पटना : नये सत्र में नामांकन को लेकर राजधानी में अभिभावकों की भाग-दौड़ शुरू हो गयी है. वे जन्म प्रमाणपत्र बनवाने में जुट गये हैं. लेकिन एडमिशन के इस मौसम में स्कूल वाले भी कम परेशान नहीं हैं. स्कूलों की परेशानी नामांकन से अधिक उन बच्चों को छांटने में हैं, जिनके जन्म प्रमाणपत्र जनवरी व फरवरी के हैं.
स्कूलों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले कई सालों के रिकॉर्ड में उन बच्चों की संख्या अधिक है, जिनके जन्म जनवरी-फरवरी में हुए हैं. ऐसे में स्कूल वाले इस बात को लेकर परेशान हैं कि इन खास दो महीनों में ही अधिकांश बच्चों का कैसे जन्म हो रहा है.
बरती जायेगी सावधानी : फर्जी जन्म प्रमाणपत्र को रोकने के लिए इस बार स्कूल ने कई प्लान बना रखे हैं. एक स्कूल से मिली जानकारी के अनुसार इस बार डॉक्टरों की टीम रखी जायेगी. इसमें डायटीशियन से लेकर फिजिशियन तक रहेंगे. बच्चे की उम्र उसके जन्म प्रमाणपत्र से मेल नहीं होगी, तो उस फॉर्म को रद्द कर दिया जायेगा. कई स्कूल नोटिस बोर्ड पर इसकी सूचना भी चस्पा करेंगे.
दो आधार पर नामांकन में छंटते हैं बच्चे
जानकारी के अनुसार किसी भी एडमिशन फॉर्म को छांटने के लिए मुख्य रूप से दो आधार होते हैं. पहला एड्रेस और दूसरा जन्म प्रमाणपत्र. लेकिन इन दोनों आधार पर स्कूल की परेशानी हर साल बढ़ जाती है.
नाम नहीं बताने की शर्त पर एक शिक्षक ने बताया कि नामांकन के दौरान पाटलिपुत्र इलाके का सबसे अधिक आवासीय प्रमाणपत्र हमारे पास जमा होता है. वहीं, जब बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र की जांच की जाती है, तो पता चलता है कि अधिकांश बच्चों का जन्म जनवरी या फरवरी के किसी तारीख में है. ऐसे में बच्चों को नामांकन में छांटना स्कूल के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है.