15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार में ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की हालत खराब : सीएजी रिपोर्ट

पटना : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक :कैग: ने बिहार में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के खराब कार्यान्वयन को आज उजागर करते कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों में अपर्याप्त प्रसव पूर्व देखभाल और प्रसूति चिकित्सकों की कमी के कारण आधी गर्भवती महिलाओं ने घर में ही प्रसव देने को विवश हुई. वर्ष 2015 की कैग रिपोर्ट में […]

पटना : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक :कैग: ने बिहार में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के खराब कार्यान्वयन को आज उजागर करते कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों में अपर्याप्त प्रसव पूर्व देखभाल और प्रसूति चिकित्सकों की कमी के कारण आधी गर्भवती महिलाओं ने घर में ही प्रसव देने को विवश हुई. वर्ष 2015 की कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रत्येक एक लाख गर्भवती महिलाओं में मातृत्व मृत्यु दर 100 के लक्ष्य की तुलना में 208 रहा. बिहार विधानसभा में आज कैग की उक्त रिपोर्ट को वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने द्वारा पेश किया गया. राजद प्रमुख लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव बिहार के स्वास्थ्य मंत्री हैं.

एनएचआरएम के मापदंड के अनुसार गर्भवती महिलाओं को 12 सप्ताह के गर्भ के भीतर निबंधन करा लेना है और उन्हें अगले सौ दिनों तक प्रसव पूर्व देखभाल के दौरान आइरन एवं फॅालिक एसिड के टेबलेट दिए जाने के साथ कम से कम तीन बार जांच किया जाना आवश्यक है. रिकार्ड के पड़ताल के दौरान पाया गया कि श्रमशक्ति की कमी और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा नजर नहीं रखे जाने के कारण वर्ष 2010-15 के दौरान केवल 43 से 53 प्रतिशत प्रथम तिमाई में गर्भवती महिलाओं ने निबंधन कराया.

ऐसा पाया गया कि यह योजना जिसके तहत बड़े क्षेत्र को कॅावर करना था पर अप्रेरित कर्मियों के कारण कम से कम सौ दिनों तक आइरन एवं फॅालिक एसिड के टेबलेट दिये जाने के मामले में केवल 45 से 63 प्रतिशत निबंधित गर्भवती महिलाओं को यह उपलब्ध कराया गया. सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसूति चिकित्सकों की कमी के कारण वर्ष 2010-15 के दौरान 23,19,252 संस्थागत प्रसव की तुलना में 57,420 मृत प्रसव हुआ.

कैग रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि वर्ष 2010-11 के दौरान प्रदेश में 187.95 स्कूली बच्चों में से मात्र 25.17 का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा सका. नई पीढ़ी स्वास्थ्य गारंटी कार्यक्रम के तहत 3.55 करोड स्कूली बच्चों में से बिहार में 1.16 बच्चों के बीच हेल्थ कार्ड का वितरण नहीं किया गया. कैग की रिपोर्ट में कई मामले में नियम और कानून का पालन नहीं किये जाने की ओर भी रेखांकित किया गया है.

यह पाया गया कि पटना स्थित बेऊर जेल में 83 स्टाफ क्वार्टर्स में अलग से मीटर नहीं लगाए जाने तथा घरेलु इस्तेमाल के लिए उच्च शक्ति के कनेक्शन के जरिये बिजली की आपूर्ति के कारण 1.12 करोड रुपये खर्च बढ़ा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें