उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन अलोकतांत्रिक

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को अलोकतांत्रिक बताया है. सोमवार को बिहार विधानसभा की कार्यवाही खत्म होने के बाद मीडिया से मुख्यमंत्री ने कहा कि अनेक बार राष्ट्रपति शासन लगे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट फैसला दिया है कि बहुमत का फैसला विधानसभा के फ्लोर पर होना चाहिए. उत्तराखंड में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2016 6:52 AM
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को अलोकतांत्रिक बताया है. सोमवार को बिहार विधानसभा की कार्यवाही खत्म होने के बाद मीडिया से मुख्यमंत्री ने कहा कि अनेक बार राष्ट्रपति शासन लगे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट फैसला दिया है कि बहुमत का फैसला विधानसभा के फ्लोर पर होना चाहिए. उत्तराखंड में विधानसभा की बैठक बुलायी जा चुकी थी और 28 मार्च को सरकार को बहुमत साबित करना था. ऐसी परिस्थिति में राष्ट्रपति शासन लगाने का कोई औचित्य ही नहीं था और इससे परहेज करना चाहिए था. यह अलोकतांत्रिक है. इस तरह की घटना से दल-बदल को बढ़ावा मिलेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ही कानून बन गया था कि कोई दल बदल नहीं कर सकता है. दो तिहाई से कम संख्या होने पर कोई दल से अलग होने के बारे में सोच भी नहीं सकता है. जब दो तिहाई से कम संख्या हो, तो कोई दल के अनुशासन के बाहर कैसे जा सकता है.
अगर ऐसा है, तो यह 10वीं अनुसूची का मजाक उड़ाने जैसा है. केंद्र सरकार को 10वीं अनुसूची को ही समाप्त कर देना चाहिए और दल-बदल को खुली छूट दे देनी चाहिए. जब चाहे, जहां चाहे लोग किसी भी दल में जा सकते हैं.
नीतीश कुमार ने कहा कि उत्तराखंड में कुछ विधायक दूसरे दल के साथ मिल कर सरकार गिराना चाहते हैं, उसे बढ़ावा देना भी संविधान की धज्जियां उड़ाना है. भाजपा कांग्रेस से कहती है कि आप अपना घर (उत्तराखंड) देंखे, लेकिन आप (केंद्र) क्या कर रहे हैं? संविधान की रक्षा करना केंद्र सरकार का दायित्व है.
ऐसा नहीं कि कहीं दूसरी पार्टी की सरकार है, तो उसे गिरा दो और अरुणाचल प्रदेश की तरह वहां दूसरी सरकार बनवा दो. उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन संवैधानिक व्यवस्था के प्रतिकूल है. यह लोकतंत्र को कमजोर करेगा. वहां की सरकार को मौका देना चाहिए था. समय निर्धारित किया गया था. इसके जो परिणाम आते और जो परिस्थिति बनती उसके बाद फैसला लेना चाहिए था.
भारत माता की जय बोलने में क्या है कठिनाई
नीतीश ने कहा कि किसी को भारत माता की जय बोलने में क्या कठिनाई है. भाजपा व संघ इसे नाहक मुद्दा बना रहे हैं. भारत माता की जय, जयहिंद भाजपा या आरएसएस के कहने पर कोई नहीं कहता है. यहां लोग देशभक्त हैं व अपनी भावना के अनुसार कहते हैं.
शेखपुरा में भूख से नहीं बीमारी से हुई वृद्ध की मौत
शेखपुरा में एक वृद्ध की मौत पर मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएम की जांच िरपोर्ट के अनुसार उनकी मौत भूख से नहीं, अस्वस्थता व बीमारी से हुई है. वृद्ध को अंत्योदय योजना का लाभ दिया जा रहा था. जनवरी में उन्होंने अनाज का उठाव भी िकया था. साथ ही उनकी पत्नी को वृद्धावस्था पेंशन भी दी जा रही थी.
पोरबंदर के भाजपा सांसद विट्ठल रडाडिया द्वारा एक वृद्ध की पिटाई किये जाने के सवाल पर सीएम बोले, हमारे यहां तो अगर कोई गलत बोल देता है, तो कार्रवाई कर देते हैं, पर वे अब क्या करते हैं देखना है. समरथ के नहीं दोष गोसाईं… वे लोग बड़े लोग हैं, ताकतवर हैं, सत्ता में हैं, उन्हें तो खुली छूट है. कैसा अनुशासन की बात करते हैं? लोकसभा चुनाव के समय बिहार में रोज लेक्चर दे रहे थे. पूर्व मंत्री भीम सिंह का नाम लिये बैगर उन्होंने कहा कि पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी भी ने सैनिकों का अपमान करनेवाले नेता के बारे में कहा था और अब उन्हें पार्टी में शामिल कराया है. कहां गयी उनकी मर्यादा? वे जब जैसा, तब तैसा के सिद्धांत पर चलते हैं.

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