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जो क्लास में होगी पढ़ाई वह नहीं आयेगा एग्जाम में

पटना : स्कूल में पढ़ाया कुछ और जायेगा और एग्जाम में कुछ और ही प्रश्न पूछे जायेंगे. जो पाठ्यक्रम स्टूडेंट को क्लास में पढ़ाया जायेगा, उस पाठ्यक्रम से इतर एग्जाम में प्रश्न पूछे जायेंगे. पटना के अधिकांश सीबीएसइ स्कूलों में इस सत्र में कुछ एेसा ही होगा. सीबीएसइ की मानें, तो क्लास वन से क्लास […]

पटना : स्कूल में पढ़ाया कुछ और जायेगा और एग्जाम में कुछ और ही प्रश्न पूछे जायेंगे. जो पाठ्यक्रम स्टूडेंट को क्लास में पढ़ाया जायेगा, उस पाठ्यक्रम से इतर एग्जाम में प्रश्न पूछे जायेंगे. पटना के अधिकांश सीबीएसइ स्कूलों में इस सत्र में कुछ एेसा ही होगा. सीबीएसइ की मानें, तो क्लास वन से क्लास आठवीं तक नये पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई करवायी जायेगी. सीबीएसइ ने नया पाठ्यक्रम भी तमाम स्कूलों को भेज दिया है, लेकिन पाठ्यक्रम आने के पहले अधिकांश स्कूलों ने अपने सिलेबस में प्राइवेट पब्लिकेशन के बुक को जगह दिया है.
ऐसे में नये पाठ्यक्रम को कैसे लागू किया जा सकता है.हर क्लास के लिए बना नया पाठ्यक्रम : सीबीएसइ ने हर क्लास के लिए नया पाठ्यक्रम लागू किया है. इस पाठ्यक्रम को चैप्टर वाइज अलग से रखा गया है. किस विषय में कैसे पाठ्यक्रम होगा, इसकी पूरी जानकारी बोर्ड ने वेबसाइट पर डाल दिया है. बोर्ड की मानें, ताे इसी पाठ्यक्रम को हर स्कूलों को लागू करना है. इसी के अधार पर पढ़ाई और एग्जाम भी लिये जायेंगे.
पहली से आठवीं तक एनसीइआरटी बुक : सीबीएसइ ने क्लास वन से आठवीं तक एनसीइआरटी बुक को लागू करने को कहा था. इसको लेकर सीबीएसइ ने ऑन लाइन किताबों का सैंपल भी बोर्ड वेबसाइट पर डाला था. इस सैंपल के आधार पर ही किताबों की लिस्ट स्कूलों को तैयार करना था, लेकिन किसी भी स्कूल ने ऐसा नहीं किया. स्कूलों ने अपने बुक लिस्ट में कोई परिवर्तन नहीं किया. हर साल की तरह इस बार भी प्राइवेट पब्लिकेशन के बुक को ही लागू कर दिया.
िकताबें महंगी तो हैं
पटना के तमाम स्कूलों के बुक लिस्ट में 70 फीसदी प्राइवेट पब्लिकेशन के बुक को शामिल किया गया है. 30 फीसदी ही एनसीइआरटी के बुक स्कूलों में चल रहे हैं. कई स्कूलों ने तो एक भी एनसीइआरटी के बुक नहीं चलाये हैं. इससे अभिभावकों को अधिक पैसे भी खर्च करने पड़ रहे हैं.
शिवशक्ति सिंह, वाइस प्रेसिडेंट, ज्ञान गंगा लिमिटेड कई स्कूल संचालकों ने तो स्कूल में ही किताबों की दुकानें चला रखी है. कैंपस में ही चल रहे किताबों की दुकान से ही अभिभावकों को किताब लेने का दबाव डाला जाता है. इससे अभिभावकों को किताब पर कोई डिस्काउंट नहीं मिलता है. अगर अभिभावक बाहर से किताब की खरीदारी करेंगे, तो उन्हें 10से 15 फीसदी का डिस्काउंटमिलता है. अभिभावक प्रवण मिश्रा ने बताया कि क्या करें, बच्चे को पढ़ाना है तो इन चीजों को इग्नोर करना ही पड़ेगा.

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