दवा दुकान के लाइसेंस के लिए देने होंगे 30 हजार
पटना : राज्य में दवा दुकान खोलनी अब महंगी होनेवाली है. पहले तीन हजार रुपये शुल्क देकर दवा दुकान के लिए लाइसेंस प्राप्त किया जा सकता था. लेकिन, अब लाइसेंस फीस में 10 गुना वृद्धि करने की तैयारी चल रही है. एक अप्रैल से दवा दुकान के लाइसेंस के लिए तीस हजार रुपये देने होंगे. […]
पटना : राज्य में दवा दुकान खोलनी अब महंगी होनेवाली है. पहले तीन हजार रुपये शुल्क देकर दवा दुकान के लिए लाइसेंस प्राप्त किया जा सकता था. लेकिन, अब लाइसेंस फीस में 10 गुना वृद्धि करने की तैयारी चल रही है. एक अप्रैल से दवा दुकान के लाइसेंस के लिए तीस हजार रुपये देने होंगे. केंद्र सरकार ने इसके लिए खाका तैयार कर लिया है. बड़ी बात यह कि दवा दुकानों का लाइसेंस एक निश्चित अवधि के लिए होगा. इसके नवीनीकरण के लिए भी शुल्क तीन हजार से तीस हजार रुपये देने होंगे. हर पांच साल बाद दवा दुकानों का रिन्युअल कराना आवश्यक होगा.
दवा दुकानों के लाइसेंस शुल्क में वृद्धि का प्रभाव राज्य के करीब 40 हजार दवा दुकानों पर पड़ेगा. इससे दवा उद्योग में नये रोजगार के अवसर कम होंगे, तो दूसरी ओर सुदूर ग्रामीण इलाकों में बिना लाइसेंस की दुकानों की संख्या बढ़ेगी. इससे दवा के वैध कारोबार पर असर पड़ेगा.
किसी भी दवा को बेचने के लिए लाइसेंस लेना आवश्यक है. इसके अलावा दवा दुकानों के लाइसेंस की आवश्यकता दुकान का स्वामित्व बदलने पर या मकान या उसका स्थान बदलने के बाद लेना आवश्यक है. कई परिस्थितियों में किसी पिता के पुत्रों के बीच दुकान का बंटवारा होता है और उसका स्वामित्व किसी और को मिलता है ऐसी परिस्थिति में लाइसेंस लेना है. इसके अलावा कोई दुकानदार किराये के मकान में दुकान चला रहे हैं और उसका मकान मालिक दुकान खाली करा देता है या वहां पर नया निर्माण होता या कहीं दुकान और ले जाकर शुरू करना चाहते हैं, तो इसके लिए दुकान का नया लाइसेंस लेना आवश्यक है.
दवा दुकान लाइसेंस
बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (बीसीडीए) के अध्यक्ष व नेशनल कमेटी की कार्यसमिति के सदस्य परसन सिंह ने बताया कि यह केंद्र सरकार का काला कानून है. सरकार दवा व्यवसाय को पूरी तरह से नष्ट करना चाहती है. बिहार जैसे राज्य जहां गरीबी के कारण मरीजों की संख्या अधिक है, वहां इस कानून का सबसे अधिक दुष्प्रभाव पड़ेगा. बीसीडीए ने इस कानून पर अपनी कड़ी आपत्ति केंद्र सरकार को जता दी है.