पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केंद्रीय आम बजट सुनने का कथित तौर पर अवसर प्रदान करने के लिए सोमवार के बजाए बिहार विधानमंडल में छुट्टी के दिन शनिवार यानि कल आहुत सदन की बैठक का विपक्षी पार्टी भाजपा सहित राजग के अन्य घटक दल बहिष्कार करेंगे.
बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता प्रेम कुमार ने आज बताया कि मुख्यमंत्री को आगामी सोमवार लोकसभा में पेश किए जाने वाले आम बजट को सुनने के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए कल यानि शनिवार को छुट्टी के दिन सदन की बैठक बुलाए जाने का भाजपा और राजग के अन्य घटक दल बहिष्कार करेंगे.
इससे पूर्व बिहार विधानसभा में कार्यमंत्रणा समिति के सोमवार के बजाए शनिवार को सदन की बैठक बुलाए जाने के प्रस्ताव को सदस्यों ने ध्वनि मत से मंजूरी प्रदान कर दी. बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी द्वारा ध्वनिमत से उक्त प्रस्ताव को पारित किये जाने की घोषणा के समय भाजपा सदस्य प्रदेश में विधि व्यवस्था के मुद्दे पर चर्चा कराए जाने को लेकर लाए गये अपने कार्यस्थगन प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिए जाने पर अध्यक्ष के आसन के समीप आकर सरकार विरोधी नारेबाजी कर रहे थे.
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने सोमवार के बजाए सदन की बैठक शनिवार को बुलाए जाने का जोरदार ढंग से विरोध किया. बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए नंदकिशोर ने कहा ‘इससे पूर्व भी लोकसभा में आम बजट पेश किए जाने के दिन बिहार विधानमंडल की बैैठक हुई है. मुख्यमंत्री को केंद्रीय आम बजट सुनने के लिए सोमवार के बजाए शनिवार को बैठक बुलाकर पहली बार एक नयी परंपरा की शुरुआत की गयी है. प्रेम कुमार ने कहा कि उन्होंने कार्यमंत्रण समिति की बैठक के दौरान ही कल इसपर आपत्ति जतायी थी.
बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बहुमत में होने के कारण सत्ता पक्ष के हर मामले में मनमानी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सोमवार को आम बजट के पेश होने से राज्यपाल के अभिभाषण पर मुख्यमंत्री के जवाब को समाचार पत्रों में प्रमुखता के साथ स्थान नहीं मिलने की आशंका के मद्देनजर उस दिन के बजाए कल छुट्टी के दिन सदन की बैठक बुलायी गयी है ताकि उनके जवाब आसानी से मीडिया में सुर्खियां बटोर सकें.
उल्लेखनीय है कि 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में राजग के जहां मात्र 58 विधायक हैं वहीं सत्तापक्ष जदयू, राजद और कांग्रेस के 178 विधायक हैं. बिहार विधान परिषद में भाजपा सदस्य रजनीश कुमार ने प्रदेश में विधि व्यवस्था की समस्या पर चर्चा कराए जाने को लेकर लाए गये कार्यस्थगन प्रस्ताव को लेकर सभापति अवधेश नारायण सिंह द्वारा अस्वीकृत कर दिए जाने पर भाजपा सदस्य सदन के अध्यक्ष के आसन के समीप आकर सरकार विरोधी नारेबाजी करने पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई जिसके बाद सभापति ने सदन की कार्यवाही भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दी.
बाद में अपने कक्ष में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुशील ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोपित राजद विधायक राजबल्लभ यादव को राजनीतिक संरक्षण देकर बचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले दो महीने के अंदर बिहार में जितनी भी हत्यायें हुई है, उनमें से किसी के भी मुख्य अभियुक्त की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है.
उन्होंने सरकार पर अपराध और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सदन में चर्चा कराने के लिए तैयार नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बहुमत का तांडव कर सदन के संचालन में मनमानी कर रही है. सुशील ने आरोप लगाया कि सोमवार को सदन की कार्यवाही को स्थगित कर शनिवार को सदन की बैठक आहुत करना सरकार के मनमानीपूर्ण रवैये को दर्शाता है. सरकार के इस निर्णय के खिलाफ राजग शनिवार को पूरे दिन सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करेगा.
उन्होंने कहा कि अगर बिहार में कानून का राज है तो मुख्यमंत्री नीतीश को बताना चाहिए कि दो महीना पहले दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या के मुख्य अभियुक्त मुकेश पाठक आज तक क्यों नही पकड़ा है? इसी प्रकार पटना के स्वर्ण व्यावसायी की हत्या का मुख्य सरगना दुर्गश शर्मा को भी गिरफ्तार करने में पुलिस अब तक क्यों विफल रही है? बृजनाथी सिंह और विश्वेश्वर ओझा के मुख्य हत्यारों को भी गिरफ्तारी अब तक क्यों नहीं हो सकी है? क्या नीतीश कुमार का यही कानून का राज है?
सुशील ने आरोप लगाया कि एक ओर तो हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हो रही है, दूसरी ओर नीतीश कुमार और लालू यादव के संरक्षण के कारण रेप के आरोपित विधायक को गिरफ्तार करने की पुलिस हिम्मत नहीं जुटा रही है. साक्ष्य मिटाने का आरोपित विधायक पुत्र अखिलेश यादव और पीडिता के परिजनों पर दबाव डाल कर समझौता कराने के आरोपित राजेश कुमार को पुलिस थाने से छोड़ देती है.
उन्होंने कहा कि एक ओर तो पीड़िता के पिता को प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए तीन दिन थाने का चक्कर लगाना पडा और जब प्राथमिकी दर्ज भी हुई तो चार दिन बाद आरोपित की गिरफ्तारी का आदेश निर्गत करने के लिए पुलिस उपमहानिरीक्षक को हस्तक्षेप करना पड़ा. पीड़िता द्वारा पहचान कर लिए जाने के 15 दिन बाद भी अभियुक्त की अब तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.
सुशील ने आरोप लगाया कि दरअसल राजबल्लभ यादव के मामले में सरकार नाटक कर रही है. विश्वेश्वर ओझा हत्याकांड में पुलिस दो दिन में कुर्की जब्ती का आदेश ले ली. मगर राजबल्लभ यादव में मामले में कोर्ट ने अभियुक्त को सरेंडर करने के लिए 30 दिन का समय दे दिया. कुर्की-जब्ती का आदेश लेने जगह पुलिस अभियुक्त की सम्पति का ब्योरा ले रही है.