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बिहार : IGIMS में हुआ राज्य का पहला किडनी ट्रांसप्लांट, मैं रहूं या न रहूं…

आनंद तिवारी पटना : वो मेरी बहन है…उसे मैं ऐसे मरते हुए नहीं देख सकता… मै रहूं या न रहूं, मेरी बहन इस दुनिया में जब तक रहेगी, जिंदादिली से रहेगी, ये अल्फाज उस छोटे भाई संजीव कुमार के हैं, जिसने सोमवार को अपने से करीब पांच साल बड़ी बहन अनिता को अपनी किडनी देकर […]

आनंद तिवारी
पटना : वो मेरी बहन है…उसे मैं ऐसे मरते हुए नहीं देख सकता… मै रहूं या न रहूं, मेरी बहन इस दुनिया में जब तक रहेगी, जिंदादिली से रहेगी, ये अल्फाज उस छोटे भाई संजीव कुमार के हैं, जिसने सोमवार को अपने से करीब पांच साल बड़ी बहन अनिता को अपनी किडनी देकर उसकी जान बचायी. सुबह करीब नौ बजे ऑपरेशन थियेटर में ले जाने से पहले परिवार के सदस्यों से मिल कर संजीव ने जब उनसे ये बातें कहीं, तो सबका गला व आंखें भर आयीं. करीब आठ घंटे तक चले किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन के दौरान पहले 46 वर्षीय संजीव की किडनी निकाली गयी और फिर उसे 51 वर्षीय बड़ी बहन अनिता के शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया.
परिवार का हर सदस्य मांगता रहा दुआ
अॉपरेशन के दौरान परिवार का हर सदस्य भगवान से दोनों के स्वस्थ रहने की दुआ मांगता रहा. संजीव व अनिता के माता-पिता के साथ ही उनकी एक बड़ी व एक छोटी बहन और एक छोटा भाई विवेक भी पहुंचे हुए थे. तीन बहनों में अनिता दूसरे नंबर पर, जबकि सभी पांच-भाई बहनों में संजीव चौथे नंबर पर हैं.
अनिता के पिता डॉ यूएन सिंह पुसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से रिटायर्ड हैं, जबकि उनके पति विजय आनंद हाइकोर्ट में वकील हैं. वहीं, पटना की एजी कॉलोनी में रहनेवाले संजीव कुमार किराने का व्यापार करते हैं.
याद आते रहे पुराने दिन
ऑपरेशन के दौरान बाहर जमा हुए भाई-बहनों को उनके पुराने दिन याद आते रहे. रांची से आयी बड़ी बहन संजीव व अनिता के बीच बचपन के संबंधों का जिक्र कर रही थीं. इतनी उम्र के बाद भी भाई-बहन के बीच इतना प्यार था कि कोई भी रक्षाबंधन का त्योहार मिस नहीं करना चाहता.
सबके चेहरे पर संतुष्टि थी कि भाई ने रक्षाबंधन का कर्ज अदा करते हुए उसे जिंदगी का सबसे बड़ा तोहफा दिया. ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने कहा कि अगले 48 घंटे अहम होंगे. अभी दोनों को प्राइवेट वार्ड में रखा गया है. डोनर संजीव को कम-से-कम एक हफ्ते, जबकि अनिता को करीब 15 दिनों तक डॉक्टरों के ऑब्जर्वेशन में रखा जायेगा.
साल भर लगाते रहे चक्कर
आइजीआइएमएस में ट्रांसप्लांट से पहले करीब डेढ़ साल पहले अनिता को अपनी किडनी खराब होने का पता चला. इसके इलाज के लिए वह लगभग एक साल से पटना से लेकर दिल्ली तक का चक्कर लगा चुकी थीं, मगर डोनर नहीं होने व इलाज महंगा होने से उन्हें दिक्कत हो रही थी.
उन्हें जैसे ही पता लगा कि अपने शहर में ही दिल्ली के कई गुना कम खर्च पर किडनी ट्रांसप्लांट संभव हो सकेगा, तो उन्होंने तत्काल एप्रोच कर इसकी बुकिंग करा ली. भाई संजीव भी खुशी-खुशी किडनी देने को तैयार हो गये.
मां अपनी बेटी को दान करेगी किडनी
आइजीआइएमएस में पहले चरण में पांच मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया जायेगा. अनिता के ट्रांसप्लांट के बाद अब एक सप्ताह के अंदर चार और मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट होगा. इसकी पूरी तैयारी कर ली गयी है. डॉक्टरों की मानें, तो मंगलवार को सीतामढ़ी की रहनेवाली मां अपनी बेटी को अपनी किडनी डोनेट करेगी. इसके आलवा तीन अन्य मरीजों का ट्रांसप्लांट भी किया जायेगा.
इशारे से कहा, बेस्ट ऑफ लक, फिर चल पड़े ओटी
ऑपरेशन थियेटर में जाने से पहले संजीव के चेहरे पर न तो कोई शिकन थी और न डर. था तो बस बहन को बचाने के लिए खुद के योगदान की खुशी. ओटी में जाने से पहले उन्होंने इशारे से परिवार को बेस्ट ऑफ लक का अंगूठा दिखाया और हंसते हुए ओटी चले गये.

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