत्र में साउथ एशिया वाटर इनीशीएटिव ट्रस्ट फंड के तत्वावधान में किये जाने वाले बिहार में बाढ़ प्रबंधन क्षमता संवर्धन के अंतर्गत बाढ़ पूर्वानुमान एवं पूर्व चेतावनी विषय पर एक विशेष तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया. इस सत्र मेें भारत, विश्व बैंक एवं अन्य देशों से आये विशेषज्ञों ने अपने-अपने विचार रखे. इसमें थाईलैंड के दिलीप कुमार गौतम असम के डाॅ दिगंत वर्मन, टोक्यो विश्वविद्यालय के डाॅ अपिचन वितायंगकुर्न, डा. मंदिरा श्रेष्ठा और आईआईटी, गांधीनगर के डा. विमल मिश्र ने भी कई सिझाव दिये.

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