पटना की हवा में धूलकण मानक से अधिक

पटना : राज्य सरकार ने विधानसभा में स्वीकार किया है कि राजधानी पटना की हवा में धूलकण की मात्रा मानक से अधिक है. राजधानी के वायुमंडल में धूलकण की सांद्रता 2.5 कणों से अधिक है. यह एक क्यूबिक मीटर में निर्धारित मानक से अधिक है. शेष अन्य मानक सही पाये गये हैं. सरकार वायु प्रदूषण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 30, 2016 6:12 AM
पटना : राज्य सरकार ने विधानसभा में स्वीकार किया है कि राजधानी पटना की हवा में धूलकण की मात्रा मानक से अधिक है. राजधानी के वायुमंडल में धूलकण की सांद्रता 2.5 कणों से अधिक है. यह एक क्यूबिक मीटर में निर्धारित मानक से अधिक है. शेष अन्य मानक सही पाये गये हैं.
सरकार वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई तरह की पहल कर रही है. इसका असर भी दिख रहा है. मंगलवार को भाजपा नेता नंद किशोर यादव के अल्पसूचित प्रश्न पर सहकारिता मंत्री आलोक कुमार मेहता सरकार का पक्ष रख रहे थे. उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण से होनेवाली बीमारियों को लेकर अभी कोई आंकड़ा सरकार के पास उपलब्ध नहीं है.
उन्होंने बताया कि पटना सहित अन्य शहरों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई तरह की पहल की गयी है. पूरे राज्य में 300 ईंट भट्ठों का संचालन बंद करने की दिशा में निर्देश दिये गये हैं. साथ ही पटना जिले में पटना सदर, दानापुर, फतुहा, मनेर व फुलवारीशरीफ में ईंट-भट्ठा के लिए एनओसी देने पर रोक लगा दी गयी है. साथ ही ईंट-भट्ठा मालिकों को 31 अगस्त तक स्वच्छता तकनीक में बदलाव करने का निर्देश दिया गया है.
वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए भवन निर्माण सामग्री ले जानेवाले वाहनों को समान ढक कर ले जाने का आदेश दिया गया है. नये भवनों के निर्माण में 15 मीटर तक की ऊंचाई तक ढक कर काम करने का आदेश दिया गया है. शहर में 15 वर्षों से पुराने वाहनों के परिचालन पर रोक लगा दी गयी है. साथ ही 200 सीसी से अधिक के दोपहिया वाहनों पर भी रोक लगायी गयी है.
प्रेशर हार्न की बिक्री पर रोक लगाई गयी है. ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए रात में लाउड स्पीकर व डीजे बजाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. ऐसे कार्य सरकार द्वारा किये जा रहे हैं, पर महज इनसे ही काम नहीं चलेगा. इसके लिए दल से ऊपर उठकर सभी को जागरूकता कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है.
नंद किशोर यादव ने सवाल पूछा था कि राजधीनी पटना में वायु प्रदूषण मानकों से अधिक है.वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2012 में राजधानी में 2600 प्री-मेच्योर मृत्यु, दो लाख दमा के नये रोगी और 1100 लोगों का हृदयघात हुआ है. सरकार के जबाव को उन्होंने गलत बयानी बताया. उन्होंने पूछा कि अगर वायु प्रदूषण के लिए सरकार द्वारा पहल की गयी तो कितने लोगों पर कार्रवाई की गयी है.

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