मित्र और दोस्त में बड़ा अंतर : यशुमति जी

पटना : मित्र और दोस्त में बड़ा अंतर होता है. वैसा मित्र जो कुमार्ग पर ले जाये, उससे बढ़ कर आपका कोई शत्रु नहीं हो सकता है. ठीक इसके विपरीत जो मित्र आपको सत्यपथ पर ले जाये, उससे बढ़कर आपका कोई शुभचिंतक नहीं हो सकता है. ये बातें गुरुवार को नागा बाबा ठाकुरबाड़ी, कदमकुआं में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 1, 2016 7:17 AM
पटना : मित्र और दोस्त में बड़ा अंतर होता है. वैसा मित्र जो कुमार्ग पर ले जाये, उससे बढ़ कर आपका कोई शत्रु नहीं हो सकता है. ठीक इसके विपरीत जो मित्र आपको सत्यपथ पर ले जाये, उससे बढ़कर आपका कोई शुभचिंतक नहीं हो सकता है. ये बातें गुरुवार को नागा बाबा ठाकुरबाड़ी, कदमकुआं में आध्यात्मिक सत्संग समिति द्वारा आयोजित श्रीरामकथा ज्ञान यज्ञ समारोह के छठे दिन यशुमति जी ने कहीं. उन्होंने कहा कि दोस्त हमें हर दिन मिलते हैं और वह बस दोस्त बनकर रह जाते हैं. यानी उनका काम खत्म आपसे दोस्ती खत्म.
मित्र कभी आपको गलत राह पर नहीं ले जायेगा और वह हमेशा दुख-दर्द में आपके साथ रहेगा. श्रीरामचरित्र मानस के अनुसार भगवान श्रीराम के तीन ही मित्र थे. निषादराज, सुग्रीव व विभीषण. इन सबों में निषादराज का सबसे बड़ा स्थान था. क्योंकि, सुग्रीव व विभीषण अपनों से ही बहिष्कृत थे. दोनों को अपने भाइयों नेही घर से बाहर कर दिया था, लेकिन निषादराज के साथ ऐसा नहीं था. वह अपने समुदाय का राजा व चहेता था.
शिवजी की बरात में झूम कर निकले भूत-पिशाच
पटना. मानस शिवकथा में गुरुवार को शिवजी की शादी हुई, जिसमें झूम कर भूत-पिशाच की टोली निकली. बरात का वर्णन पूज्या संत करुणामयी गुरु मां जी ने कथा के दौरान किया. उन्होंने कहा कि शिव सामान्य प्रवृत्ति के स्वामी थे. वह अकेले कैलाश पर रहते थे और उनके साथ रहने वाले भी उनके जैसे ही थे. गुरु मां ने कहा कि जब शिव-पार्वती का विवाह हुआ, तो सभी लोग इस जोड़ी को देख हैरान रह गये. लेकिन, पार्वती ने सच्चे हृदय से शिव को अपनाया.

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