2015 में पकड़े गये फर्जी स्कूल को भी बांटा पैसा
छात्रवृत्ति घोटाला 21 नवंबर, 2015 को जारी पत्र के अालोक में ही भेजा गया था 4.35 लाख पटना : छात्रवृत्ति की राशि गबन करने के लिए बाढ़ में जो दो स्कूल कागज पर संचालित किये जा रहे थे, उनमें से एक स्कूल मध्य विद्यालय कंसाबिगहा नवंबर 2015 में सूचीबद्ध हुआ था. डीपीओ योजना और लेखा […]
छात्रवृत्ति घोटाला
21 नवंबर, 2015 को जारी पत्र के अालोक में ही भेजा गया था 4.35 लाख
पटना : छात्रवृत्ति की राशि गबन करने के लिए बाढ़ में जो दो स्कूल कागज पर संचालित किये जा रहे थे, उनमें से एक स्कूल मध्य विद्यालय कंसाबिगहा नवंबर 2015 में सूचीबद्ध हुआ था. डीपीओ योजना और लेखा के कागजात तो कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे हैं. योजना व लेखा के पत्रांक 100, दिनांक 21 नवंबर, 2015 के जरिये ही मीडिल स्कूल कंसाबिगहा, बाढ़ के खाते (032300101022800) में 4.35 लाख रुपये ट्रांसफर किये गये थे. इस फर्जी स्कूल के शिक्षा समिति के अध्यक्ष नवीन कुमार के खाते एसबी-1-22800 में यह रकम जिला कल्याण पदाधिकारी के खाते से भेजी गयी थी.
दूसरे फर्जी स्कूल को जनवरी में किया गया सूचीबद्ध : वहीं कागज पर ही बने उत्क्रमित मीडिल स्कूल रघुनाथपुर, बाढ़ को 2 जनवरी, 2016 को सूचीबद्ध किया गया. इस स्कूल को योजना व लेखा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के कार्यालय के पत्रांक-1, दिनांक 2 जनवरी, 16 के जरिये ही इसके खाते 032300101025723 में भी 4 लाख 92 हजार 600 रुपये ट्रांसफर किये गये थे. यहां के भी फर्जी शिक्षा समिति के अध्यक्ष पंकज कुमार के खाता संख्या एसबी-1-25723 में यह राशि भेजी गयी थी. यह लिस्ट जिला शिक्षा कार्यालय के लिपिक ने तैयार किया था, जो मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही फरार है.
क्लर्कों से जांच दल ने की है पूछताछ
डीएम एसके अग्रवाल की ओर से गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच शुरू कर दी है. छात्रवृत्ति फर्जीवाड़े में जिला कल्याण व शिक्षा कार्यालय के क्लर्कों से बुधवार को जवाब-तलब किया गया.
डीडीसी ने सभी कागजातों का अध्ययन करने के बाद दोनों शाखाओं के क्लर्कों को बुलाया. इन सभी क्लर्कों से पूरी जानकारी मांगी गयी है कि वे कब और कैसे किन स्कूलों को छात्रवृत्ति की राशि भेज रहे थे? जांच टीम के अध्यक्ष डीडीसी अमरेंद्र कुमार ने बताया कि कागजातों के साथ क्लर्कों को बुलाया गया था. फर्जीवाड़े में सभी पहलुओं की तफतीश की जा रही है. कई गोपनीय जानकारी मिली है. पांच दिनों के भीतर पूरी रिपोर्ट सौंप दी जायेगी.