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ट्रेंड शिक्षक से ही शिक्षा में गुणवत्ता : अशोक चौधरी
पटना : शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्य के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जायेगा. वर्ल्ड बैंक के सहयोग से ऐसे शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जायेगी और उन्हें बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लायक बनाया जायेगा. शिक्षा विभाग में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं की वर्कशॉप में यह निर्देश शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी […]
पटना : शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्य के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जायेगा. वर्ल्ड बैंक के सहयोग से ऐसे शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जायेगी और उन्हें बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लायक बनाया जायेगा.
शिक्षा विभाग में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं की वर्कशॉप में यह निर्देश शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने दिये. उन्होंने कहा कि जब तक बेस मजबूत नहीं होगा़ उच्च कोटि की बिल्डिंग तैयार नहीं हो सकेगी. इसलिए वर्ल्ड बैंक की मदद से शिक्षकों की गुणवत्ता को बढ़ायी जायेगी. उन्हें ट्रेंड किया जायेगा. बच्चों के पढ़ाने के तरीकों की भी जानकारी दी जायेगी. इसके लिए शिक्षकों को अब पढ़ना भी पढ़ेगा और बच्चों को पढ़ाना भी पड़ेगा. इसके लिए डायट की सीटें बढ़ाई गयी हैं. शनिवार और रविवार को ऐसे शिक्षकों के लिए क्लास होती थी. उसे बढ़ाने के लिए भी विचार किया जा रहा है.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि बिहार में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की स्थिति अच्छी नहीं है. इसका खुलासा वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट से हुआ है. उन्होंने वाइल्ड एसेसमेंट किया है, स्थिति एलार्मिंग हैं. प्रथम की रिपोर्ट में भी साल-दर-साल बिहार के शिक्षा में गिरावट आ रही है. रिपोर्ट के अनुसार पांचवीं के बच्चे साधारण गणित हल नहीं कर पा रहे हैं और ना ही रीडिंग ही कर पा रहे हैं.
इससे गुणवत्ता नहीं ही आयेगी. बच्चे तीसरी, चौथी या पांचवीं में पढ़ते हों, अगर अपने क्लास का गणित सोल्व करते हैं और रीडिंग लगा लेते हैं तो वह स्कूल यह बता सकता है कि उस क्लास के सभी बच्चे रीडिंग लगा सकते हैं और मैथ बना सकते हैं. राज्य के नियोजित शिक्षकों के तबादले के सवाल पर शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के लिए सेवा-शर्त नियमावली बन रही है. इसके लिए कमेटी का गठन किया गया है.
कमेटी को तीन महाने में रिपोर्ट देना था, लेकिन बीच में बिहार विधानसभा चुनाव के कारण इसका काम नहीं हो सका है. सेवा शर्त नियमावली में शिक्षक संगठनों से भी बात की जायेगी और उनकी मांगों को भी पूरा करने की कोशिश की जायेगी. शिक्षकों का मनोबल तोड़ कर कोई काम नहीं किया जा सकता है. वर्कशॉप में प्रथम, केयर इंडिया, यूनिसेफ समेत गैर सरकारी संस्थाओं ने शिक्षा की गुणवत्ता के लिए कई सुझाव दिये.
किसी ने पाठ्यक्रम को काफी हेवी बताया और उसे लाइव करने की बात कही. क्षेत्रीय भाषा का बच्चों व शिक्षकों द्वारा इस्तेमाल नहीं करने का भी सुझाव दिया.
बैठक में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डा. डी. एस. गंगवार ने शिक्षा की गुणवत्ता के लिए रिलिवेंट, मिनिंगफूल एजुकेशन, इफेक्टिवेशन, इफीसियेंसी, इक्वलिटी ऑफ अपॉर्च्यूनिटी और सस्टेनिटी ऑफ क्वालिटी एजुकेशन पर जोर दिया. वर्कशॉप में विभाग के अपर सचिव के. सेंथिल कुमार, बिहार शिक्षा परियोजना के परियोजना निदेशक संजय कुमार सिंह समेत विभाग के पदाधिकारी मौजूद थे.
सरकारी स्कूल में जगाते हैं शिक्षा की भूख
शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिन लोगों को शिक्षा की भूख है वे अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेज कर पढ़ा लेते हैं, लेकिन जिनमें नहीं है उसे सरकारी स्कूल में शिक्षा दी जाती है और शिक्षा के प्रति उनके भूख जगायी जाती है.
आज लिटरेसी मामले में केरल का उदाहरण दिया जाता है. हमें बिहार को उसी तरह गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और पूर्ण सारक्ष वाला राज्य बनाना है, ताकि जिस प्रकार केरल का उदाहरण दिया जाते हैं, दूसरे राज्य बिहार का भी उदाहरण दे सकें. इंटर में कदाचार मुक्त परीक्षा से वित्तरहित प्लस टू व हाइ स्कूलों में भी पढ़ाई के प्रति गंभीरता आयी है.
स्कूलों को लग रहा है कि कदाचार होगा नहीं और पढ़ायेंगे नहीं तो रिजल्ट (फर्स्ट-सेंकेंड करने वाले) के आधार पर जो अनुदान मिलता है, उसमें कमी आ जायेगी.
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