पटना : 27 साल पहले फुलवारी के सइथा में हुए तिहरे हत्याकांड में पटना के एडीजे-वन परवेज आलम ने दो अभियुक्तों को भादवि की धारा 302/34 सहित अन्य धाराओं में दोषी पाया है. कोर्ट ने पाया है कि अभियुक्तों ने मकान हड़पने की नीयत से मकान मालिक नाथुन प्रसाद आजाद उर्फ नाथुन चौधरी, पत्नी मुंदरी देवी उर्फ मुनिरका व बेटी ललिता देवी की बेरहमी से हत्या कर लाश को कुएं में डाल दिया था.
उक्त मामले का खुलासा तब हुआ, जब 13 मार्च, 1989 को कुएं से सिर कटी लाश सड़ी हालत में बरामद हुई थी. इस मामले में चार लोगों को अभियुक्त बनाया गया था, लेकिन सुनवाई के दौरान दो लोगों की मौत हो गयी. बचे हुए दो अभियुक्त 71 वर्षीय नागेंद्र उर्फ तोतला व 65 वर्षीया लालती देवी को 26 फरवरी को सजा सुनायी जायेगी.
मकान खरीद का फर्जी कागजात
अनुसंधान के क्रम में पुलिस ने पाया कि अभियुक्त शैलेंद्र उर्फ गोरख सिंह, उनकी पत्नी लालती देवी, अभियुक्त नागेंद्र उर्फ ताेतला मृतक के मकान को किराये पर लिया. मकान में मकान मालिक अपनी दूसरी पत्नी मुंदरी देवी व बेटी के साथ रहते थे. मृतक के अन्य पुत्र व पुत्री उनसे कोई मतलब नहीं रखते थे. इसी बीच अभियुक्तों ने आपसी साजिश कर मकान को हड़पने की नीयत से एक लाख 60 हजार रुपये में खरीदने का एक फर्जी कागजात तैयार किया तथा पैसा देने के नाम पर पहले पटना में नाथुन और उनकी पत्नी-बच्चे को खिला-पिला कर पिक्चर दिखाया. तत्पश्चात रात्रि में पैसा देने के बहाने बगल के गांव ढ़ेलवां गोसाईं सेथा में ले जाकर ले जाकर घटना को अंजाम दिया. उन तीनों का गला रेत कर कुएं में डाल दिया.
फुलवारी का मामला
हत्याकांड की प्राथमिकी फुलवारी थाने में 13 मार्च, 1989 को दर्ज कर, उसका अनुसंधान शुरू किया. पुलिस ने उक्त मामले में सईथा थाना फुलवारी निवासी अभियुक्त शैलेंद्र, नागेंद्र, लालती व मसौढ़ी के पाशा उर्फ सुरेंद्र सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. अदालत ने 29 नवंबर, 1990 को आरोप गठित कर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान दो अभियुक्त शैलेंद्र व सुरेंद्र सिंह की मृत्यु हो गयी. अदालत के समक्ष 71 वर्षीय नागेंद्र उर्फ तोतला व 65 वर्षीया लालती देवी को दोषी पाते हुए बंध पत्र खंडित करते हुए जेल भेज दिया.