पटना : बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने प्रदेश की नीतीश कुमार नीत महागठबंधन सरकार को अस्वभाविक और अवसरवादी गठबंधन करार देते हुए आज आरोप लगाया कि यह सरकार जनाकांक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरना तो दूर यह सरकार जनता की सामान्य अपेक्षाओं को पूरा करने में भी अक्षम साबित हो रही है. भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी के सरकारी आवास पर भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की आज शाम शुरू बैठक में पारित राजनैतिक प्र्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि बिहार विधान सभा चुनाव के बाद इस प्रदेश में एक अस्वाभाविक एवं अवसरवादी गठबंधन की सरकार के गठन से बिहार के राजनीतिक इतिहास में एक दुर्भाग्यपूर्ण अध्याय जुड़ गया है.
राज्य में भय का माहौल
भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति इस बात पर गहरी चिंता जतातेहुए कहा कि राज्य कीबिगड़ती कानून व्यवस्था, विकास में आये गतिरोध, बढ़ते भ्रष्टाचार और सरकार के नकारापन के कारण एक बार फिर राज्य भर में भय, असुरक्षा, असंतोष और हताशा का माहौल बना है. सरकार के गठन के चार महीनों के भीतर ही जनता का मोह भंग हो गया है. हरलाखी के उपचुनाव में सत्ताधारी गठबंधन की करारी हार, सरकार के प्रति जनता के इसी अविश्वास और मोहभंग का परिणाम है.
नीतीश बेबस दिख रहे हैं
सरकार जिन सात निश्चयों का जोर-शोर से ढोल पीट रही है. इसमें कोई नई बात नहीं है. सात निश्चय की अधिकांश बातें 2010 के सुशासन संकल्प में समाहित था, जिसे पांच वर्षों में यह सरकार पूरा नहीं कर सकी तो उस संकल्प को नये विजन के नाम पर सात निश्चय के रूप में नये कलेवर में प्रस्तुत कर रही है. 2005 में एनडीए सरकार के बनने से जहां अपराधियों के हौसले पस्त हो गये थे और राज्य में सुरक्षा और विश्वास का माहौल बना था. वहीं इस सरकार के गठन से अपराधियों के हौसले बुलंद हो गये हैं. विधि-व्यवस्था एक बार फिर चुनौती बनकर सामने खड़ी है. एनडीए के शासन काल में पूरे दम खम के साथ कानून का राज कायम करने वाले मुख्यमंत्री आज राजद-कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार में इन आपराधिक तत्वों के सामने बेबस दिखायी दे रहे हैं.
जंगलराज पार्ट 2 है राज्य में
विगत छह महीनों के अंदर घटित राजनीतिक हत्याओं का जो सिलसिला आरंभ हुआ है उसने गंभीर खतरे की घंटी बजाकर जंगलराज-2 पर अपनी मुहर लगायी है. भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विषेष्वर ओझा तथा लोजपा नेता बृजनाथी सिंह सहित विरोधी दल के नेताओं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंचों और मुखियाओं की हत्याओं का दौर चिंतित करने वाला ही नहीं आसन्न पंचाचती चुनाव में भारी खुन-खराबे की आशंका को जन्म देने वाला भी है. राज्य सरकार के गलत नीति के कारण राज्य में बालू संकट गहरा गया है और विकास कार्य खासकर आधारभूत संरचना से जुड़े निर्माण कार्य पर ग्रहण लगा हुआ है. राज्य की बिगडती विधि-व्यवस्था के कारण दहशतजदा इंजीनियर, डाक्टर, उद्योगपति तथा व्यवसायी राज्य से पलायन का मन बना रहे हैं.
नकारा सरकार है बिहार में
राज्य सरकार द्वारा रोजमर्रा के इस्तेमाल की 600 से ज्यादा सामग्रियों पर एक प्रतिशत वैट बढ़ाने के कारण जो महंगाई बढ़ी है उससे जनता त्रस्त है और व्यापारियों में भी तीव्र आक्रोश है. भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरोटॉलरेंस’ वाले मुख्यमंत्री के राज में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता नहीं दिखायी देता. नीतीश ने जेएनयू में देश के विरुद्घ नारा लगाने वालों के साथ खडा होने का काम किया और भारत माता की जय बोलने वालों का विरोध करने वाली शक्तियों को प्रोत्साहित किया. एक अस्वाभाविक गठबंधन से बंधी यह राज्य सरकार घोषणावीर, नकारा, दिशाहीन और अंतर्विरोधों की सरकार है.