उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देने पर 154 करोड़ की हानि

पटना : केंद्र सरकार द्वारा राज्य की पंचायती राज संस्थाओं के क्षमतावर्धन के लिए 186 करोड़ की राशि जारी की जानी थी. यह राशि वर्ष 2010-15 के लिए जारी की जानी थी. केंद्र सरकार ने क्षमता अनुदान के मद में बिहार को वित्तीय वर्ष 2010-11 में मात्र 31.34 करोड़ राशि जारी की. केंद्र सरकार ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2016 6:07 AM
पटना : केंद्र सरकार द्वारा राज्य की पंचायती राज संस्थाओं के क्षमतावर्धन के लिए 186 करोड़ की राशि जारी की जानी थी. यह राशि वर्ष 2010-15 के लिए जारी की जानी थी. केंद्र सरकार ने क्षमता अनुदान के मद में बिहार को वित्तीय वर्ष 2010-11 में मात्र 31.34 करोड़ राशि जारी की.
केंद्र सरकार ने वर्ष 2010-15 के दौरान पंचायती राज संस्थाओं से उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं होने, पंचायती राज विभाग द्वारा अनुदानों के उपयोग से कराये गये कार्यों से संबंधित चार्टर एकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित भौतिक व वित्तीय प्रगति प्रतिवेदन नहीं भेजे जाने के कारण राज्य को 154.66 करोड़ का नुकसान हुआ.
भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन में इस बात का खुलासा हुआ है. इसे विधानसभा के पटल पर रखा गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 जिलों के जिला परिषदों की जांच में पाया गया कि राज्य सरकार द्वारा विकास अनुदान की 370.97 करोड़ राशि को स्थानांतरित करने में पांच दिन (मधेपुरा) से लेकर 157 दिनों (औरंगाबाद) का विलंब हुआ.
इसके कारण राज्य सरकार को विलंब के लिए 1.34 करोड़ के ब्याज का भुगतान करने में विफल रही. इसी तरह से वार्षिक कार्य योजना में सड़कों, नालों, सामुदायिक भवनों से संबंधित अनुमोदित 1001 कार्यों का कार्यान्वयन 8.29 करोड़ के अनुदान की उपलब्धता के बावजूद तीन जिला परिषदों, नौ पंचायत समितियों और 47 ग्राम पंचायतों द्वारा कोई कार्य नहीं कराया गया.
पटना : भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि शहरी स्थानीय निकायों में स्वयं के आय के स्रोतों व उसके स्थापना व्यय को पूरा करने के लिए पर्याप्त तालमेल नहीं थे.
जांच में पाया गया कि वर्ष 2014-15 के दौरान स्वयं के स्रोतों से प्राप्त आय केवल 36 प्रतिशत था, जबकि स्थापना व्यय उससे 76 प्रतिशत अधिक था. रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के तहत शहरी स्थानीय निकायों द्वारा 12 प्रकार के करों, अधिभार, टाॅल और पांच प्रकार के उपभोक्ता शुल्क के अलावा चार प्रकार के शुल्क व जुर्माना द्वारा शुल्क का संग्रह किया जाना था. इसमें 12 प्रकार के करों में से संपत्ति कर, जल कर एवं मोबाइल टावर कर बिहारशरीफ, दरभंगा व मुंगेर नगर निगमों द्वारा लगाये गये थे.
भूमि हस्तांतरण पर अधिभार व विज्ञापन पर कर केवल दरभंगा व मुंगेर निगमों द्वारा लगाया गया. टाॅल केवल मुंगेर निगम ने लगाया, पार्किंग स्थल की कमी पर कर, अग्नि कर, मनोरंजन कर पर सरचार्ज, सभा कर, तीर्थयात्रियों कर व पर्यटकों पर कर का चार्ज किसी निगम द्वारा नहीं लगाया गया था.
बिहारशरीफ व मुंगेर नगर निगमों में जलापूर्ति एव घर-घर ठोस कचरा के उठाव के लिए उपभोक्ता शुल्क नहीं किये गये. इसके कारण दो मदों में वर्षों में बिहारशरीफ को 5.46 करोड़, मुंगेर को 4.02 करोड व बिहारशरीफ को 9.15 करोड़ के राजस्व से वंचित होना पड़ा.

Next Article

Exit mobile version