मोदी सरकार का कार्यकाल 2019 तक और बजट पेश कर रहे हैं 2022 तक का
पटना : राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा है कि केंद्र का बजट सिर्फ धोखा है. बिहार के लिए इसमें कुछ नहीं है. वे सोमवार को 10, सर्कुलर रोड स्थित आवास पर पत्रकार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.उन्होंने कहा कि कहां गया बिहार का सवा लाख करोड़ का विशेष पैकेज? काले धन वालों का बजट बताते हुए उन्होंने कहा कि मनरेगा में पैसा बढ़ाने की बात कर रहे हैं और राज्यों को 40 प्रतिशत राशि देने का शर्त लगा दिये हैं. कल कहेंगे राज्य ने खर्च नहीं किया, इसलिए राज्यों को पैसा नहीं मिलेगा. देश में सामाजिक तनाव के कारण
आधारभूत संरचाना में 75 प्रतिशत की गिरावट आयी है. लालू प्रसाद ने कहा कि शांति के बिना देश का विकास नहीं हो सकता है. देश का निर्यात 14 माह में घटा है. स्टील का उत्पादन घटा है. औद्योगिक विकास कम हुआ है. रेल का तो बुरा हाल है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने नौजवानों को ठगा है.
अब केंद्र कहता है कि हसुंआ-खुरपी बनाओ. नरेंद्र मोदी और आरएसएस पर देश को कंगाल बनाने का अारोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उनका कार्यकाल 2019 तक है और वे बजट 2020-22 का पेश कर रहे हैं. देश की जनता इन्हें सबक सिखाने के लिए तैयार है. इस बजट में बेरोजगारों के लिए कुछ भी नहीं है. उन्होंने कहा कि दावा किया गया है कि 2020 तक किसानों की आमदनी दोगुनी कर दी जायेगी.
उन्हें बताना चाहिए कि आखिर यह कैसे होगा? क्या वे किसानों के अनाज की कीमत दोगुनी करेंगे? बजट को जुमलेवाजी बताते हुए उन्होंने कहा कि फसल बीमा पर 36 हजार करोड़ खर्च होंगे और आवंटन 5500 करोड़ का ही किया गया है.
मोदी तो रेस्टीकेट छात्र हैं, नंबर देने का सवाल ही नहीं : बजट प्रस्ताव पर मोदी को दस में कितने अंक देने संबंधी प्रश्न पर लालू प्रसाद ने कहा कि परिवार को उन्होंने कहा था कि बजट उनकी परीक्षा है. वे तो परीक्षा में रेस्टीकेट कर दिये गये. उनको कोई अंक देने का सवाल ही नहीं है.
कहां गइली गंगा माई
लालू प्रसाद ने कहा कि नमामी गंगा का जिक्र तक नहीं है. कहां गइली हमार गंगा माई? गंगा माई अब तू ही इंसाफ करअ. गंगा सफाई योजना की बड़ी-बड़ी बात की गयी थी, लेकिन, बजट में जिक्र तक नहीं है.
उन्होंने कहा कि इस बजट में जनता के साथ धोखा किया गया है. केंद्र सरकार की ही रिपोर्ट है कि देश में हर तीसरा आदमी भूमिहीन है. 51 प्रतिशत दिहारी मजदूर हैं. बड़ी संख्या में लोग भीख मांग कर जीवनयापन कर रहे हैं. बजट में ऐसे लोगों का कोई जिक्र नहीं है.