पटना : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोरचा सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने राजग के तीन घटक दलों लोजपा, हम सेक्युलर और रालोसपा के विलय से आज पलटते हुए कहा कि कोई विलय की बात नहीं हुई है.
राजनीति में संभावना से इनकार नहीं
मांझी ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि इन तीनों दलों के बीच विलय को लेकर कोई बात नहीं हुई थी बल्कि हमने साथ बैठक कर भोजन किया था. राजनीति संभावनाओं का खेल है और कोई कह सकता था कि लालू प्रसाद जी और नीतीश कुमार जी एकजुट हो सकते हैं और उस आधार पर एक ‘सच्ची’ बात हमने कह दी तो आप लोग विलय की बात कर रहे हैं.
बीजेपी से बात करें मांझी
केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि इसका जवाब उन्हें देने की जरूरत नहीं है लेकिन मांझी जी राजग के सहयोगी हैं. अगर ऐसा महसूस करते हैं तो भाजपा नेतृत्व को उनकी बातों पर ध्यान देना चाहिए.
पहले विलय पर बोले थे मांझी
उल्लेखनीय है कि गत एक अप्रैल को मांझी ने भाजपा पर अपने तीनों घटक दलों को विश्वास में नहीं लेने का आरोप लगाते हुए कहा था कि बिहार और देश के अन्य भागों में अपना राजनीतिक एजेंडा तय करने के लिए ये तीनों दल एक साथ आ सकते हैं और इनके बीच जनहित में कार्य करने को लेकर सहमति बनी है. भाजपा हमें तवज्जो नहीं दिया तो हमलोग एक झंडे, एक बैनर के नीचे भी आ सकते हैं. इससे राजग को ही फायदा होगा. मांझी ने कहा कि इन तीनों दलों के बीच सहमति बन जाने पर लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान, रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुश्वाहा अथवा वह स्वयं कोई भी इसका नेतृत्व कर सकते हैं. भाजपा को बड़ा भाई मानते हैं पर हमें वे तवज्जो नहीं दे रहे हैं.