आशुतोष के पांडेय
पटना : ‘‘ घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूं करें, किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाय.’’ बिहार विधानसभा में सरकारसूबेका बजट पेश करते हुए जब बिहार सरकार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने जब मरहुम शायर निदा फाजली की यह गजल पढ़ी तो बिहार के मुख्यमंत्री ने मुस्कुराकर मेज थपथपायी. वित्त मंत्री यह शेर उस वक्त पढ़ रहे थेजब बिहार की शिक्षा व्यवस्था के कायाकल्प के लिये बजटीय प्रावधानों के बारे में सदन को बता रहे थे. इस बार सरकार ने बजट में अपनी आर्थिक योजनाओं को विभागवार ऐसे बांटा है जिसे देखकर साफ स्पष्ट होता है कि यह बजट आने वाले दिनों में बिहार को सकारात्मक बदलाव की ओर ले जायेगा. बिहार सरकार ने इस बार शिक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च का प्रावधान कर यह संकेत दे रही है कि राज्य को शैक्षणिक स्तर पर देश का सरताज बना देना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपने सात निश्चय को धरातल पर उतारने के लिये भी इस बजट में 5,400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है वहीं दूसरी ओर इस बार 14649 करोड़ रुपये का सरपल्स बजट सरकार ने पेश किया है.
बजट में विभागवार राशि का जो आवंटन किया गया है वह साफ दर्शाता है कि सरकार बिहार के विकास के लिये अपनी प्रतिबद्धता से कोई समझौता नहीं करने जा रही है. बिहार में नये मेडिकल कॉलेजों से लेकर कई जिलों में विज्ञान केंद्र खोलना, इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक के साथ नर्सिंग स्कूल और पारा मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना है. यह सभी संस्थान शिक्षा और पेशेवर शिक्षा से जुड़े हुये हैं. इस बजट के आईने में सरकार की मंशा को साफ देखा जा सकता है जो पूरी तरह स्पष्ट है. बजट पर बोलते हुए वित्त मंत्री ने सबसे पहले स्पष्ट किया कि सरकार के लिये मुख्यमंत्री के सात निश्चय पहली प्राथमिकता शामिल है. जिसमें आर्थिक हल, युवाओं को बल, आरक्षित रोजगार महिलाओं को अधिकार, हर घर बिजली, हर घर नल का जल, घर तक पक्की गलि और नलियां, शौचालय निर्माण, घर का सम्मान और अवसर बढ़े, आगे पढ़े को शामिल किया गया है. इन सात्त निश्चयों को उस विषय से जुड़े विभाग को दे दिया गया है. उसके लिये सरकार ने पर्याप्त बजट भी दे रही है.
शिक्षा से सशक्त होगा बिहार
सरकार ने 2016-17 वित्तीय वर्ष में शिक्षा के लिये 21,897 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. यह पूरे बजट का अकेले 15.31 प्रतिशत है जो सभी विभागों से ज्यादा है. राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता के विकास के लिये राज्य सरकार ने विश्व बैंक के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट को साइन किया है. यह प्रोजेक्ट 2015-16 से वर्ष 2019-20 तक चलेगा. इस योजना के तहत अध्यापक शिक्षण संस्थानों का आधारभूत संरचना का विकास उसका क्षमता वर्धन करना शामिल है. इस योजना के तहत शिक्षकों के प्रोत्साहन हेतु नीति निर्धारित भी की जाएगी. 12 वहीं कक्षा उर्तीर्ण सभी इच्छुक छात्रों को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना जिसमें 4 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण भी शामिल है, दिया जायेगा. सरकार शिक्षा स्वास्थ्य, भौतिक संरचना तथा रोजगार इसे विकास का महत्वपूर्ण पैमाना मानते हुये बजट को पेश किया है.
शिक्षा के ही एक अंग के रूप में विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के तहत राज्य में दरभंगा और गया जिले में तारामंडल के साथ विज्ञान संग्रहालय और पटना में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का साइंस सिटी बनायेगी. इसके लिये सरकार ने बजट में 227 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है. वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार ने राज्य में 5 नये मेडिकल कॉलेज के साथ सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में नर्सिंग कॉलेज की स्थापना करेगी. इतना ही नहीं स्वास्थ्य की सेवाएं बेहतर हो और लोगों को अपना जिला छोड़कर इलाजके लिये कहीं जाना नहीं पड़े इसके लिये हर जिले में सरकार एक पारा मेडिकल संस्थान और प्रत्येक अनुमंडल में एएनएम स्कूल की स्थापना करेगी. सरकार स्टेट कैंसर संस्थान और भागलपुर में टर्शियरी कैंसर केयर सेंटर की स्थापना के लिये केंद्र सरकार से सहयोग मांग चुकी है.
शिक्षा के बाद ऊर्जा पर सबसे ज्यादा खर्च
इस बार गांव-बसावटों तक बिजली पहुंचाने का सरकार का इरादा पूरी तरह स्पष्ट दिख रहा है. सरकार ने ऊर्जा के लिये बजट में 14,367 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. शिक्षा के बाद सरकार सबसे ज्यादा पैसा ऊर्जा के क्षेत्र में खर्च कर रही है. उर्जा के लिये सरकार ने कुल बजट का 13.51 प्रतिशत निकाला है. सरकार बांका अल्ट्रामेगा पावर प्रोजेक्ट जो 4000 मेगावाट का है उसकी स्थापना के लिये प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज चुकी है. साथ ही नवीनगर स्टेज-1 में 660 मेगावाट की तीन इकाईयां बहुत जल्द काम करने लगेंगी जबकि चौसा बक्सर में 660 मेगावाट की दो इकाईयों के पावर प्रोजेक्ट के निर्माण हेतु सतलज जल विद्युत निगम से एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है. कुल मिलाकर सरकार ऊर्जा के क्षेत्र में सकारात्मक कदम उठाने जा रही है.
अन्य विभाग और उनका बजट प्रावधान
कृषि के लिये सरकार ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिये 2,718.13 करोड़ का प्रावधान किया है जो कुल बजट का 3.28 फीसदी है. सरकार कृषि के क्षेत्र में किसानों के साथ मिलकर क्रांतिकारी प्रयास करने जा रही है. वित्त मंत्री के मुताबिक किसानों को गुणवत्ता वाले बीज के उपयोग के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा. वहीं दलहन के उत्पादकता में बढ़ोतरी के लिये प्रचार प्रसार किये जायेंगे. बिहार को बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिये सरकार भंडारण क्षमता को विकसित करने जा रही है वहींखाद के उत्पादन और उपयोग के लिये आर्थिक सहायता भी देगी. आम और लीची के नये बगान भी लगाया जायेंगे और 50 हजार बक्से मधुमक्खी पालन के लिये किसानों को दिये जायेंगे. ग्रामीण कार्य विभाग के तहत सरकार इस वित्तीय वर्ष में 7 हजार किमी ग्रामीण पथों का निर्माण करेगी. उसका अनुरक्षण कार्य बिहार ग्रामीण अनुरक्षण नीति के तहत किया जायेगा. जल संसाधन विभाग इस वित्तीय वर्ष में 230 अदद कटाव निरोधक कार्य पूर्ण कर बिहार के सभी तटबंधों को सुरक्षित रखने की योजना पर काम करेगा. इस बार 638 हेक्टेयर क्षेत्र को जल जमाव से मुक्त करने का कार्यक्रम सरकार बनायेगी. आपदा प्रबंधन विभाग के तहत सरकार 4150 लोगों को एनडीआरएफ की मदद से बाढ़ एवं भूकंप में बचाव राहत कार्य के लिये प्रशिक्षित करेगी. पशु एवं मतस्य संसाधन विभाग की ओर से दुग्ध व्यवसाय से जुड़े हुए कृषकों , बेरोजगार युवकों-युवतियों और कमजोर वर्ग के मजदूर को डेयरी फारमिंग के माध्यम से अतिरिक्त अवसर का सृजन करायेगी. इसी के तहत अविकसित सरकारी तलाबों का नवनिर्माण भी होगा. 50 हजार मधुमक्खी किसानों को दिये जायेंगे. राज्य के 6 जिलों में 2 हजार से ज्यादा तालाब का निर्माण किया जायेगा.
मजदूरों का भी ख्याल
बिहार सरकार ने परदेस जाकर अपने परिवार का पेट पालने वाले मजदूरों का भी इस बजट में ख्याल रखा है सरकार ने प्रवासी मजदूरों को रेलवे के स्लीपर क्लास का भाड़ा देने का वादा किया है वहीं दूसरी ओर उन्हें कृषि मजदूरी में मधुमक्खी पालन और डेयरी के लिये किये जा रहे प्रावधानों में भी शामिल करने की बात कही है.
किस विभाग को कितनी राशि
वित्त मंत्री ने विकास कार्यों के सुचारु रूप से संचालन के लिये सभी विभागों को पर्याप्त राशि आवंटित की है. उन विभागों और उनकी आवंटित राशि इस प्रकार है. कृषि विभाग- 2,718.13 करोड़, पथ निर्माण विभाग- 6,599.06 करोड़, ग्रामीण कार्य विभाग – 7150.50 करोड़, जल संसाधन विभाग- 2,279 करोड़, लघु जल संसाधन विभाग – 592.90 करोड़,आपदा प्रबंधन विभाग- 598.34 करोड़ पशु मतस्य संसाधन विभाग – 544.19 करोड़, सहकारिता विभाग- 670 करोड़, शिक्षा विभाग – 21,897 करोड़, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग – 227.32 करोड़.स्वास्थ्य विभाग- 8,234.70 करोड़, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग- 1,754.99 करोड़ उर्जा विभाग -14,367.84 करोड़, ग्रामीण विकास विभागस – 5,510.06 करोड़, पंचायती राज विभाग-7,183.92 करोड़, योजना एवं विकास विभाग – 3,503.89 करोड़, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग – 835.41 करोड़, नगर विकास एवं आवास विभाग – 3,409.36 करोड़, समाज कल्याण विभाग – 5,017.10 करोड़,अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति कल्याण विभाग -1,628.64 करोड़, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग -294 करोड़,उद्योग विभाग- 788.78 करोड़, सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग – 272.56 करोड़. श्रम संसाधन विभाग – 781.95 करोड़,विधि विभाग – 819.55 करोड़, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग – 2,146.05 करोड़, पर्यटन विभाग- 672,49 करोड़, कला संस्कृति एवं युवा विभाग – 125.94 करोड़, सामान्य प्रशासन विभाग – 528.00 करोड़, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग- 373.33 करोड़. भवन निर्माण विभाग – 3180.16 करोड़, वित्त विभाग – 282.06 करोड़, निबंधन एवं मद्य निषेध विभाग -151.84 करोड़ रुपये और वाणिज्यकर विभाग के लिये -102.59 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.