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राज्य में कृषि का दर्जा, केंद्र ने नहीं दी मंजूरी

कृषि ऋण के तर्ज पर मछली पालकों को नहीं मिल सकी बैंक की मदद, केंद्र का कृषि ऋण में छूट से इनकार कुलभूषण पटना : राज्य में मछली पालन की योजना केंद्र का सहयोग नहीं मिलने से धीमी रफ्तार में चल रही है. राज्य सरकार ने मछली पालन को कृषि का दर्जा तो दिया, पर […]

कृषि ऋण के तर्ज पर मछली पालकों को नहीं मिल सकी बैंक की मदद, केंद्र का कृषि ऋण में छूट से इनकार
कुलभूषण
पटना : राज्य में मछली पालन की योजना केंद्र का सहयोग नहीं मिलने से धीमी रफ्तार में चल रही है. राज्य सरकार ने मछली पालन को कृषि का दर्जा तो दिया, पर केंद्र सरकार द्वारा इसे कृषि कार्य नहीं मानने के कारण इसका लाभ मछली पालकों को नहीं मिल सका. इसके कारण देश में सबसे अधिक जल संसाधन और देश में सबसे अधिक मछुआरों की आबादी के बावजूद मछली के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भरता बनी हुई है.
अन्य राज्यों के तर्ज पर सरकारी सहयोग नहीं मिलने के कारण मछली पालन लाभकारी पेशा नहीं बन सका है. दूसरे राज्यों पर मछली के लिए निर्भरता को खत्म करने के लिए 13 जुलाई, 2007 को ही राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा देने का विधिवत संकल्प जारी कर हुआ था. इससे मछुआरों को राज्य सरकार से मिलनेवाली राहत या अनुदान मिलना शुरू हो गया. राज्य की आबादी का लगभग 75 लाख मछुआरों की आबादी है.
राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा देने की घाेषणा के बाद आठ अक्तूबर, 2012 को मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा कि बिहार में मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया गया है. 13 जुलाई, 2007 के पत्र की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा था कि मछली पालन के लिए कृषि ऋण के तर्ज पर मछली पालकों को छूट दिया जाये.
उन्होंने कहा था कि केंद्र किसानों को मिलनेवाली सभी सुविधाएं मछली पालकों को देने का निर्देश बैंकों को दे. मुख्य सचिव के पत्र के जवाब में केंद्र सरकार के सचिव डीके मित्तल ने स्पष्ट कर दिया कि मछली पालन कृषि के दायरे में नहीं आता है. इसलिए मछली पालक किसानों को यह सुविधा नहीं दी जा सकती़
मत्स्य पालन निदेशक निशात अहमद ने बताया कि राज्य के मछली पालकों को राज्य सरकार की ओर से सभी सुविधाएं मिल रही हैं. पर, बैंकों से कृषि कर्ज के तर्ज पर मिलनेवाले लाभ नहीं मिल रहे़ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मछली पालन को कृषि के दायरे में नहीं माना है.
अन्यथा राज्य के लगभग 68 लाख से अधिक मछुआरों को इसका लाभ मिलता. उन्होंने कहा कि बैंक सात प्रतिशत सूद पर किसानों को कर्ज देती है. इसका तीन प्रतिशत सूद केंद्र सरकार और एक प्रतिशत सूद राज्य सरकार देती है. किसानों को सिर्फ तीन प्रतिशत सूद पर ऋण मिलता है.
यदि केंद्र सरकार राज्य सरकार केे अनुरोध को स्वीकार लेती तो क्यों दिया गया कृषि का दर्जा राज्य सरकार ने कहा था कि कृषि आधारित जीविका होने के कारण यहां मछली पालन और पशुपालन महत्वपूर्ण पूरक है. यहां प्रचुर मात्रा में जल संसाधन है, लेकिन यहां लोग पारंपरिक तरीके से मछली पालन करते हैं.
यदि वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन हो तो राज्य की ग्रामीण अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ होगी. मछली पालकों को कृषि के लिए मिलने वाली दर पर बिजली मिलेगी. मत्स्य किसानों को क्रेडिट कार्ड, बीमा सुरक्षा, बैंक से नियत दर पर ऋण मिलना, आयकर में रियायत आदि का प्रावधान किया गया.

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